पेश है देश की वरिष्ठ समाजसेविका पद्मश्री सुनीता कृष्णन की अनोखी कहानी – साढे 23 हजार से अधिक महिला और बच्चियों को यौन तस्करी से कराया मुक्त

ROHIT SHARMA

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नई दिल्ली :– देश में कुछ ऐसे अनोखे लोग होते है, जिनकी प्रेरणा से बहुत कुछ सीखने को मिलता है । वो लोग प्रचार प्रसार के लिए काम नही करते है, सिर्फ समाजसेवा पर ध्यान होता है । उनका एक ही मकसद होता है कि किस तरह से निस्वार्थ होकर लोगों की सेवा की जाए , क्योंकि वो लोग सिर्फ सेवा को ही धर्म मानते है।

 

समाज के लिए कुछ अच्छा करने और सामाजिक बदलाव लाने में सामाजिक संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत में कई सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जो सामाजिक सुधार लाने और सामाजिक न्याय के लिए लड़ते हैं और जागरूकता अभियान, सामाजिक कार्य व अन्य गतिविधियों के जरिए समाज में बदलाव लाने की कोशिश करते हैं।

ऐसे लोग जिन्होंने समाज के लिए बहुत कुछ किया परंतु समाज उनके कार्यों से अनभिज्ञ है , ऐसे समाज के रत्नों को सबके सामने लाने का प्रयास दिल्ली की अर्जुन फाउंडेशन और मूवमेंट ऑफ़ पाजिटिविटी संस्था कर रहा है। वही आज एक बार फिर अर्जुन फाउंडेशन , मूवमेंट ऑफ़ पाजिटिविटी संस्था एक ऐसे ‘स्वयं सिद्धा’ को सामने लेकर आया है , जिससे आप बहुत कुछ सीख सकते है | आपको बता दे कि अर्जुन फाउंडेशन और मूवमेंट ऑफ़ पाजिटिविटी संस्था ने मिलकर टेन न्यूज़ नेटवर्क के प्लेटफार्म के माध्यम से  “स्वयं सिद्धा ” कार्यक्रम शुरू किया है।

 

वही इस कार्यक्रम में वरिष्ठ समाजसेवी व प्रज्ज्वला संस्था की सह संस्थापिका , पद्मश्री सुनीता कृष्णन ने मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लिया , ये वो अनोखी रत्न है, जिन्होंने सिर्फ सेवा को ही धर्म माना है । साथ ही इस कार्यक्रम में मूवमेंट ऑफ़ पाजिटिविटी संस्था के संस्थापक व राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य ज्ञानेश्वर मुले, अर्जुन फाउंडेशन की अध्यक्ष हिमांगी सिन्हा शामिल रही।

 

वही इस कार्यक्रम का संचालन शुभदा जाम्भेकर ने किया । शुभदा जाम्भेकर एक समाजसेविका , लेखिका और तेजतर्रार एंकर भी है । उन्होंने इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि से महत्वपूर्ण प्रश्न किए , जिसका जवाब दिया गया । आपको बता दें कि यह कार्यक्रम टेन न्यूज़ नेटवर्क के यूट्यूब और फेसबुक चैनल पर लाइव किया गया है।

चलते है एक नई दास्तां पर , जिन्होंने बिना प्रचार प्रसार के अनोखे काम किए। पढें वरिष्ठ समाजसेवी व प्रज्ज्वला संस्था की सह संस्थापिका , पद्मश्री सुनीता कृष्णन की कहानी :–

आपको बता दे कि सुनीता कृष्णन एक समाज सेविका हैं, जिनका जन्म 1972 में हुआ था। सुनीता को बचपन से ही समाज सेवा करना पसंद था। बचपन से ही वो उनके घर के पास स्थित गरीब बच्चों की मदद करती थी। महज 12 वर्ष की उम्र में सुनीता ने झुग्गियों में रहने वाले बच्चों के लिए स्कूल चलाना शुरू कर दिया था। हाल फिलहाल में वो एनजीओ प्रज्जवला की मुख्य अधिकारी और सह-संस्थापक भी हैं। वो यौन तस्करी की शिकार महिलाओं-लड़कियों के बचाव और उनके पुनर्वास के लिए काम करती हैं। बता दें कि सुनीता कृष्णन ने 23 हज़ार 500 से ज्यादा महिला और बच्चियों को यौन तस्करी से मुक्त करवाया है।

 

