रोहित सरदाना को मित्रों ने दीं श्रद्धांजली, भावुक हुए सशक्त पुलिस अधिकारी रणविजय सिंह

Ten News Network

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Noida: टेन न्यूज़ लाइव द्वारा रविवार को दंगल फ़ेम तेज तर्रार पत्रकार रोहित सरदाना को श्रद्धांजलि देने हेतु रोहित सरदाना आदरांजलि कार्यक्रम आयोजित किया जिसके प्रस्तुतकर्ता राष्ट्रकवि अमित शर्मा रहे।

इस कार्यक्रम के दौरान रणविजय सिंह (एडिशनल डीसीपी ) नोएडा, संदीप दुबे (भाजपा नेता), जानेमाने लेखक आशीष प्रकाश, दुर्गेश्वरी सिंह (कथक नृत्यांगना), लेखक और पत्रकार कपिल कुमार और गजानन माली शामिल हुए।

कवि अमित शर्मा ने वरिष्ठ पत्रकार रोहित सरदाना को याद करते हुए बताया जब भी मन उदास होता था, देश में कुछ अलग – अलग घटनाये होती थी, तो मैं सीधा फोन करता था भईया को, जब बात करने बैठते थे तो घंटो गुज़र जाते थे। ऐसा कोई विषय नही था जिसपर आप उनसे बात न कर पाते हो। ऐसा कोई समस्या नही थी जिसका समाधान उनके पास न हो ।अगर मैं एक लाइन में कहूं तो मुझे बस यही कहना है कि मीडिया जगत में इस पूरे हिंदुस्तान ने एक विशिष्ट शख्सियत को खोया है । रोहित सरदाना के रूप में हमारे पास से क्या गया हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते।

”ज़माना बड़े गौर से सुन रहा था,
तुम्ही सो गए दास्ताँ कहते कहते“

 

लेखक आशीष प्रकाश ने रोहित सरदाना को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि आप सभी रोहित सरदाना को एक पर्सनैलिटी के रूप में जानते हैं जिन्होंने बड़े-बड़े सितारों से लेकर महारथियों के साथ इंटरव्यूज किए हैं लेकिन हम एक अलग रोहित को जानते थे । वो रोहित जो अपने बच्चों के साथ सोसाइटी के बाहर घूम रहा होता था, हमसे मिल रहा होता था, और हमसे बात कर रहा होता था। सोसाइटी में हम लोग काफी सोशली एक्टिव है जिन लोगों को जरूरत होती है हम उनकी मदद करते रहते थे । आज से ही नहीं 10 साल हो गए इस बात को जब वह जी न्यूज़ में “ताल ठोक के “ कार्यक्रम करते थे तब हम उन्हें कहते थे कि हम आपको आरडब्ल्यूए प्रेजिडेंट के लिए रेफर करते हैं तो वह हमें हमेशा कहते थे मैं सोसाइटी में एक आम नागरिक हूं। और मुझे आम नागरिक ही रहने दीजिए । वह बिल्कुल एक फलदार पेड़ की तरह थे जो हमेशा झुके रहते थे, उन्हें कभी किसी बात का घमंड नहीं था।

आगे उन्होंने कहा अगर रोहित को गुरूर था तो उसका था कि उसे चीजों की जानकारी भरपूर थी। वह जब भी बात करता था पूरी जानकारी के साथ करता था। उन्होंने एक बार का किस्सा बताते हुए कहा की यह आज से 3 साल पहले की बात है हमारे सोसाइटी में हमार एक मित्र हैं उसकी तबीयत एक बार अचानक खराब हो जाती है और वह ऑक्सीजन के लिए लगातार तड़प रहा होता है। जैसे ही मैं उसके पास पहुंचा मैंने देखा रोहित जी और प्रमिला भाभी पहले से ही वहां पहुंचे हुए हैं और उसको हॉस्पिटल ले जा रहे हैं। प्रमिला भाभी गाड़ी चला रही थी और रोहित पीछे उसको पकड़ कर बैठा हुआ था। जैसे ही हम हॉस्पिटल पहुंचे रोहित ने अपनी जी जान लगा दी। उसने अपने दो बुलेटिन भी उस दिन छोड़े। और वह डेली अस्पताल में उससे मिलने आता था भले ही 15 मिनट के लिए आए। हमारे और हमारी सोसाइटी के लिए ये एक बहुत बड़ा झटका है।

