एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल ने टेन न्यूज़ लाइव में साझा की संघर्ष की दांस्ता

Ten News Network

Galgotias Ad

टेन न्यूज़ द्वारा वर्चुअल माध्यम से स्वयं सिद्धा नामक कार्यक्रम का आयोजन 10 जनवरी को किया गया जिसका संचालन मासूमा रिजवी जी ने किया । उनके साथ हेमांगी सिन्हा, संस्थापिका अर्जुन फाउंडेशन, द्यानेश्वर मुले सदस्य नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन एवं संस्थापक मूवमैंट आँफ पॉजिटिविटी फाउंडेशन भी शामिल रहे कार्यक्रम की मुख्य अतिथि लक्ष्मी अग्रवाल (एसिड अटैक पीड़िता) संस्थापिका लक्ष्मी फाउंडेशन रहीं।

कार्यक्रम के प्रारंभ में मासूमा रिजवी जी ने लक्ष्मी अग्रवाल से आग्रह किया कि वह अपने संघर्ष की कहानी बयां करें, जिस के प्रतिउत्तर में लक्ष्मी अग्रवाल जी ने बताया की यह कोरोना का दौर है इस समय सबको बड़ी परेशानियां झेलनी पड़ रही है लेकिन करोना की वजह से आप टेन न्यूज़ के माध्यम से ऐसी शख्सियत को इस शो के माध्यम से रूबरू करा रहे हैं जो आम जनमानस के अंदर आत्मबल बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं।

उन्होंने टेन न्यूज़ को आभार प्रकट किया और अब की बात प्रारंभ की उन्होंने कहा कोई व्यक्ति समाज की तभी मदद कर सकता है जब वह खुद की मदद करने के लायक हो, उन्होंने कहा भारत में एसिड अटैक एक गंभीर विषय है यह समाज के किसी भी सदस्य के साथ घटित हो सकता है उन्होंने कहा एसिड अटैक आज के दौर में ना सिर्फ लड़कियों के साथ हो रहा है बल्कि एसिड अटैक पीड़ितों में पुरुष और जानवर भी शामिल हैं।

लक्ष्मी अग्रवाल आगे बोली कि भारतीय समाज की सोच तेजाबी है, और हम इस समाज की इस सोच को बदलना चाहते हैं।

लक्ष्मी अग्रवाल ने बताया 2005 में उनके ऊपर एसिड अटैक किया गया एक 32 वर्षीय युवक ने लक्ष्मी को विवाह के लिए प्रस्ताव दिया लक्ष्मी ने कहा यह तब की बात है जब वह 15 वर्ष की थी। लक्ष्मी ने उस युवक को विवाह के लिए मना कर दिया जिसके बाद उस युवक ने लगातार उन्हें करीब 10 महीने तक परेशान किया जब लक्ष्मी ने यह बात घर पर बताई तो उन्हें घर वालों ने शांति से रहने के लिए कहा। यह सिलसिला यूं ही बना रहा लक्ष्मी दिल्ली में खान मार्केट की एक किताब की दुकान पर काम करने लगी वह अप्रैल में 22 तारीख को अपनी आम दिनचर्या के हिसाब से ही करीब 10:30 बजे दुकान पर जा रही थी तभी वह युवक और उसकी महिला मित्र उनको दिखाई दिए लक्ष्मी उन्हें नजरअंदाज करते हुए आगे बढ़ी लेकिन अचानक उन्हें आभास हुआ की कोई उनके पीछे दौड़कर आ रहा है जब तक वह पीछे मुड़ती युवक के साथ आई हुई महिला ने उन्हें धक्का मार कर गिरा दिया और एक बोतल से तेजाब निकालकर उनके मुंह पर डाल दिया लक्ष्मी ने बताया वह इसके तुरंत बाद ही बेहोश हो गई लेकिन जब वह होश में आई तो उन्हें आभास हो रहा था की जैसे उन्हें जिंदा जलाया जा रहा हो।

