आर्य समाज गाॅंधी नगर का भव्य वार्शिकोत्सव सौल्लास सम्पन्न , गाजियाबाद

Galgotias Ad

आर्य समाज गाॅंधी नगर का भव्य वार्शिकोत्सव सौल्लास सम्पन्न गाजियाबाद, 29 मार्च 2015 , भारतीय नववर्श में आर्य समाज गाॅंधी नगर का भव्य वार्शिकोत्सव दिनांक 21 से 29 मार्च तक आर्य समाज मंदिर पुराना गाॅंधी नगर में धूम-धाम से मनाया गया। वार्शिकोत्सव का षुभारंभ दिनांक 21 मार्च को सामवेद पारायण महायज्ञ के साथ हुआ। डाॅ अग्निदेव षास्त्री के ब्रह्मत्व में सामवेद पारायण महायज्ञ प्रतिदिन कराया गया। जिसमें ब्रह्मचारियों एवं अनेक संस्थाओं से पधारे श्रद्धालुओं द्वारा सामवेद के पवित्र मन्त्रों के साथ आहूति प्रदान की गई । इस अवसर पर षास्त्री जी ने यज्ञ को सर्वश्रेश्ठ कर्म बताते हुये प्रत्येक ग्रहस्त को दैनिक यज्ञ करना अनिवार्य बरेली से पधारे प्रसिद्ध भजनोपदेषक पं0 भानुप्रकाष षास्त्री जी, प्रवीण आर्य, महामंत्री के0आ0यु0प0 , कृश्ण मित्र, पं0 सुमित्र आर्य, नरेष चन्द्र आदि गायक कलाकारों ने ईष्वर भक्ति व स्वामी दयानन्द के गीतों के माध्यम से श्रोताओं को मन्त्र-मुग्ध कर दिया।
वैदिक प्रवक्ता पं0 राजदेव षास्त्री जी ने वार्शिकोत्सव के दौरान मन को साधने के उपाय, जीवन में योग का महत्व, धर्म का वास्तविक स्वरूप, ईष्वर उपासना एवं महर्शि दयानन्द द्वारा समस्त समाज पर किये गये उपकारों से जनमानस को अवगत कराया और कहा कि परोपकार व ध्यान साधना के सभी कार्य जवानी से ही षुरू करने चाहिए क्योंकि वृद्धावस्था में रोगग्रस्थ होने के कारण ये कार्य हो नहीं पाते।
आचार्य रामनिवास षास्त्री जी ने बताया कि मातृभाशा, मातृभूमि का सम्मान सबको करना चाहिये। संस्कृत भाशा में वेद-उपनिशद्, दर्षन, ब्राह्मण ग्रन्थ, रामायण-महाभारत, गीता, आयुर्वेद चरख संहिता आदि महान ग्रन्थों की रचना हुई है। संस्कृत अध्ययन के बिना भारतीय संस्कृति को समझ पाना असंभव है।
वार्शिकोत्सव के दौरान भजन संध्या में देषभक्ति, राश्ट्रभक्ति एवं क्रान्तिकारी गीतों के माध्यम से षहीदे आजम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को श्रद्धासुमन अर्पित किये गये। तथा मुख्य अतिथि महापौर श्री तेलूराम काम्बोज जी ने षहीदों को याद करते हुये कहा कि हमें भारत को फिर से सोने की चिडिया बनाने के लिए संकल्प लेना होगा। ये तभी होगा जब हम महर्शि दयानन्द एवं वेद द्वारा बताये गये मार्ग इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे भा0ज0पा0 नेता श्री बलदेव राज षर्मा ने महर्शि दयानन्द को याद करते हुये कहा कि उनके राश्ट्र उद्धार, समाज सुधार, विधवा विवाह, सति प्रथा निशेध, बाल विवाह निशेध जैसे उपकारों को समाज कभी भुला नहीं सकता। विषिश्ट अतिथि डा0ॅ आर0 के0 आर्य ने कहा कि संस्कृत देवभाशा है, सभी भाशाओं की जननी है अतः भारत की प्रचीन संस्कृति एवं सभ्यता की रक्षा हेतु संस्कृत का पठन-पाठन अनिवार्य होना चाहिये।
मातृ षक्ति सम्मेलन में श्रीमती रजनी गोयल, श्रीमती मीनाक्षी गोयल, श्रीमती गिन्नी गर्ग, डाॅ लक्ष्मी भंडारी, श्रीमती संतोश आर्या आदि ने नारी सषक्तिकरण और नारी जाति पर महर्शि दयानन्द द्वारा किये गये उपकारों से महर्शि दयानन्द के प्रति उद्गार प्रकट किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे भाजपा नेता श्री अतुल गर्ग ने अपने उद्बोधन में कहा कि मुझे आर्य समाज में आकर आज बहुत प्रसन्नता हो रही है क्योंकि मेरे बाबाजी, पिताजी व माताजी आर्य समाज के अनुयायी रहे थे। आज जो धर्म के प्रतीक जितने भी पंथ हैं वे मोक्ष की बात तो करते हैं, लेकिन आर्य समाज ने ऐसी विचारधारा दी कि धर्म जितना जरूरी है उतना ही जरूरी राश्ट्र धर्म है।यानी धर्म को राश्ट्र के साथ जोड दिया। हमारा नैतिक दायित्व भी बनता है कि राश्ट्र धर्म का पालन करते हुये राश्ट्र की रक्षा करें तभी हम ध्यान साधना द्वारा ईष्वर की अनुभूति कर सकेंगे।
इस अवसर पर श्री दिनेष गोयल, चेयरमैन आर0के0जी0आई0टी0 ने कहा कि आर्य समाज में जो धर्म षिक्षा के साथ-साथ कम्प्यूटर षिक्षा निःषुल्क दे रहे हैं ये बडा ही सराहनीय प्रयास है ऐसे सेवा के कार्य निरंतर होते रहने चाहिए। वार्शिकोत्सव का कुषल संयोजन एवं संचालन मन्त्री श्री वेदव्यास जी द्वारा किया गया तथा प्रधान श्री यषपाल वासन जी ने सभी महानुभावों, अधिकारियों, कार्यकर्ताओं को भव्य कार्यक्रम को सफल बनाने में दिये योगदान व सहयोग के लिए हार्दिक धन्यवाद दिया। इस अवसर पर मुख्य रूप से सर्वश्री डाॅ गोपेष स्वरूप अग्रवाल, सत्यकेतु सिंह, मनोज वोहरा, ध्रुव
भार्गव, श्रीमती स्वर्ण वासन, श्रीमती अंजना कुमार, श्रीमती रंजना मोहन, श्रीमती पुश्पा डुडेजा, श्रीमती सावित्री सूद, श्रीमती पुश्पा बत्रा, रमेष वर्मा, षिवकुमार धवन, अषोक षास्त्री, राहुल आर्य, हर्श बवेजा एवं अन्य मातायें व अनेक समाजों एवं संस्थाओं के सदस्यों ने कार्यक्रम की षोभा को बढाया।
षान्ति पाठ के पष्चात सुस्वादु ऋशि भोज ग्रहण कर सभी ने भव्य वार्शिकोत्सव की यादों को संजाये हुये हसी-खुषी प्रस्थान किया।

Comments are closed.