एडिशनल DCP रणविजय सिंह ने वरिष्ठ पत्रकार रोहित सरदाना को श्रद्धांजलि देते हुए कहा की एक के बाद एक पता नहीं कितने अपने लोग खोते चले जा रहे हैं। उन्होंने भावुक होते हुए कहा रोहित मेरा कोई कॉलेज फ्रेंड नहीं था पर जब मैं डीयू में पढ़ता था तब हमारे ग्रुप के कुछ मित्र थे जिन्होंने मीडिया जॉइन किया और जो जी न्यूज़ में काम कर रहे थे । उस समय रोहित भी जी न्यूज़ में ही था तो ऐसे ही मेरा जी न्यूज़ के बाहर आना जाना लगा रहता था । तो फिर वहां पर मेरी रोहित से मुलाकात हुई और हम देर रात घंटों बात करा करते थे चाहे वह कमिश्नर सिस्टम को लेकर हो चाहे किसी और चीज को लेकर।

हाल की ही घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने आगे बताया कि जब यह घटना घटी उस से 3 दिन पहले मेरे पास प्रमिला भाभी का फोन आया था। उन्होंने मुझसे कहा कि रोहित को बुखार आ रहा है और वह जा नहीं रहा है। तो मैं अपनी वाइफ का भी ट्रीटमेंट देख रहा था क्योंकि वह भी यथार्थ अस्पताल में पिछले 23 तारीख से भर्ती हैं । तो मुझे पता था कि सारा रूटीन क्या है और यह वायरस किस तरीके से हावी होता है । तो मैंने भाभी से पूछा कि आपने अभी तक उन्हें अस्पताल में एडमिट क्यों नहीं कराया है तो उन्होंने मुझे बताया कि हमें सीटी के लिए बोला गया है और उसके लिए हमें परमिशन भी मिल गई है। तो मैंने उन्हें बोला कि अगर किसी चीज की आवश्यकता पड़े तो आप मेरे को बता दीजिएगा मैं सारा अरेंजमेंट करा दूंगा तो उन्होंने मुझसे कहा नहीं सारी व्यवस्था हो गई है। तो मुझे लगा कि रोहित के लिए यह सारी चीजें छोटी हैं वह मैनेज कर लेगा।

आगे उन्होंने कहा यह एक ऐसा समय है जब हम सबको एक साथ मिलकर इस आपदा से लड़ने की जरूरत है लेकिन मुझे फिर भी समझ में नहीं आता यह जो हो रहा है वह आखिर क्यों हो रहा है। इस आपदा के अंदर भी कई सारे लोग कैसे हैं जो अवसर ढूंढने का काम कर रहे हैं। कालाबाजारी करने का काम कर रहे हैं कल ही मैंने ऐसे ही दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है जो ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें पहले अपने आप को सुधारना होगा तब ही समाज सुधरेगा।

दुर्गेश्वरी सिंह जो कि एक मशहूर कथक नृत्यांगना है उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार रोहित सरदाना को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि मेरा यह दुर्भाग्य रहा कि मैं रोहित जी से नहीं मिल पाई। मैंने रोहित जी को जाना और फिर उन्हें मैं जानती चली गई। उन्होंने कहा 42 साल की उम्र में रोहित जी पत्रकारिता के जगत में एक वह माइल स्टोन बने जो हर कोई मीडिया जगत का व्यक्ति बनना चाहता है। बहुत सारे लोग रोहित जी को अपना आदर्श मानते है। बहुत ही कम समय में रोहित जी उस मुकाम तक पहुंचे हैं जहां पर लोग जाना चाहते हैं। ‘एक सूरज था के तारों के घराने से उठा, आंख हैरान है क्या शख्स जमाने से उठा’ इन्हीं शब्दों के साथ उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार रोहित सरदाना को श्रद्धांजलि अर्पित की।

