गंगाजी भी , गंगा नहा ली ! इस लॉक डाउन में
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डॉ संगीता शर्मा अधिकारी
लेखिका – राजभाषा अधिकारी।
इस लॉक डाउन में आज सुबह – सुबह मेरे घर के बाहर खिले ये फूल उम्मीद का दामन थामें हुए से, हंसती – खिलखिलाती – जगमगाती प्रकृति, स्वच्छ हवा में राहत की सांसें लेता खुला, शांत, निर्मल, स्वच्छ आकाश और उसमें पंख पसार,ऊंची उड़ान भरती नन्हीं चिरय्या..खिली – खिली हरीतिमा लिए पेड़ – पत्तियां और टीवी में न्यूज़ चैनल पर प्रयागराज के त्रिवेणी संगम से एकदम स्वच्छ और निर्मल गंगा जी की तस्वीरें देखकर यकायक मुंह से पहला वाक्य यही निकला कि ” गंगाजी भी गंगा, नहा ली इस लॉक डाउनलोड में। ” संपूर्ण प्रकृति मानो समस्त मानव जाति का आभार अर्पण – अभिनंदन करती सी प्रतीत हो रही है इस लॉक डाउन में।आपको जहां चारों ओर निराशा का माहौल दिख रहा है घर के अंदर बैठे-बैठे केवल खाना, सोना, पकाना, फिर सो जाना, उठना, खाना बनाना, खाना, बस यही सब चल रहा है इन सब से निजात पाकर कुछ पल के लिए अपनी हॉबी के साथ किताबें पढ़ने, गाना गाना, डांस करना, गर्डनिंग, आदि सब कुछ भी बीच-बीच में चल रहा है ताकि हमारी पॉजिटिविटी बनी रहे।यह सब करना तो बहुत जरूरी है ही ताकि हम सभी अपने घरों में एक निराशा भरे उदासीनता के माहौल में न रहे और अपने परिवार, अपने छोटे-छोटे बच्चों को भी एक सकारात्मक ऊर्जा दे सकें। जहां एक ओर कुछ लोगों को चारों तरफ केवल निराशा भरा ही दिखाई दे रहा है वहीं जब एक दिन मैं अपने मुंह पर मास्क लगाकर घर के पास ही से राशन लेने गई तो मुझे दिखी खाली एकदम बियाबान लेकिन बहुत ही खुश गलबइयां डाले कुछ पल को राहत की सांसें लेती सुस्ताती सड़कें। आपस में बात करती बढती आती सड़कें। कितना सुकून पहुंच रहा होगा उन्हें इन दिनों कि उन पर से वाहनों की आवाजाही बंद है आजकल। वो भी कुछ पल सुकून से रह पा रहीं हैं।जब हर कोई थक जाता है अपनी दिनचर्या से तो क्या प्रकृति नहीं थकती जी हां प्रकृति भी थकती है। हम तो फिर भी सो जाते हैं हर रोज़ रात को और सुबह उठते हैं तो फ्रेश फील करते हैं लेकिन यह धरती माता इसका कभी सोचा है यह लगातार दिल भर चलती ही रहती है बिना रुके, बिना थके। सच मैंने तो इन सड़कों को आज से पहले कभी इतना बहुत खुश, बेहद आह्लादित नहीं देखा था।इस कोरोना समय में जहां सब दुखी हैं वहीं प्रकृति को आजकल मैं बहुत खुश देख रही हूं। चारों तरफ प्रदूषण रहित ठंडी हवाएं, शांत, स्वच्छ, नीला आकाश क्रिस्टल क्लियर जगमगाते तारे, सब कुछ कितना धुला – धुला कितना खिला – खिला, चहकता – महकता सा प्रतीत हो रहा है इन दिनों। रिवाज बदल लिए है शहर ने इन दिनों। इंसानों से ज्यादा प्रकृति आजाद है इन दिनों। मैं समझ नहीं पा रही हूं कि इसे असहाय स्थिति कहूं या सौभाग्यशाली समय कि हम अपना जीवन रहते हुए प्रकृति का इतना खूबसूरत और विहंगम दृश्य देख पा रहें हैं।