गौतम बुद्ध नगर के दस रत्नों – बुरा ना मानो होली है
जीवन मे तनाव से बचने के लिए और हल्के फुल्के पलों का आनंद लेने के लिए वैसे तो हास्य- व्यंग्य सदैव ही एक बेहतरीन माध्यम माना जाता है। पर जब मौका फ़ाग का हो तो एक अलग ही वातावरण दिखता है ।
‘बुरा न मानो होली है’ के भाव के साथ होली पर रंगों की बौछार के साथ हास्य व्यंग्य के शब्द बाण भी छोड़े जाते हैं और जगह-जगह हास-परिहास पर आधारित आयोजनों में महामूर्ख जैसी उपाधियाँ दी जाती हैं।
इसी कड़ी में देश की इस प्राचीन सांस्कृतिक परंपरा का निर्वाह करते हुए टेन न्यूज़ आपके लिए लाए हैं, हास-परिहास में डूबी हुई शहर के गणमान्य विभूतियों के लिए उपाधियों के व्यंग्य बाण|
डॉ महेश शर्मा, सांसद, गौतम बुद्ध नगर
जितना जानोगे, जितना समझोगे, उतना उलझ जाओगे,
सबका नाम याद रहता है मुझे, मेरी नज़र से ना बच पाओगे।पंकज सिंह, विधायक, नोएडा
बड़े नाम, बड़े रुतबे के साथ भी है अदब बनाए रखा,
नोएडा की हर समस्या को सीने से लगाए रखा,
लोग कहतें हैं की पापा जैसी है मेरी भाषण की शैली,
बस बढ़ता जाऊँ आगे, अगर यूँही भरी रही वोटों की थैली।
तेजपाल नागर, विधायक, दादरी
इतना किया विकास की अबतक गिन ना पाया कोई,
गिनता भी कोई कैसे जब कोई ख़बर ही ना होई।
धीरेन्द्र सिंह, विधायक, जेवर
प्रसिद्धी की रोज नई ऊंचाइयों को रहे हैं चूम,
सोशल मीडिया पर मचाए रहते हैं धूम।
मन में तो है बस एक अदद मंत्रिपद की चाहत,
हो जाए कुछ जुगाड़ तो मिल जाए थोड़ी राहत।
ऋतू महेश्वरी, सीईओ, नोएडा प्राधिकरण
रंग-रोगन, साज-सज्जा से शहर को चमकाया है,
नया-नया बोर्ड लगा के अब नोएडा को अपैरल सिटी बनाया है,
यह चमक-दमक ही है अब नया विकास,
सब तरफ़ है अच्छा ही अच्छा, हर्ष और उल्लास।
नरेंद्र भूषण, सीईओ, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण
नए शहर के, नए मिजाज के, नए अफसर,
जनता से मिलते जुलते पाए जाते हैं अक्सर,
उम्मीदें हैं शहर को बहुत,
न जाने कितनी होंगी पूरी,
लेकिन नहीं बनाए रखते जनता से दूरी।
अरुण वीर सिंह, सीईओ, यमुना प्राधिकरण
बदलते देखा है पूरे शहर को धीरे धीरे,
हम तो वर्षों से बसें हैं यहीं यमुना के तीरे
हमारी ईमानदारी के किस्से बहुत हैं मशहूर,
सीधे-सच्चे अफसर ये हैं हर ऐब से कोसों दूर।
शैलेन्द्र भाटिया, ओएसडी, यमुना प्राधिकरण
कवि हृदय, अती मृदभाषी,
जेवर एयरपोर्ट, फ़िल्म सिटी के अभिलाषी,
कार्य कुशल, शब्द सौदागर,
भरते चलें प्राधिकरण की गागर।
एल वाई सुहास, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, गौतम बुद्ध नगर
बीच महामारी में थामी थी जिले की डोर,
चारों ओर था कोरोना का शोर,
कोरोना काल में काम से ही बजाया है डंका,
देख कर लोगों को फिर भी होती है उमर की शंका।
आलोक सिंह, पुलिस कमिशनर, गौतम बुद्ध नगर
लखनऊ में है कान,
ज़िले में है आँखे,
किसी के लिए है खुली,
तो किसी के लिए है बंद|
सभी का है साथ,
और 36 हाथ,
कब तक करोगे,
सभी गुंडों पर मात|
तो फिर आप भी बोलिए …
गौतम बुद्ध नगर के दसरत्नों – बुरा ना मानो होली है ।
Discover more from tennews.in: National News Portal
Subscribe to get the latest posts sent to your email.