नई दिल्ली :- आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। आपको बता दें कि भाजपा शासित एमसीडी ने दिल्ली स्थित कारगिल सोसाइटी में बड़ी कार्यवाही की थी। बहुत सी दुकानों को ध्वस्त किया था। जिसको लेकर आम आदमी पार्टी की नेत्री ने बीजेपी पर निशाना साधा है।
आम आदमी पार्टी की नेता और शहीद मेजर अविनाश की पत्नी कैप्टन शालिनी सिंह ने कहा कि भाजपा शासित एमसीडी ने बिना नोटिस दिए कारगिल सोसायटी द्वारका में आवश्यक वस्तुओं की दुकानों को ध्वस्त कर दिया है। इस सोसायटी में सेवानिवृत्त और दिवंगत सेना अधिकारियों के परिवार रहते हैं।
उन्होंने कहा कि इस ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर सवाल उठाने पर भाजपा शासित एमसीडी के अधिकारियों ने सोसायटी के निवासियों के साथ दुर्व्यवहार किया और जेल में डालने तक की धमकी दी। भाजपा की स्थानीय निगम पार्षद रितिका शर्मा की जानकारी में एमसीडी ने कार्रवाई की है और उन्होंने हमारी कोई मदद नहीं की।
कैप्टन सिंह ने कहा कि दिवंगत सेना अधिकारियों के परिजनों ने ध्वस्त दुकानों को तत्काल ठीक कराने और इस कार्रवाई को अंजाम देने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। शौर्य चक्र से सम्मानित शहीद मेजर दीपक रावत की पत्नी अन्जू रावत ने कहा कि हम द्वारका की कारगिल सोसायटी में रहते हैं, जो 2003 में स्वर्गीय भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने शहीदों के परिजनों को दी थी। हमें मकान की चाबी देते हुए कहा गया था कि आप शहीदों के परिवार यहां पर आइए, हम आपको सभी दैनिक सुविधाएं देंगे और आपका पूरा ख्याल रखेंगे।
हम आपको कोई कमी महसूस नहीं होने देंगे। उस समय हम लोगों को एक आशा की किरण नजर आई थी कि हमारा देश हमारे साथ है। हमारे परिजनों ने इस देश के लिए जान गंवाई थी। लेकिन आज 17 साल बाद हम अपना अनुभव आप लोगों के साथ साझा करने जा रहे हैं।
शहीद मेजर दीपक की पत्नी ने कहा कि कारगिल सोसायटी में 414 फ्लैट हैं, जिनमें एनसीओ, जेसीओ, ओआर और अधिकारियों के परिजन रहते हैं। हम लोग 17 साल से वहां रह रहे हैं, लेकिन अब धीरे-धीरे एक-एक कर शहीदों के परिवार वाले उस सोसायटी को छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं। उनको इतना प्रताड़ित किया जाता है कि वो वहां नहीं रह पाते। उसका सबसे बड़ा उदाहरण मैं खुद हूं। मुझे 2018 में उस सोसायटी को छोड़ना पड़ा।
अब कारगिल सोसायटी में काफी सारे शक्तिशाली लोग आकर बस गए हैं, उनके बड़े-बड़े लोगों के साथ संबंध हैं। वो लोग हमें मजबूर करते हैं कि हम कोड़ियों के दाम में अपने घर बेच दें और वहां से चले जाएं। अगर हम वहां पर हो रही किसी भी गलत गतिविधि के खिलाफ आवाज उठाते हैं तो हमें गलत मुकदमों में फंसा दिया जाता है।