हालांकि हम लॉक डाउन में है और इस आइसोलेशन की स्थिति में भी सचमुच में इन पलों में मैं खुद को सौभाग्यशाली मान रही हूं कि प्रकृति के इस रूप को, उसकी खूबसूरती को भी हम देख पा रहे हैं इन दिनों।आज कल सुबह उठते ही मुझे बहुत लंबे अंतराल के बाद फिर से दिखाई देने लगी है नन्हीं चिड़ियां कूदती – फांदती, खुले आकाश में मीलों की उड़ान भरती जो आज से कई वर्ष पहले मुझे केवल अपने बचपन में ही दिखाई देती थी और जिसे देखते हुए हमारी पीढ़ी ने शायद कभी यह नहीं सोचा होगा कि आने वाली पीढ़ी को हम किताबों में चिड़िया का परिचय एक लुप्त प्राय पक्षी के रूप में कराएंगे। खैर धन्यवाद हो इस लॉक डाउन का कि हमें इन दिनों फिर से उस नन्ही चिड़िया की चहचहाहट सुनाई दे रही है जो कई बरस पहले बचपन में सुनाई देती थी। सुबह उठते ही जब मैं अपने कमरे का दरवाजा खोलती हूं तो सामने सूरज की किरणें इतनी साफ, इतनी धुली – धुली सी, इतनी तेज़ी से छनती हुई घर के भीतर तक फैल जाती हैं मानो उन किरणों के आकाश से आकर आंगन में पसर जाने तक कोई व्यवधान नहीं। सच सब कुछ कितना खूबसूरत, कितना हसीं दिख रहा है आजकल।एक न्यूज़ चैनल पर प्रयागराज के त्रिवेणी संगम की तस्वीरें दिखाई जा रही थी, उसी बीच गंगा जी की तस्वीरें भी दिखाई गई। गंगा जी को देखते ही सबसे पहला वाक्य मेरे मुंह से यही निकला वाह इतनी साफ, इतनी स्वच्छ गंगा यह तो सचमुच में कमाल हो गया। प्रयागराज की तस्वीरें देखकर जब गंगा जी को इतना स्वच्छ और निर्मल देखा तो एक पल को यही ख्याल आया की वाह यार “गंगा जी भी गंगा नहा ली हैं आज तो।”ऐसे में लॉक डाउन को अच्छा कहूं या बुरा समझना मुश्किल है लेकिन फिलहाल हां इतना जरूर कहूंगी कि यह ठीक है कि कोरोना वायरस महामारी है और महामारी कभी भी अच्छी नहीं होती लेकिन उस महामारी से बचने के लिए एहतियात के रूप में सरकार द्वारा जो ये लॉक डाउन नियम लागू किया गया उसके विषय में तो यक़ीनन मैं ये कह ही सकती हूं कि यह एक बहुत ही सराहनीय और बहुत ही बेहतरीन निर्णय रहा। ये हम मनुष्यों के साथ – साथ प्रकृति के हक में भी हैं। क्यों न हो हमसे कहीं ज्यादा आज प्रकृति इस आजादी को डिजर्व करती है। हम मनुष्यों ने भी प्रकृति के साथ बहुत अन्याय किया है साथियों… पेड़ों का लगातार काटे जाना, प्लास्टिक का बहुतायत में उपयोग, हर घर में कई – कई ए सी जिसके कारण ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ी। ऐसे कई कारण है जिससे हमने प्रकृति को बहुत आहत किया है। हालांकि प्रकृति बीच-बीच में, समय – समय पर हमें अपना रुदन, क्रंदन, क्रोध, आक्रोश दिखाती रहती है। यही कारण है कि भारत में कई स्थलों पर अनेक त्रासदी लगातार होती रहती है। फिर भी हम मनुष्य ढीठ प्रजाति के हैं जिन्हें आसानी से कोई बात समझ में नहीं आती। लेकिन अगर अभी भी हम नहीं समझे तो बहुत देर हो जाएगी दोस्तों। इन दिनों प्रकृति बहुत खुश है और हम सब भी यही चाहते हैं कि प्रकृति हमेशा खुश रहे और अगर प्रकृति ख़ुश रहेगी तो हम भी बहुत ज्यादा खुश रहेंगे इसीलिए हमें लॉक डाउन खत्म होने के बाद भी प्रकृति के प्रति अपनी ओर से त्याग और समर्पण करते हुए अपनी भूमिका निभानी होगी ताकि प्रकृति हमेशा – हमेशा के लिए ऐसे ही महकती – चहकती रहे।