कैदियों की समय पूर्व रिहाई पर कार्रवाई करने के निर्देश.

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प्रदेश में स्थित विभिन्न जेलों में उम्र कैद की सजा काट रहे कैदियों को समय से पहले रिहाई को लेकर दाखिल दया याचिका पर जिला स्तरीय कमिटी द्वारा कोई कार्रवाई न किए जाने पर सचिव ने नाराजगी जताई है। सचिव ने कमिटी को लम्बित प्रकरणों को शीघ्र निस्तारित करने का निर्देश दिया है और लम्बित होने के पीछे कारणों का स्पष्टीकरण मांगा है।
किसी अपराध में सिद्धदोष कैदियों जिन्हें 14 साल की सजा दी गई है, उनके द्वारा जेल अधीक्षक के यहां समय पूर्व रिहाई को लेकर दया याचिका की जाती है। इस याचिका पर डिस्ट्रिक्ट लेवल कमिटी द्वारा विचार किया जाता है और अपनी रिपोर्ट आईजी जेल को भेजा जाता है। आईजी जेल द्वारा रिपोर्ट शासन को भेजी जाती है और रिपोर्ट के आधार पर जेल में सजा काट रहे कैदियों को समय पूर्व रिहाई दी जाती है। प्रदेश की विभिन्न जेलों में 1157 कैदियों ने दया याचिका दाखिल की है। इन्हें 14 वर्ष की सजा दी गई है। इन कैदियों द्वारा रिहाइ के लिए फार्म-ए, नामिनल रोल और इनफरमिटी रोल भरा गया है। जिसमें 250 मामले जिलाधिकारी स्तर पर लम्बित हैं। 69 शासन, 25 मुख्यालय, 145 कारागार स्तर पर लम्बित है। इसमें 150 आवेदकों को पात्र नहीं माना गया है। जबकि 213 याचिका को निरस्त कर दिया है। जबकि 35 कैदियों द्वारा रिहाई से इनकार कर दिया गया है। सचिव संजय प्रसाद लम्बित दया याचिकाओं पर कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने याचिका पर समय से और प्रभावी कार्रवाई न किए जाने पर आपत्ति की है और सभी जिलाधिकारियों को प्रभावी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। साथ ही विलम्ब होने के कारणों पर स्पष्टीकरण देने को कहा है। डिस्ट्रिक्ट कमिटी के सदस्य व प्रोबेशन आॅफिसर संजय कुमार ने बताया कि जिले में तीन या चार कैदियों ने समय पूर्व रिहाई के लिए याचिका दायर की है। जिन पर कमिटी के अध्यक्ष के निर्देशों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।



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