वरिष्ठ समाजसेविका सुनीता कृष्णन ने टेन न्यूज़ नेटवर्क के शो के माध्यम से बताया की बचपन से ही गांव में रहने वाले गरीब बच्चों की सेवा करने का शौक था जब 8 साल की थी तब मैने मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों को डांस सिखाना शुरू कर दिया था | 12 साल की उम्र में वंचित बच्चों के लिए झुग्गियों में स्कूल चलाती थी , 15 साल की उम्र में दलित वर्ग के लोगों के लिए कम्युनिटी नव साक्षरता अभियान चलाया |

 

उन्होंने बताया की एक दिन गांव में वह बच्चों को पढ़ाने के लिए सारे इंतजाम कर रही थी , तब उस वक्त 8 लोगों के एक गैंग को यह पसंद नहीं आया और उन्होंने कहा कि यहाँ पुरुष प्रधानता है , इसके बाद इन सभी ने मिलकर मेरे साथ गैंगरेप किया , साथ ही बुरी तरह पिटाई की , जिससे मेरा एक कान खराब हो गया , इस भयानक घटना के बाद मेरी जिंदगी दहशत और दर्द से भर गई , लेकिन मुश्किल वक्त में मैने हार नहीं मानी , बल्कि एक संस्था बनाई जो महिलाओं और लड़कियों की तस्करी के खिलाफ आवाज बुलंद करती है |

 

साथ ही ऐसी पीड़ितों को शेल्टर भी मुहैया करवाती हूँ , उस वक्त जो ठानी आज यह एक मिसाल है , मैने कॉलेज में दाखिला लिया , ताकि समाजसेविका बन सकू | सुनीता ने अपने साथ हुई घटना के बारे में खुलकर बताया कि जिस तरह से समाज में मेरे साथ भेदभाव हुआ और जिस तरह से लोगों ने मुझे देखा , मुझे इसका दुख है,  किसी ने नहीं पूछा कि उन लोगों ने ऐसा क्यों किया , वह लोग मुझसे सवाल करते थे कि मैं वहां क्यों गई , मेरे माता पिता ने  मुझे आजादी क्यों दी |

 

मुझे एहसास हुआ कि मेरे साथ ऐसा एक बार हुआ , लेकिन कई सारे ऐसे लोग हैं जिनके साथ यह हर रोज होता है | सुनीता ने कहा कि मेरे मुताबिक मानसिक प्रताड़ना और खूब हत्या से कहीं ज्यादा भयानक है कोई नहीं समझ सकता कि जो महिला बलात्कार से गुजरती है , उसे कैसा दर्द और डर सताता है |

 

जरा सोचिए जिंदगी का एक-एक पल खौफ दर्द और अकेलेपन के साथ गुजारना कितना कठिन है , यह हर सेकेंड एक मर्डर की तरह है | जिसके बाद मैने तय किया कि रेपिस्ट को सजा मिलनी चाहिए | उनके इस हिम्मत नहीं उन्हें संघर्ष करने की प्रेरणा दी , उन्होंने कहा कि समाज आपको तुच्छ समझने पर मजबूर करती है , मैं एक पीड़ित की तरह महसूस करना पसंद नहीं करती , मैं पीड़िता नहीं हूं , बल्कि फाइटर हूं | मैं इसके बारे में गर्व से बात करती हूं और आज मैं जो कुछ भी हूं , उस पर मुझे गर्व है | मैंने कोई गलती नहीं की है , मैं नहीं चाहती कि मेरा चेहरा ब्लर किया जाए,  मुझे इसके लिए शर्म नहीं आनी चाहिए | जिन लड़कों ने यह सब किया उनके चेहरे को छुपाना चाहिए और उनके चेहरे को ब्लर किया जाना चाहिए |

 

सुनीता ने बताया प्रज्जवला नाम की एक संस्था अपने भाई जोश वेटिकाटिल के साथ साल 1906 में शुरू में की । उन्होंने हैदराबाद में वेश्यावृत्ति में संलिप्त महिलाओं के बच्चों के लिए स्कूल खोलने के लिए अपने भाई को राजी भी किया | आज मुझे कर्मवीर से जाना जाता है ,  यूं ही नहीं पड़ा |

 

 

 

वरिष्ठ समाजसेविका सुनीता ने बताया की उनपर 17 बार जानलेवा हमला हो चुका है। सुनीता कहती हैं- ‘जब तक मेरी सांस है..तब तक दूसरी लड़कियां जो इस तरह से पीड़ित वेश्यालयों में हैं, उनके लिए मैं अपनी जिंदगी को कमिट करूंगी।’ सुनीता आगे बताती हैं कि उन पर ऑटो रिक्शा में हमला हो चुका है, एसिड फेंका जा चुका है, जहर खिलाने की भी कोशिश की गई है, लेकिन उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी और हर बार बाल बाल बची हैं।

