कांशीराम आवास के फर्जी आवंटियों की जांच अधर मे लटकी

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ग्रेटर नोएडा (सतेन्द्र सिंह) कांशीराम शहरी गरीब आवासीय योजना के तहत फर्जी तरीके से मकान अलाॅट कराने वालों के खिलाफ जांच की रफतार धीमी पड़ गई है। अभी तक जांच पूरी नहीं होने के कारण आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है। जिससे उनके हौसले बुलंद हैं।

गौरतलब है कि बसपा सरकार के कार्याकाल में कांशीराम शहरी आवासीय योजना के तहत 1500 मकान बनाए गए थे जिसमे एक कमरा, एक बरामदा, किचन व बाथरूम आदि की सुविधा थी जिन्हेे शहरी क्षेत्र में रहने वाले बीपीएल परिवारों और बेघरों को आवंटित किया जाना था। इस योजना से नगरीय क्षेत्र के साथ सेक्टर के लोगों को भी लाभांवित कर दिया गया था। इस दौरान कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि संपन्न परिवार के लोगों को भी कांशीराम आवास का आवंटन कर दिया गया है। सूत्रों की माने तो इसकी एक सूची पूर्व मे तैनाद जिलाधिकारी को सौंपी गई थी, जिसमे 70 आवंटी की जाॅंच कें आदेष दिये थे जिसकी जांच कई माह पहले ही संपन्न हो जानी चाहिए थी, मगर अधिकारियों द्वारा बार-बार टाल-मटोल किया जाता रहा। मुख्य विकास अधिकारी ने इसकी जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम बनाई है। सीडीओ का कहना है कि सिटी मजिस्ट्रेट नोएडा, सिटी मजिस्ट्रेट ग्रेटर नोएडा और एसडीएम दादरी को टीम में शामिल किया गया है। इस टीम को एक माह का समय दिया गया है। यह टीम जांच प्रक्रिया की शुरूआत कर दी है, मगर पूरी नहीं हो सकी है। टीम ने नोएडा स्थित सेक्टर 45 में बने कांशीराम आवास की जांच की। उन्होंने बताया कि कुल 70 आवंटियों के खिलाफ फर्जीवाड़ा करने की शिकायत मिली है। इसी आधार पर टीम ने कांशीराम आवास जाकर आरोपियों के मकानों का वेरिफिकेशन किया गया था। जिसमे 70 में से 41 मकानों का स्थलीय वेरिफिकेशन पूरा कर लिया गया है। शेष मकानों का वेरिफकेशन होना है। शिकायत के आधार पर आरोप है कि इन आवंटियों के पास करोड़ों रुपये की प्राॅपर्टी है। सभी आरोपियों की प्राॅपर्टी की जांच तहसीलदारों को सौंपी गई है और तहसीलदारों द्वारा जांच भी शुरू कर दी गई है। बताया जा रहा है कि आरोपियों की प्राॅपर्टी जेवर, दनकौर, नोएडा, ग्रेटर नोएडा के साथ दूसरे जनपदों में भी है। वहीं, पिछले कुछ दिनों से जांच धीमी पड़ गई थी अब अधिकारियो के चुनाव मे व्यस्त होने के कारण जाॅंच अधर मे लटक गयी है। जिससे आरोपियों के हौसले बुलंद हैं।

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