मेट्रो अस्पताल के चेयरमैन और पद्मभूषण डॉक्टर पुरुषोत्तम लाल भी इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में जुड़ने वाले थे लेकिन तबियत ख़राब होने की वजह से वह इस कार्यक्रम में नहीं जुड़ पाए। उन्होंने अपना संदेश टेन न्यूज़ के माध्यम से भेजते हुए कहा रोहित सरदाना मेरे परिवार के सदस्य थे हमारा परिवार एक जैसा ही रहा है। इस बात का आप इसी चीज से अंदाजा लगा सकते हैं कि आवश्यकता पड़ने पर वह हमसे मेडिकल परामर्श लेते थे लेकिन विधि के विधान के आगे हम सब बेबस हैं रोहित का अकस्मात चले जाना हम सबके लिए बहुत बड़ा नुकसान है।
मैं पिछले 6 दिन से बीमार हूं और इस सूचना के बाद मैं अपने आपको संभाल नहीं पा रहा हूं। पता नहीं इस महामारी में कितने अपनों का साथ छूटेगा। यह सोचकर अब डर सा लगने लगा है। मेरी संवेदनाएं रोहित के परिवार और उनको चाहने वाले के साथ हैं। मुझे खुशी होगी अगर मैं उनके परिवार के किसी मदद का हिस्सा बन सकूं। फिलहाल भगवान से उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना करता हूं और परिवार इस दुख को झेल सके इसकी भी दुआ करता हूं। रोहित आप हमेशा हमारे दिल में रहेंगे और आपके काम को हमेशा याद किया जाएगा। मेरे और मेट्रो अस्पताल के परिवार की तरफ से मैं रोहित को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

लेखक और पत्रकार कपिल कुमार ने वरिष्ठ पत्रकार रोहित सरदाना को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि मैं कभी रोहित जी से मिला नहीं हूं हालांकि मैंने उन्हें आज तक और ज़ी न्यूज़ पर देखा है | पिछले साल जब यह कोरोना हुआ, तो मैंने चार लाइने लिखी थी जो वह 4 लाइनें मेरे दिमाग से निकली थी वह आज के समय हिंदुस्तान पर हावी होती जा रही है। वह चार लाइन ही कुछ ऐसी थी “हम पर बरबादिया यू फिदा हो गई हैं, की दुआ भी सब बद्दुआ हो गई हैं. यू गमगीन चेहरे पर कुर्बान है जमाना, कि मुस्कुराना भी एक सजा हो गई है “ उन्होंने कहा कि हमारे देश में एक ऐसी स्थिति इस समय पर चल रही है जिस पर हम काबू नहीं पा पा रहे हैं इसके जिम्मेदार हम खुद हैं हमारे समाज में कुछ ऐसे लोग हैं जो इस आपदा में अवसर ढूंढने का काम कर रहे हैं जैसे कि एडिशनल डीसीपी रणविजय सिंह ने बताया कि कुछ लोग जो ऐसे समय में भी कालाबाजारी करने का काम कर रहे हैं उनके लिए मैं कहना चाहूंगा यह गलत है हमें ऐसे समय में लोगों की मदद करनी चाहिए ना की फायदा उठाना चाहिए। ऐसी परिस्थिति का आगे उन्होंने कहा की यह बीमारी ऑक्सीजन से ठीक होने वाली नहीं है। इसके लिए हमें अपने जीवन में कुछ चीजें अपनानी ही पड़ेगी जैसे कि ठीक तरीके से मास्क लगाना अपने आप को हर समय सैनिटाइज करते रहना यही छोटी-छोटी चीजों से हम अपने आप को और अपने परिवार को या फिर अपने समाज में लोगों को बचा पाएंगे और यही एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी हर उस परिवार को होगी जिसने अपने परिवार के किसी व्यक्ति को खोया है।

