एसआईटी का खुलासा, नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने सुपरटेक के साथ-साथ आम्रपाली बिल्डर को भी पहुँचाया फायदा
Ten News Network
नोएडा :- एसआईटी की जांच में दोषी पाए गए नोएडा प्राधिकरण के 24 में से करीब एक दर्जन तत्कालीन आला अधिकारी आम्रपाली मामले में भी आरोपी हैं। इन्हीं अधिकारियों ने सुपरटेक के साथ-साथ आम्रपाली बिल्डर को भी बड़े स्तर पर फायदा पहुंचाया था।
आम्रपाली मामले में प्राधिकरण की जांच में करीब 22 अधिकारी कटघरे में हैं। प्राधिकरण की यह जांच रिपोर्ट कार्रवाई के लिए शासन स्तर पर लंबित पड़ी हुई है। आरोपी अधिकारियों के खिलाफ आरोपपत्र भी जारी हो चुके हैं।
नोएडा प्राधिकरण के अधिकारिक सूत्रों की मानें तो आम्रपाली बिल्डर को फायदा पहुंचाने की जांच शासन के निर्देश पर नोएडा प्राधिकरण ने की थी। इसमें गलत तरीके से जमीन आवंटन करने और बकाया वसूली के लिए गंभीरता से प्रयास नहीं करने का आरोप नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारियों पर है। ये अधिकारी वर्ष 2007 से 2012 के बीच में नोएडा प्राधिकरण में कार्यरत रहे।
इन अधिकारियों ने आम्रपाली समूह की वित्तीय स्थिति देखे बिना ही एक के बाद एक कई भूखंड आवंटित किए। एक ही संपत्ति को बार-बार मॉर्गेज करने की अनुमति दी गई। 30 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत राशि लेकर जमीन आवंटित की।
इन अधिकारियों में तत्कालीन सीईओ, एसीईओ, ओएसडी, वित्त नियंत्रक, एजीएम से लेकर डेस्क ऑफिसर तक शामिल हैं। फिलहाल इनमें से कोई भी आरोपी अधिकारी नोएडा प्राधिकरण में कार्यरत नहीं हैं, लेकिन एक अधिकारी जिले के ही एक दूसरे प्राधिकरण में कार्यरत हैं।
सूत्रों ने बताया कि जो अधिकारी सुपरटेक मामले में दोषी पाए गए हैं, उनमें से करीब एक दर्जन अधिकारी आम्रपाली मामले में भी आरोपी हैं। इनमें सीईओ, एसीईओ व ओएसडी स्तर के अधिकारी भी शामिल हैं। सुपरटेक और आम्रपाली मामले में इन अधिकारियों की संलिप्तता सामने आ चुकी है। इन अधिकारियों ने अन्य बिल्डर परियोजनाओं को बड़े स्तर पर फायदा पहुंचाया था।
सूत्रों ने बताया कि सुपरटेक मामले में दोषी पाए गए आला अधिकारी पर्चेबल एफएआर के मामले में शिकंजे में आए। मानचित्रों में बदलाव की मंजूरी के लिए उस समय कमेटी बनी हुई थी, उसी स्तर से निर्णय होते थे, लेकिन बिल्डर को तय आवंटित से अधिक एफएआर बेचने की मंजूरी सीईओ स्तर से ही होती थी। सीईओ-एसीईओ के ही साइन संबंधित फाइल पर होते थे। ऐसे पर्चेबल एफएआर में भी हुई गड़बड़ी को एसआईटी ने अपनी जांच में सही पाया। इसी के जरिए एसआईटी की जांच में बड़े अधिकारी लपेटे में आ गए।