लक्ष्मी ने बताया जब यह घटना हुई तो उनके पास कोई नहीं आ रहा था सब दूर से तमाशा देख रहे थे पर थोड़े समय बाद वहां उपस्थित एक व्यक्ति ने उनके ऊपर करीब आधा लीटर पानी डाला और लक्ष्मी को अस्पताल ले गए लक्ष्मी ने आगे बताया कि जब वह अस्पताल पहुंची तो उनको करीब 20 बाल्टी पानी से नहलाया गया किंतु उसके बाद भी जब उनके पिता ने लक्ष्मी को गले से लगाया तो उनकी शर्ट जल गई। जिसके उपरांत लक्ष्मी का ऑपरेशन किया गया वह काफी दिनों तक अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती रहीं।
पर हालत में सुधार नहीं हुआ लक्ष्मी ने बताया वह एक सरकारी अस्पताल में भर्ती थी जहां का स्टाफ उनके पास जाने से डरता था जब उन्हें लगा की हालत में सुधार नहीं आ रहा है तो वह एक निजी अस्पताल में भर्ती हुई जहां उनके करीब पांच ऑपरेशन किए गए। 2007 तक उनकी 7 सर्जरी भी की गयी, लक्ष्मी ने कहा मैं सौभाग्यशाली हूं कि मेरी मात्र सात सर्जरी हुई है वरना एसिड अटैक से पीड़ित लड़कियों की करीब 50 से 100 सर्जरी की जाती है।

लक्ष्मी ने कहा मुझे इतने संघर्षों का सामना करना पड़ा पर मेरे माता पिता ने मेरा साथ नहीं छोड़ा वह हर समस्या का सामना करने के लिए मेरे साथ खड़े रहे। बात को आगे बढ़ाते हुए द्यानेश्वर मौली जी ने कहा भारतीय पुरुष समाज आज भी महिलाओं को अपने समान मानने में समर्थ नहीं है। वह आगे बोले कि कानून में परिवर्तन करने से कुछ नहीं होगा हमें हमारी सोच बदलनी पड़ेगी।

लक्ष्मी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जब वह अस्पताल से घर आई तो उन्हें घोर डिप्रेशन का सामना करना पड़ा वह सोचने लगी कि मैं इस चेहरे के साथ इस समाज में कैसे रहूंगी लेकिन फिर काफी सोचने समझने के बाद घरवालों के उत्साहवर्धन के बाद उन्होंने यह तय किया कि अब वह इस एसिड अटैक पर लड़ाई लड़ेंगी। जिसके बाद वह लगातार अपने लक्ष्य के पीछे कार्य करती रही और 2013 में उन्होंने एक मुहिम चलाई स्टॉप सेल एसिड बता दें कि 2013 तक भारत में एसिड खुलेआम बिक रहा था पर इस मुहिम के बाद भारत में खुलेआम एसिड बिकना बंद हो गया।

बात को आगे बढ़ाते हुए द्यानेश्वर मौली जी ने कहा भारतीय पुरुष समाज आज भी महिलाओं को अपने समान मानने में समर्थ नहीं है। वह आगे बोले कि कानून में परिवर्तन करने से कुछ नहीं होगा हमें हमारी सोच बदलनी पड़ेगी।

लक्ष्मी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जब वह अस्पताल से घर आई तो उन्हें घोर डिप्रेशन का सामना करना पड़ा वह सोचने लगी कि मैं इस चेहरे के साथ इस समाज में कैसे रहूंगी लेकिन फिर काफी सोचने समझने के बाद घरवालों के उत्साहवर्धन के बाद उन्होंने यह तय किया कि अब वह इस एसिड अटैक पर लड़ाई लड़ेंगी। जिसके बाद वह लगातार अपने लक्ष्य के पीछे कार्य करती रही और 2013 में उन्होंने एक मुहिम चलाई स्टॉप सेल एसिड बता दें कि 2013 तक भारत में एसिड खुलेआम बिक रहा था पर इस मुहिम के बाद भारत में खुलेआम एसिड बिकना बंद हो गया।

और ऐसे ही वो अब भी लक्ष्मी फाउंडेशन के माध्यम से अपने जैसी एसिड अटैक पीड़िताओं की आवाज़ उठा रही हैं और उनकी मदद कर रही हैं।

Leave A Reply

Your email address will not be published.