कोरोना वायरस: लॉकडाउन ही एकमात्र उपाय: शैलेंद्र भाटिया

Ten News Network

Greater Noida (28/03/2020) : कोरोना वाइरस संक्रमण Covid-19 वर्तमान में 199 देशों में अपना  संक्रमण फैला चुका है .अगर इसके वैश्विक फैलाव के वर्तमान दर को देखें तो उसकी भयावता पता चलती है . विश्व स्तर पर 22 जनवरी  को कोरोना पॉज़िटिव केस की संख्या 580 थी. तब इसका एपीसेंटर चीन का हुबेई प्रांत का वुहॉन शहर था.31 जनवरी को यह संख्या दस हज़ार हो गई.डबल्यूएचओ के  अनुसार कोरोना का आधिकारिक पहले मामले की तिथि 31 दिसंबर है . 31 दिसंबर से तीस जनवरी तक एक माह में दस हज़ार लोगों  में इसके संक्रमण का फैलाव हुआ . 12 फ़रवरी को संक्रमण की यह वैश्विक संख्या पचास हज़ार हो गई . यानी 44 दिन लगे पचास हज़ार लोगों के  संक्रमित होने में . कोरोना वाइरस संक्रमण की यह संख्या 06 मार्च को एक लाख हो गई ,अर्थात् एक लाख संख्या पहुँचने में 67 दिन लगे .अगले एक लाख से डेढ़ लाख होने में 08 दिन लगे और  14 मार्च को यह संख्या डेढ़ लाख से उपर पहुँच गई. 18 मार्च को यह संख्या  दो लाख थी. इस प्रकार 06 मार्च से 18 मार्च तक कुल 12 दिनों में यह संख्या एक लाख बढ़ गईं.बीस मार्च  को यह संख्या ढाई लाख व 21 मार्च को तीन लाख हो गई .यानी दो लाख से तीन  लाख होने में मात्र तीन दिन लगे. यह कोरोना वाइरस के संक्रमण के बढ़ते क्षेत्र के कारण हुआ ,इसमें संक्रमित होने वाले देशों की संख्या लगातार बढ़ी जो चीन से शुरू होकर 199 देशों तक जा पहुँची.है .23 मार्च को संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या साढ़े तीन लाख और 24 मार्च  को चार लाख हो गई अर्थात् तीन दिनों में 01 लाख और संक्रमित हो गए . 26 मार्च को कोरोना पॉज़िटिव लोगों की वैश्विक संख्या 05 लाख हो गई.यह संख्या 28 मार्च को 6 लाख पर पहुँच गई. इस प्रकार अब मात्रा दो दिनों में एक लाख लोगों  का संक्रमण हो रहा है .जहाँ शून्य से 1 लाख होने में 67 दिन लगे . एक लाख से दो लाख होने में 12 दिन , दो लाख से तीन लाख होने में 03 दिन लगे वही चार लाख से पाँच लाख और पाँच से छै लाख होने में मात्र दो दिन लगे है.

 

ऊपर के  विवरण बताने के  लिए यह काफ़ी है कि कोरोना वाइरस  का संक्रमण मानव  से मानव   किस दर से बढ़ रहा है. विश्व के  कई देशों में यह कम्यूनिटी लेवल पर फैल चुका है. वैश्विक स्तर पर यह लेख लिखे जाने तक कोरोना वाइरस से कुल 6 लाख से अधिक लोग इसके चपेट में आ चुके है. 27000 से ज्यादे लोगों की जान जा चुकी है . 1.33 लाख से अधिक लोग ठीक हो चुके है. कोरोना पॉज़िटिव केस के सापेक्ष मृत्यु की दर 4.5 प्रतिशत है . आँकड़ो के अनुसार चीन में वर्तमान तक कुल 81394 केस पॉज़िटिव थे जिसमें  से 74971 ठीक होकर अस्पताल से जा चुके है ,जबकि 3295 लोगों की मृत्यु हुई है . चीन को पीछे छोड़कर वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका में यह आँकड़ा कम्यूनिटी लेवल के संक्रमण के कारण

 

104258 पर जा पहुँचा है तथा 17 सौ से अधिक लोगों की मृत्यु हुई है. इटली में संक्रमण का यह आंकड़ा 86394हो चुका है .यहाँ पर भी  कम्यूनिटी लेवल के संक्रमण के कारण 9134 लोगों  की जान गई है . स्पेन में भी इस संक्रमण से 65719 लोग प्रभावित हुए हैं और 5138 लोगों की जान जा चुकी है .जर्मनी में भी सामुदायिक संक्रमण के  कारण 50871 लोग ग्रसित है जबकि  351 लोगों की मृत्यु हुई है.कोरोना से ईरान 32332 में लोग प्रभावित हुए है व 2378 व्यक्तियों की मृत्यु हुई है .फ़्रान्स  सातवाँ सबसे ज़्यादा प्रभावित देश है जहाँ 32964 लोग  इसके संक्रमण के  शिकार हुए हैं तथा  1995 लोगों की जान गई है .

