रेरा कॉन्क्लेव में नोएडा व ग्रेटर नोएडा के खरीदारों ने मुख्यमंत्री के समक्ष रखी खरीदारों की समस्याएं

Abhishek Sharma

Galgotias Ad

Noida: लखनऊ में यूपी रेरा का पहला नेशनल कॉन्क्लेव आयोजित किया गया, जिसमें नोएडा-ग्रेटर नोएडा के भी खरीदार शामिल हुए। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उपस्थित रहे। इस दौरान नोएडा-ग्रेटर नोएडा के खरीदारों ने योगी आदित्यनाथ के समक्ष अपनी परेशानियां रखी और कहा कि बिल्डरों पर फंड डायवर्जन और अंकुश लगाएं नहीं तो खरीदार इस तरह ही परेशान होते रहेंगे।

साथ ही ऐसी व्यवस्था की जाए जिससे खरीदारों को जल्द पजेशन मिले। ऐसा ना हो कि लोग जीवन भर की कमाई गंवा कर अपने आशियाने का केवल सपना ही देखते रह जाएं। मीटिंग में आम्रपाली के खरीदारों का मुद्दा भी उठाया गया। खरीदारों की संस्था नेफोवा और नेफोमा के सदस्य व अन्य खरीदार इस दौरान मौजूद रहे।

इस दौरान नेफोवा के अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने बिल्डरों पर अंकुश और आरबीआई की ओर से भी बिल्डरों पर अंकुश का सुझाव दिया। वहीं बायर्स की दूसरी संस्था नेफोमा के अध्यक्ष अन्नू खान ने कहा कि ग्रेटर नोएडा वेस्ट को बसाने का मकसद सिर्फ पैसा कमाना था।

किसी ने उन लाखों बायर्स की कभी सुध नहीं ली, जिन्होंने अपनी जिंदगी भर की कमाई देकर घर का सपना देखा था और अब भी घर का सपना ही देख रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बिल्डर और प्राधिकरण के बीच मिलीभगत कर भ्रष्टाचार चल रहा है जो रेरा के लिए इस समय सबसे बड़ी चुनौती है।

बायर्स ने कहा कि जमीन का असली मालिक आज भी प्राधिकरण है, लेकिन वो अपनी अपने दायित्वों से बचते हैं। बायर्स की शिकायतों को प्राधिकरण में नहीं सुना जाता है। बिल्डरों को जमीनी हकीकत समझे बगैर कागजों में एनओसी दे दी गई हैं। ऐसे में रेजिडेंट्स परेशान हैं। बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए प्राधिकरण ने बिल्डरों को अतिरिक्त एफएआर दिया, जिसके कारण ग्रीन एरिया खत्म हो गया है।

इसके कारण जनसंख्या बढ़ रही है, जिससे यातायात और अन्य व्यवस्थाएं अभी से चरमराने लगी हैं। ये जांच का विषय है। रेरा के आदेशों का ज्यादातर बिल्डर पालन नहीं कर रहे हैं। आदेशों का पालन कराना रेरा की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।

इससे पहले रविवार को लखनऊ में हुई देश के सभी रेरा अध्यक्षों की बैठक में रेरा कानून को और मजबूत करने का वादा किया गया। इसमें 17 राज्यों के रेरा अध्यक्षों, सदस्यों व अधिकारियों ने भाग लिया था। केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा कि लोग सवाल उठाते हैं कि रेरा को उतनी ताकत दी नहीं गई है, जितनी दी जानी चाहिए।

रेरा कॉन्क्लेव में हुए मंथन के आधार पर रेरा एक्ट में बदलाव की बातें निकल कर सामने आई हैं। रेरा को ऐसी शक्ति देने पर विचार हो रहा है, जिससे वो आगे कड़े कदम उठा सके। हमें आगे देखना है कि कहां-कहां नियमों और अधिनियम में बदलाव कर सकते हैं। रेरा में अब तक 40,000 मामले रजिस्टर्ड हो चुके हैं।

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