 

गौरतलब है कि सुनीता को साल 2016 में देश के सर्वोच्च चौथे सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। इसके साथह ही सुनीत को मदर टेरेसा अवॉर्ड भी मिल चूका है। इसके साथ ही सुनीता का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है।

 

सुनीता कृष्णन ने बताया कि उन्होंने साढ़े तीन साल की बच्ची को भी वेश्यावृति से मुक्त करवाया है। उनकी इस बात को सुनकर कर कोई हैरान रह गया। जिस पर सुनीता कहती हैं, “मुझे मरने से डर नहीं लगता। जब तक मैं सांस लेती हूं, मैं महिलाओं की मदद करना नहीं छोडूंगी जिन्हें बचाया जा सकता है। मैंने अपना जीवन उनके प्रति समर्पित कर दिया है।

 

आगे अपनी बात को रखते हुए उन्होंने बताया वह जब भी कहीं महिलाओं को बचाने जाती हैं तो उन्हें कभी तालियां नहीं मिली, बल्कि हमेशा उनका अपमान किया गया है।

 

 

कोरोना  वायरस के कारण लॉकडाउन होने के बाद सेक्स वर्कर्स बेहद कठिनाई से गुजर रहे हैं। इनके सामने जीवन यापन का संकट तो था ही अब मानव तस्करी की समस्या भी खड़ी हो गई है. सेक्स वर्कर्स के लिए काम करने वाली पद्मश्री से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता सुनीता कृष्णन ने कहा कि लॉकडाउन और कोरोना महामारी से हम किस तरह बाहर निकलेंगे यह कोई नहीं जानता. लेकिन मुझे यकीन है कि व्यावसायिक यौन शोषण के लिए महिलाओं और बच्चों की तस्करी में बहुत तेजी से बढ़ोत्तरी होगी |

 

मूवमेंट ऑफ़ पाजिटिविटी संस्था के संस्थापक व राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य ज्ञानेश्वर मुले ने कहा कि वरिष्ठ समाजसेविका , प्रज्जवला संस्था की सह संस्थापिका , पद्मश्री सुनीता कृष्णन की कहानी बहुत ही ज्यादा प्रेरणादायक है । उन्होंने एक सबक सिखाया है कि जिनके साथ यह घटना होती है , उसमे उनकी कोई गलती नही होती , गलती होती उनकी जो इस घटना को अंजाम देते है । आज समाज के लोगों को बहुत कुछ सीखने की जरूरत पड़ेगी ।

 

उन्होंने कहा कि लोग एक ठोकर से ही घबराकर बैठ जाते है, अपनी हिम्मत को मजबूत नही करते ,जिसका बहुत ही ज्यादा गलत फायदा उठाया जाता है। आज में खुद गर्व से कहना चाहता हूँ कि वरिष्ठ समाजसेविका सुनीता कृष्णन एक महान महिला है , जिनकी प्रेरणा से बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है , आज देश को भी सुनीता कृष्णन पर नाज है ।

 

अर्जुन फाउंडेशन के अध्यक्ष हिमांगी सिन्हा ने सुनीता कृष्णन की तारीफ करते हुए कहा की आप कर्मवीर है , जो अपने कामों और कर्मों से अपनी और देश की पहचान बना रहा है , हिम्मत बनाए रखना शब्द एक स्टीक बैठता है , क्योकि हिम्मत आगे पत्थर टूट जाता है | अगर आप उस समय हिम्मत नहीं बनाए रखती तो आज इस मुकाम पर नहीं पहुँच पाती | में लोगों से सिर्फ इतना ही कहना चाहती हूँ की आप सुनीता कृष्णन की तरह बने , जो समाज को आईना दिखा सके |

उन्होंने बहुत ही ज्यादा अच्छा काम किया है । आज उन्हें पूरी दुनिया के लोग सलाम कर रहे है और आगे भी करेंगे । हमारा सौभाग्य होगा कि हम उनके साथ जुड़कर काम कर रहे है  । में यह भी चाहती हूँ कि सरकार को भी इस पहल में आगे आना चाहिए । ऐसे लोग जिन्होंने समाज के लिए बहुत कुछ किया परंतु समाज उनके कार्यों से अनभिज्ञ है , ऐसे समाज के महान लोगों को सबके सामने लाने का प्रयास दिल्ली की अर्जुन फाउंडेशन कर रहा है।

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