ब्लैक फंगस को देखते हुए भारत सरकार ने जारी की एडवाइजरी, पढ़ें पूरी खबर

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कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने देशभर में कहर मचा रखा है। ऐसे में ब्लैक फंगस कोरोना के दूसरे रूप में दस्तक दे चुका है। कहीं ब्लैक फंगस भी लोगों पर कहर बनकर ना बरसे, इसको लेकर सरकार ने एडवाइजरी जारी की है।

 

सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी के मुताबिक अगर कोई कोविड – 19 से संक्रमित व्यक्ति है तो उसके उपरान्त ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस हो जाए तो वह, चेहरे नाक, साइनस, आंख और दिमाग में फैलकर उसको नष्ट कर देती है।

 

आपको बता दें, कोविड के बाद अब ब्लैक फंगस यानि म्यूकरमाइकोसिस ने पूरे देश में पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। जिसको लेकर सरकार पूरी तरफ सचेत है और उसके उपचार हेतु लगातार प्रयास किये जा रहे है।

किसे हो सकता है ब्लैक फंगस ?

1. सरकार द्वरा जारी गाइडलाइन्स के मुताबिक, कोविड के दौरान अगर किसी व्यक्ति को स्टेरॉयड, डेक्सामिथाजोन, मिथाइल प्रेडनिसोलोन इत्यादि दवा दी गयी हो तो उसे ब्लैक फंगस हो सकता है।

2- कोविड मरीज को ज्यादा समय पर ऑक्सीजन पर रखना पड़ा हो या आईसीयू में रखना पड़ा हो तो भी ब्लैक फंगस होने की संभावना है।

3- अगर किसी व्यक्ति को डायबिटीज है और उसका अच्छा नियंत्रण ना हो तो भी ब्लैक फंगस होने की संभावना है।

4- कैंसर, किडनी ट्रांसप्लांट इत्यादि के लिए दवा चल रही हो और वह कोरोना से पीड़ित है तो भी आपको ब्लैक फंगस अपनी जकड़ में ले सकता है।

क्या है ब्लैक फंगस के लक्षण?

1- अगर किसी व्यक्ति को चेहरे में एक तरफ दर्द हो रहा हो या सूजन हो या छूने पर छूने का अहसास ना हो तो यह ब्लैक फंगस के लक्षण हो सकते है।

2- किसी के दांत में दर्द हो, दांत हिलने लगें या कुछ चबाने में दर्द हो रहा हो तो यह ब्लैक फंगस के लक्षण हो सकते है।

3- अगर उल्टी में या खांसने पर बलगम में खून आये तो यह भी ब्लैक फंगस के लक्षण हो सकते है।

अगर आपको ब्लैक फंगस हो जाए तो क्या करें?

उपर्युक्त में से कोई भी लक्षण होने पर तुरंत सरकारी अस्पताल में या किसी अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाएं। नाक, कान, गले, आंख, मेडिसिन, चेस्ट या प्लास्टिक सर्जरी विशेषज्ञ से तुरंत दिखाएं और लग कर इलाज शुरू करें।

कौन-कौन सी सावधानियां आपको बरतनी है

1- स्वयं या किसी गैर विशेषज्ञ डॉक्टर के, दोस्त मित्र या रिश्तेदार के कहने पर स्टेरॉयड दवाएं जैसे- डेक्सोना, मेड्रोल इत्यादि कतई शुरू ना करें ।

2 स्टेरॉयड का प्रयोग विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ ही मरीजों को केवल 5-10 दिनों के लिए देते हैं, वो भी बीमारी शुरू होने के 5-7 दिनों बाद, केवल गंभीर मरीजों को इसके पहले बहुत सी जांच आवश्यक है।

3. लक्षण के पहले 5 से 7 दिनों में स्टेरॉयड देने से दुष्परिणाम होते हैं। बीमारी शुरू होते ही स्टेटॉयड शुरू ना करें, इससे बीमारी बढ़ जाती है।

4. इलाज शुरू होने पर डॉक्टर से पूछें कि इन दवाओं में स्टेरॉयड तो नहीं है। अगर है, तो ये दवाएं मुझे क्यों दी जा रही हैं? स्टेरॉयड शुरू होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर के नियमित संपर्क में रहें।

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