जीबीयू में चल रहे बौध अध्ययन एवं सभ्यता संकाय पर तीन दिवसिए अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का हुआ समापन

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जीबीयू में चल रहे तीन दिवसिए अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का समापन जुटा जिसमें भारतवर्ष के लगभग सभी प्रदेशों के बौध अध्ययन एवं अन्य प्राचीन भारतीय धर्मों पे शोध करने वाले विद्वान एवं शोधार्थियों के साथ विश्व के विभिन्न देशों के शोधार्थियों ने भी भाग लिया। इस अंतरराष्ट्रीय वेबिनार में 16 देशों के विद्वानों के साथ साथ कुछ संस्थानो ने भी अपनी भूमिका निभायी जैसे वीयट्नाम के वीयट्नाम बुद्धिस्ट यूनिवर्सिटी (हुए सिटी एवं हो ची मिन्ह सिटी) एवं बुद्धिस्म टुडे फ़ाउंडेशन जिसके संस्थापक हैं प्रो थिच नहट टु, विश्व भर में वीयट्नमीज़ बुद्धिस्म के बहुत विख्यात एवं प्रकांड विद्वान माने जाते हैं। उनकी इस संस्था ने वीयट्नाम बुद्धिस्ट रीसर्च इन्स्टिटूट के साथ मिलकर बिना किसी शर्त के इस वेबिनार में प्रस्तुत की गयी शोध पत्रों को प्रकाशित करने की घोषणा कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में किया। आजकल वेबिनार तो बहुत हो रही है लेकिन उसमें प्रस्तुत की गयी शोध पत्रों को सुरक्षित रखा नहीं जा रहा। अतः अगर हम इस नज़रिए से देखा जाय तो प्रस्तुत की गयी शोध पत्रों का प्रकाशित होना एक बड़ी उपलब्धि है। और यही वजह है की डॉ सोनिया जसरोटिया, जो फ़िलहाल कम्बोडिया में आईसीसीआर द्वारा स्थापित संस्कृत एवं बौध-अध्ययन पीठ पर विज़िटिंग प्रोफ़ेसर हैं उन्होंने इस वेबिनार को “बौध विद्वानों का वर्चूअल कुम्भ” कहा।

इसके अलावा इस वर्चूअल कुम्भ में श्रीलंका, म्यांमार, ब्राज़ील, मलेसिया, अमेरिका, लाओस, कम्बोडिया, थाईलैंड, बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, साउथ कोरिया, जापान, आदि देशों के विद्वानों ने अपने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए। पिछले तीन दिनों में कूल 163 शोधपत्र प्रस्तुत हुए और साथ ही 59 प्री-रिकॉर्डेड शोधपत्रों को भी प्रतिभागियों से साझा की गयी। इस चुनौती भरे वक़्त में देश विदेश के इतने विद्वानों द्वारा भाग लेना इस बात को दर्शाता है की विद्वत लोग अभी भी अपने शोध कार्य में मशगूल हैं और अपना कार्य जारी रखे हुए हैं जो की एक अच्छी बात है।

इस वेबिनार की समापन समारोह में कई विद्वानों की सहभागिता रही वो हैं प्रो एस आर भट्ट, प्रो संघसेन सिंह, श्रीलंका से प्रो अनुरा मानातूँगा, कम्बोडिया से डॉ सोनिया जसरोतिया, ब्राज़ील से प्रो रिकार्डो ससाकी, म्यांमार से प्रो सान टुन, आईबीसी से श्री गोविंद खमपा, इत्यादि मौजूद रहे। इसी कार्यक्रम में प्रो अनुरा मानातूँगा ने यह आह्वान किया कि पुरातत्व एवं शिक्षा जगत की विद्वानों को मिल कर काम करना होगा ताकि इतिहास को सही तरीक़े से लिखने की ज़रूरत है और हमें इतिहास लिखने के लिए पुराने विद्वानों की कार्यों पर निर्भरता छोड़नी होगी।

इसी कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में ज़ेवर विधान सभा क्षेत्र के स्थानीय विधायक ‘युवा तुर्क’ श्री धीरेन्द्र सिंह भी आमंत्रित थे और उन्होंने ने अपने उद्बोधन में विश्वशांति स्थापित करने एवं कोरोना महामारी से निजात पाने में भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के महत्व पर प्रकाश डाला और अपनी इसी बार को ध्यान में रखते हुए उनके खुद के द्वारा लिखित एवं निर्देशित डॉक्युमेंटरी भी वेबिनार के प्रतिभागियों से साझा की।

इस पुरे कार्यक्रम को तीन दिनों तक ऑनलाइन संचालन एवं फ़ेस्बुक एवं यूटूब पर ऑनलाइन प्रसारण एवं तकनीकी सेवा GBU के बौधअध्ययन विभाग के शोधार्थी श्री फ़ान अन्ह डुक ने किया। सारे प्रतिभागियों ने उनका खड़े हो कर अभिवादन किया।

अंत में डॉ प्रियदरसिनी मित्रा ने धन्यवाद ज्ञापन किया जिसमें उन्होंने विद्वानों एवं प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बीपी शर्मा को धन्यवाद किया जिन्होंने इस कार्यक्रम के मुख्य विषय को अंतिम रूप दिया था और साथ ही प्रो एसके सिंह, अधिष्ठाता, बौध अध्ययन एवं सभ्यता संकाय को किया। इस पुरे कार्यक्रम की रूपरेखा एवं संचालन का मुख्य कार्य डॉ अरविन्द कुमार सिंह देखरेख एवं दिशानिर्देश में हुआ।

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