वेश बदलकर रहता था अपनी ही मौत का साजिश कर्ता

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ग्रेटर नोएडा। मौत का नाटक करने के बाद चन्द्रमोहन बंगलौर निकल गया था, वहां पर उसके होन्डा कंपनी में जॉब शुरु कर दिया था,जिसमें उसने अपना पता हरियाणा का दिया था। नौकरी पाने के लिए और उसे कोई पहचान न सके इसलिए चन्द्रमोहन अपना सिर मुडवा लिया था। पुलिस जब वहां पहुंची तो उसे पहचाने में कोई परेशानी नहीं हुई, क्योंकि चन्द्रमोहन का अक्सर थाने व सरकारी दफ्तरों का चक्कर लगता रहता था, इसलिए थानों की पुलिस उसे अच्छी तरह से पहचानती थी। उसने जब पहली बार फोन करके अपनी प्रेमिका की जानकारी दी तो पुलिस उसे पकड़ने के लिए पहुंच गयी थी, पुलिस को देखने के बाद वह गायब हो गया था, दुबारा फिर से 15 दिन बाद पीसीओ से फोन किया तो पुलिस बंगलोर की पीसीओ में लगी सीसी टीवी फुटेज से उसकी पहचान कर ली। एक महीना बाद प्रेमिका को संपर्क कर उसे अपने जिन्दा रहने का विश्वास दिलाया। 7 जून 2014 को वो अपनी प्रेमिका से परिचैक के पास मिला। उसने टोपी पहन रखी थी अपना मुंह बांध रखा था। अपनी प्रेमिका को भगा ले गया। इस कहानी में अभी बहुत कुछ निकलना बाकी है। जब थाना कासना में कुछ मीडिया कर्मियों ने उससे बात करनी चाही तो उसका एक ही जवाब था जल्द ही का दूध पानी का पानी हो जायेगा। चन्द्रमोहन नौ हजार रुपये में बंगलोर में होन्डा कंपनी में काम करता था, खर्चा अधिक होने की वजह से प्रेमिका को रखने में दिक्कत हो रही थी इसलिए वह उसे घर भेजना चाहता था, घर पर फोन करना उसके लिए मुशीबत बन गयी है पुलिस की गिरफ्त में आ गया।

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