 

प्रभावित देशों में शामिल यूएसए, इटली , स्पेन , जर्मनी जो  विकसित देशों की श्रेणी में आते हैं जहाँ स्वास्थ्य की मूलभूत  सुविधाएँ अन्य विकासशील  देशों से बेहतर है और विडम्बना है की वहाँ पर इसका संक्रमण अभी तक  नहीं रोका जा सका है और न ही इसके कारण होनेवाली मृत्यु से. देशों में चिन्हित पॉज़िटिव केसों के सापेक्ष मृत्यु दर देखें तो चीन में 4.04 %, यूएसए में 1.6%, इटली में 10.55%, स्पेन में 7.80%, जर्मनी में 0.68%, ईरान में 7.3%  और फ़्रान्स में 6.05% है. इटली के हालात चिंताजनक है . 27 मार्च को मात्र एक दिन में 919 लोगों की मृत्यु हुई है. आज पूरे विश्व में जितने वेंटिलेटर उपलब्ध है उससे 25 गुणे ज्यादे की ज़रूरत है . वर्तमान में कई कार बनाने वाली कम्पनी विपदा की इस घड़ी में वेंटिलेटर बना रही है.

 

सोशल डिस्टैंसिंग यानी सामाजिकता में दूरी की स्थिति है अर्थात् व्यक्ति से व्यक्ति तक एक निश्चित दूरी बनाए रखने की अवस्था को कह सकते हैं . कई देशों ने  सोशल डिस्टैंसिंग की स्थिति लाने के लिए कई सामाजिक  अवरोध लगाए है.उसमें से कर्फ़्यू और लॉकडाउन प्रमुख है.

 

जहाँ तक भारत में कोरोना के संक्रमण से प्रभावित होने का प्रश्न है , भारत में पहला केस 30 जनवरी को रिपोर्ट हुआ था . भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार वर्तमान में कोरोना के संक्रमण से 27 राज्य प्रभावित है. पूरे भारत में 27 मार्च  तक कुल 873 व्यक्ति प्रभावित थे ,जिसमें केरल और महाराष्ट्र सबसे अधिक प्रभावित राज्य है , केरल में 165 और महाराष्ट्र में 177 लोग प्रभावित है. कर्नाटक में 55, गुजरात में 44 और उत्तर प्रदेश में 44  और राजस्थान में 44 केस पॉज़िटिव पाए गए है. राजस्थान का भीलवाड़ा सबसे अधिक प्रभावित जंहा कर्फ़्यू लगा है.

 

भारत  की जनसंख्या 130 करोड़ से अधिक है . भारत में 01 मार्च को 03 लोग संक्रमित थे ,06 मार्च को 34 ,11 मार्च को 65,  16 मार्च को 114, 21 मार्च को 332, 26 मार्च को 722  और 27 मार्च को 873 लोग संक्रमित थे .उक्त आंकड़ों से स्पष्ट है कि गत 30 जनवरी से लेकर 27 मार्च तक तक यानी 58 दिनों में कुल  873 लोग  कोरोना से संक्रमित हुए हैं जो इंगित करता है की भारत में  अभी थर्ड स्टेज का कम्यूनिटी लेवल संक्रमण नही हुआ है .

 

भारत ने पूर्व से ही कई प्रकार के रक्षक उपाय किए है . स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार के आँकड़ो के अनुसार हवाई अड्डों पर अभी तक 15 लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की गई है . भारत के प्रधानमंत्री ने 22 मार्च को जनता कर्फ़्यू की घोषणा की ,जिसका पूरे राष्ट्र ने पालन किया. 75 प्रभावित जिलों में लॉकडाउन की घोषणा की गई तथा कई जगह कर्फ़्यू लगाया गया. 24 मार्च को प्रधानमंत्री ने 21 दिनों के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन

 

की घोषणा की है जो वर्तमान में जारी है . यह सम्पूर्ण 130 करोड़ भारतीय  जनसंख्या के  लिए लागू  की गई है , जो सोशल डिस्टैंसिंग के लिए किसी भी देश  द्वारा उठाया गया सबसे बड़ा क़दम है. पूरे विश्व में लगभग 300 करोड़ लॉकडाउन है जिसमें 130 करोड़ से अधिक भारत का हिस्सा है . प्रधानमंत्री ने कोरोना को परिभाषित करते हुए लॉकडाउन की स्थिति में दूसरा  अर्थ दिया है , (को)कोई (रो)रोड पर (ना) ना निकलें अर्थात सोशल डिस्टैंसिंग यानी सामाजिक दूरी को बनाए रखें .अपने घर  में ही रहना रहना तथा  दूसरों से संपर्क में न आना ही एकमात्र बचाव है .सामुदायिक संक्रमण को रोकने का इसके अलावा कोई और उपाय नहीं है .उचित होगा कि स्वैच्छिक रूप  से सभी भारतीय  लॉकडाउन की  स्थिति में घर में ही रहें तथा  शासन-प्रशासन द्वारा किए जा रहे किए जा रहे उपायों में सकारात्मक सहयोग कर उसको सामुदायिक संक्रमण रोकने में अपना  योगदान दें . यही समय  की माँग है और आवश्यकता भी तथा  एक मात्र उपाय है ।

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