Duet Performance bY Sitarist #AzeemAhmedAlvi and Tabla Player #AKramKhan

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Duet Performance bY Sitarist #AzeemAhmedAlvi and Tabla Player #AKramKhan

त्रिवेणी कला संगम में 21 दिसंबर, 
 
2014 को सितारवादक अजीम अल्वी और तबलावादक उस्ताद अकरम खान की 
 
जुगलबंदी देखने को मिली। सितारवादक अजीम अल्वी की प्रस्तुत रूपक, एकताल, 
 
तीनताल जैसे विभिन ताल में पेश की गई। अजीम अल्वी ने अलाप जोड़ 
 
झाहा के साथ राग यमन पेश किया। रूपक ताला में उनकी प्रस्तुति हाफ बीट 
 
के बाद शुरू हुई। वहीं दूसरी तरफ उस्ताद अकरम खान ने तबले पर ताल 
 
पेश की।
 
अजीम अहमद अल्वी के बारे मेंः
 
अजीम अहमद अल्वी वैष्विक संगीत में भारत के प्रख्यात एवं अंतरराष्टंीय रूप से 
 
प्रख्यात कलाकारों में से एक हैं। भारतीय शास्त्रीय संगीत में दिलचस्पी 
 
रखने वाले परिवार में जन्मे अल्वी अपनी 6 पीढि़यों की परंपरा के साथ 
 
भारतीय शास्त्रीय संगीत में गहराई से जुड़े हुए हैं और उन्होंने 
 
6 साल की उम्र तक उस्ताद मोहसिन अली खान के नेतृत्व में अध्ययन किया। 
 
उन्होंने अपनी सच्ची क्षमता और मेधा भारत के सबसे बड़े सितार 
 
वादन दिग्गज और गुरू पदमश्री विजेता उस्ताद शाहिद परवेज खान और अपने 
 
पिता प्रख्यात एवं सम्मानित सितार वादन शिक्षक उस्ताद सैयद अहमद अल्वी से प्राप्त 
 
की। 
 
अजीम अहमद अल्वी ने अपना पहला प्रदर्शन प्रतिस्पर्धा के लिए 12 वर्ष की 
 
उम्र में दिया। भारत सरकार द्वारा नैशनल स्कॉलरशिप से सम्मानित होने 
 
के बाद वे पूरी दुनिया में विभिन्न प्रख्यात संगीत महोत्सवों में 
 
प्रदर्शन के लिए गए जिनमें भारत भी शामिल है। जापान से लेकर जर्मनी तक, 
 
अजीम अहमद अल्वी ने दुनियाभर की यात्राएं कीं और यह सुनिश्चित किया कि
भारतीय शास्तीय संगीत की ध्वनि को विविध रूपों में जीवंत रूप से सुना
जाएगा। इससे उन्हें आधुनिक जैज संगीत के दायरे में एक प्रख्यात संगीत
हस्ती बनने की प्रेरण मिली।
अपनी 20 साल की उम्र में अजीम अहमद अल्वी ने भारत और भारत से
बाहर दोनों मंचों पर समकालीन संगीत क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति
दर्ज कराई। दुनिया के सबसे पुराने सितारवादकों में से एक के तौर पर
प्रख्यात हो चुके अल्वी भारतीय शास्त्रीय और पश्चिमी समकालीन संगीत के
बीच अंतर पाटना चाहते हैं। अपनी संगीत दक्षता के जरिये उन्होंने
सूफी, फ्लेमेंको, जैज, इलेक्टंॉनिका एवं पश्चिमी शास्त्रीय संगीत जैसे
विभिन्न विधाओं में दिलचस्पी दिखाई है। वर्ष 2012 में
उन्होंने पारंपरिक भारतीय संगीत के लिए अपने शौक पर जोर दिया और
अपने गैर-सरकारी संगठन राग मंत्रा म्यूजिक फाउंडेशन के निर्माण के
साथ सितार को नए स्तर पर पहुंचाया। उन्होंने हाल में हैरी स्तोज्का
के साथ अपना 15वां यूरोपीय दौरा पूरा किया है, जब उन्होंने विएना,
जर्मनी के स्टटगार्ट में वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल में जैज फेस्टिवल,
जर्मनी के नुर्नबर्ग में जैज-फेस्ट आदि में प्रदर्शन किया।
संगीतकार का एकमात्र उद्देश्य हमेशा पारंपरिक भारतीय संगीत के लिए गौरव
और आनंद की भावना पैदा करना रहा है। अपनी पुस्तक के जरिये
उन्होंने भारतीय संगीत के संदेश को प्रत्येक संगीत प्रेमी तक
पहुंचाने की कोशिश की है।
अकरम खान के बारे मेंः
अकरम खान ने स्वर्गीय उस्ताद नियाजू खान से संगंीत में अपनी षुरुआती
षिक्षा हासिल की। नियाजू खान अपनी टेक्नीकल स्टाइल और
उनके मार्गदर्षन के लिए प्रख्यात थे। उन्हें अपने परदादा उस्ताद
मोहम्मद षफी खान से भी सीखने का मौका मिला। उन्होंने अपने
पिता उस्ताद अषमत अली खान के सक्षम मार्गदर्षन में अपने रियाज और
प्रषिक्षण को बरकरार रखा।
वे प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद में औपचारिक प्रषिक्षण के लिए गए और
वहां से संगीत प्रवीण 1⁄4मास्टर ऑफ म्यूजिक1⁄2 हासिल करने में सफल रहे
और साथ ही उन्हें चंडीगढ़ में संगीत विषारद का भी मौका
मिला। उन्होंने कॉमर्स में बेचलर्स डिग्री हासिल की। वे ऑल
इंडिया रेडियो नई दिल्ली से टॉप ग्रेड आर्टिस्ट भी हैं।

 

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