भाजपा नेता संदीप दुबे ने रोहित सरदाना को याद करते हुए कहा की हमने कभी नही सोचा था कि मुझे ऐसे बैठकर रोहित जी के बारे में इस तरीके से बात करनी होगी। मैंने अपने जीवन में जो कुछ भी आज तक हासिल किया है उसके पीछे रोहित जी का कुछ ना कुछ हाथ जरूर है। मैं आम आदमी पार्टी में था एक समय और तब उनका “ताल ठोक कर “ एक प्रोग्राम आता था। आम आदमी पार्टी की उस समय सरकार थी और जो कि चली गई थी और फिर दोबारा से सरकार बननी थी। मैं युवा नेता था उस समय मेरे पास जी न्यूज़ से कॉल आया कि आपको आना है डिबेट में तब मैं वहां पर गया था और पहली मुलाकात मेरी वहां पर रोहित जी से हुई। तो मैंने उनसे डरते हुए कहा कितने सारे यहां पर नेता है कांग्रेस के बीजेपी के तो मैं कैसे कर पाऊंगा तो उन्होंने मुझसे कहा जो दिल में आए वह बोलना और एक दम ठोक के बोलना मतलब दबना नहीं। तो उसके बाद उन्होंने मुझे एक टिप्स दी उन्होंने मुझसे कहा कि जब भी आया करो तो पढ़ कर आया करो और हाथ में कुछ लेकर भी आया करो। तो मैं उनकी टिप्स को फॉलो करता गया और धीरे-धीरे मुझे और भी चैनल बुलाने लगे। जब दोबारा उनसे मिला तो मैंने अपनी बात उनके सामने रखी। मैंने कहा कि आपके जो टिप्स है मुझे बहुत काम आ रहे हैं। रोहित भैया के पास कभी शब्दों की कमी नहीं थी। अगर कोई युवा साथी सीखना चाहिए किसी शब्द को कैसे बनते हैं रोहित भाई से हम लोग सीख सकते हैं। लेकिन आज जो सांसे उनकी कम पड़ गई यह बहुत ही दुख का विषय है। और लगता ही नहीं है कि वह हमारे बीच नहीं है मैं आज भी कहूंगा कि उस व्यक्ति में जो जज्बा था जब उसकी अस्थियों को गंगा उसी में विसर्जित किया जा रहा होगा तो उसमें से भी भारत माता की जय की आवाज आ रही होगी। उस व्यक्ति के दिल में राष्ट्र बसता था। किसी पार्टी पक्ष से दूर था वह व्यक्ति। उन्हें राजनीति की बहुत अच्छी समझ थी और सबसे ज्यादा जो उनके अंदर अच्छी बात थी कि वह बहुत ही अच्छे इंसान थे। वह जब भी किसी व्यक्ति से मिलती थी और उसके अंदर जो भी गुण मिलता था उस गुण को वह परखते थे और उस व्यक्ति को वह टिप्स भी देते थे। आखिर में उन्होंने कहा कि “बीछड़ा कुछ इस अदा से की रुत ही बदल गई, एक शख्स सारे शहर को वीरान कर गया”

टेन न्यूज़ के फाउंडर गजानन माली ने भी पत्रकार रोहित सरदाना को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा की मेरी प्रार्थना है ऊपर वाले से कि वह रोहित सरदाना जी को अपने चरणों में स्थान दें साथ ही उनके परिवार वालों और उनके चाहने वालों को यह क्षति झेलने की क्षमता दे। फेसबुक पर मेरे एक मित्र हैं आज तक के असोसीयट एडिटर पंकज शर्मा जी जिन्होंने रोहित सरदाना जी पर एक पोस्ट डाला हुआ था जिसको मैंने पढ़ा उन्ही पंक्तियां के साथ अपनी श्रद्धांजलि देता हूँ

‘अलविदा नहीं कहूंगा तम्हे, क्योंकि तुम मर नहीं सकते |

तुम जिंदा रहोगे और हम मरेंगे थोड़े-थोड़े धीरे -धीरे तुम्हारे बिना।

इस कार्यक्रम में इंडिया टुडे ग्रूप से राजदीप सरदेसाई, आज तक के असोसीयट एडिटर पंकज शर्मा और NDTV मुंबई से अभिषेक शर्मा व्यस्तता के चलते नहीं जुड़ पाए लेकिन अपनी संवेदना प्रकट करी

अंत में टेन न्यूज़ लाईव के कार्यक्रम का प्रस्तुतकर्ता कवि अमित शर्मा और प्रतिभागियों ने 11 गायत्री मंत्र का जाप कर समापन किया|

 

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