इसी संदर्भ में मैं सरकार से भी आग्रह करना चाहूंगी कि सरकार को भी इन हालातों को देखते हुए जो भविष्य में कभी, दोबारा से भी हो सकते हैं ऐसे में सरकार को लॉक डाउन समाप्त होने के बाद भी कुछ ऐसे नियम, कानून अनिवार्य रूप से लागू कर देने चाहिए जिससे प्रदूषण पर कुछ नियंत्रण किया जा सके। सबसे पहले तो सरकार लॉक डाउन को थोड़े – थोड़े अंतराल पर धीरे – धीरे ओपन करे। सभी को एकदम से घरों से निकलने की इजाज़त न दे। सप्ताह में एक दिन सभी के लिए अनिवार्य रूप से लॉक डाउन किया जाए और यह भी सुनिश्चित करें कि जो इन नियमों का उल्लघंन करेंगे उन पर उचित कार्रवाई की जाएगी। कुछ समय के लिए बीच – बीच में कुछ – कुछ महीनों के अंतराल पर इसी प्रकार का कुछ दिनों का लॉक डाउनलोड होते रहना चाहिए अथवा आधार कार्ड में महिला – पुरुष या सम – विषम संख्या के अनुसार आने – जाने का कोई नियम बनाया जाए। कभी – कभी बीच में आयु के आधार पर बाहर आने-जाने का प्रतिबंध हो। वाहनों को कुछ कम किया जाए , इवन ओड का पूर्ण रूपेण पालन सुनिश्चित किया जाए। इसी के साथ पूर्व की ही भांति प्रकृति के संरक्षण हेतु जो भी नियम और उपाय लागू है उनका कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।तभी हम एक बार फिर से बेहतर जीवन यापन करने में समर्थ होंगे, सक्षम होंगे।फिलहाल मैं सरकार के साथ – साथ आप सभी भारतवासियों से भी यही अपील करती हूं कि आप सभी लोग सरकार द्वारा समय-समय पर जारी सभी नियमों का पूरी ईमानदारी के साथ पालन करें। घरों में ही रहें। सुरक्षित रहें। अपना और अपने परिवार का खास ख्याल रखें। इस समय एक सच्चे देशभक्त के रूप में आपका यही दायित्व है और यही सच्ची देशभक्ति है कि आप घर ही में रहें और घर में रहते हुए जितना संभव हो सके हर जरूरतमंद की मदद करने के प्रयास करें। मैं, सभी देशवासियों की ओर से मां प्रकृति से क्षमा याचना करती हूं कि हे मां हम सभी के दोष माफ करना और हमें सद्बुद्धि देना कि हम भविष्य में ऐसा ना करें और हमेशा तुम्हारा ख्याल रखें। इस लॉक डाउन के समय में आपके महत्व को समझते हुए जब भी हम अपने-अपने घरों से बाहर आए तो एक नई उर्जा, आत्मविश्वास और एक बेहतर इंसान बनकर के समाज में लौटें। सिर्फ़ और सिर्फ़ खुद के बारे में ही न सोचे अपित संपूर्ण सृष्टि, पूरी कायनात के प्रति संवेदशील हों, ऐसी मेरी कामना है और यह अवश्य फलीभूत होगी, ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है।यदि हमने सचमुच में बहुत ईमानदारी के साथ इन नियमों का पालन किया तो निसंदेह बहुत जल्दी हम इस कोरोना वायरस को पॉजिटिव होने से रोक सकेंगे और हम हमेशा प्रकृति कि भांति हर हाल में बी पॉजिटिव रहेंगे।