प्रतिष्ठित दिग्गजों ने महिलाओं के खिलाफ़ होने वाली हिंसा के खिलाफ़ फिल्म जगत को चुनौती दी

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भारतीय सिनेमा महिलाओं के अधिकारों के प्रति सजग है?’’ फिल्म एवं अकादमिक जगत से जुड़े दिग्गजों ने इस सवाल पर आज एक पैनल चर्चा की।

थ्तंउमभ्मतत्पहीजण्वतह के द्वारा पेश किए गए एवं बीबीसी की रूपा झा के द्वारा संचालित इस चर्चा के दौरान महिलाओं के खिलाफ़ हिंसा को दूर करने में सिनेमा की भूमिका पर विचार विमर्श किया गया। फिल्म उद्योग के द्वारा इस दिशा में कुछ सकारात्मक कदम उठाने के प्रस्ताव दिए गए।

जाँच के दायरे को विस्तारित करते हुए मीडिया एवं हिंसा पर किए गए एक अध्ययन की लेखिका डाॅ. अनुभूति यादव ने कहा, ‘‘इसमें कोई शक नहीं कि जीवन कला की नकल करता है, लेकिन इसका दायरा केवल सिनेमा तक ही सीमित नहीं है। आॅन-स्क्रीन भूमिकाओं एवं महिलाओं के वास्तविक जीवन के बीच सम्बन्ध काल्पनिक नहीं है, यह वास्तविक है। और यह दोनों तरीकों से काम करता है……. जब हमारा रोल माॅडल बदलता है, हमारा व्यवहार भी बदल जाता है।’’

हिंसा को लेकर वास्तविक जीवन एवं सिनेमा के बीच की इस तुलना पर चर्चा करने के लिए फिल्म समुदाय से पटकथा लेखकों, निर्माताओं और निर्देशकों को आमंत्रित किया गया था।

कलाकार एवं परफाॅर्मर सोना मोहापात्रा ने कहा, ‘‘एक और सिनेमा सम्भव नहीं है। यह ज़रूरी है। लेकिन बड़ी संख्या में महिलाओं को इसका बीड़ा उठाना होगा। अगर चीज़ों को बदलना है तो हमें पुरुषों के इस क्लब भारतीय फिल्म उद्योग में अपनी जगह बनानी होगी।’’

लेखक एवं पत्रकार शैरिल आई वू दून ने कहा, ‘‘महिलाओं का उत्पीड़न न तो सिनमा से शुरू हुआ था और न ही यहां पर खत्म होगा। इसलिए अगर हमें महिलाओं को इस चुनौती के लिए तैयार करना है तो इसकी शुरूआत परिवार, स्कूल और कार्यस्थल से करनी होगी।’’

थ्तंउमभ्मतत्पहीजण्वतह हाॅफ द स्काई मुवमेन्ट से प्रेरित है जिसे युनाईटेड स्टेट्स एजेन्सी फाॅर इन्टरनेशनल डेवलपमेन्ट के साथ साझेदारी में पेश किया गया है। पत्रकार निकोलस क्रिस्टोफ और शैरिल आई वू दून की पुस्तक से प्रेरित इस मुवमेन्ट में ऐसे वीडियो, वेबसाईट, गेम्स, ब्लाॅग्स एवं अन्य शैक्षणिक उपकरण पेश किए गए हैं जो न केवल महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर जागरुकता उत्पन्न करते हैं बल्कि इन समस्याओं से लड़ने और महिलाओं को सशक्त बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अभियान का लाॅन्च महिला दिवस के मौके पर सेंसर बोर्ड के एक शाॅर्ट वीडियो ‘‘अनसेंसर्ड’’ के साथ किया गया। इसके बाद ‘‘वाॅट डू इण्डियन वुमेन रिएली वाॅन्ट?’’ के माध्यम से महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर प्रकाश डाला गया। ये वीडियो 250,000 से ज़्यादा बार देखे जा चुके हैं।

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