भारतीयों से प्रभावित एक अमेरिकी लेडी आयरोन हालीवुड स्टार मुन्नी आयरोन

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story- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में इधर योग पुरस्कारों की घोषणा की तो दूसरी ओर उसका असर अमेरिका में भी दिखने लगा। हालीवुड स्टार मुन्नी आयरोन भारतीय कला, संस्कृति, जीवनशैली और योग की दीवानी बन गई हैं बीते दिनों उनका भारत दौरा एक खास मिशन को लेकर था। तभी तो बॉलीवुड स्टार उनके आसपास नजर आए।
जब बीते वर्ष संयुक्त राष्ट्र संघ ने योग को मान्यता दी तो भारतीय समुदाय में खुसी की लहर दौड़ गई। यहां तक कि विदेशों में रह रहे भारतीय मूल के लोग भी इस खबर से झूम उठे थे। अब इस बड़ी खबर का असर नजर आने लगा है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को एक तरह से प्राचीन भारत और आधुनिक युग के बीच का पुल मानना चाहिए। इसी समझ को इन दिनों सच साबित करने में जुटी हुई हैं हालीवुड स्टार मुन्नी आयरोन। आयरोन के काम करने का तरीका भी काफी हद तक पूरब और पश्चिम का अद्भूत संगम है। लखनऊ में पैदा हुईं मुन्नी के शुरुआती दिन हैदराबाद में गुजरे। फिर उनके मां बाप उन्हें लेकर सात समंदर पार अमेरिका में जा बसे। ऊर्जा से भरपूर एक साथ कई काम समेटने में माहिर मुन्नी आयरोन हालीवुड सितारों को जीवनशैली का गुर सिखाने के अलावा मुन्नी टीवी होस्ट और लेखिका भी हैं. भारत भ्रमण पर निकलने का उनका मकसद महज लोगों के होठों पर खुशी लाना है। सोच में मौलिकता की जबरदस्त उड़ान लिए हुए वे दिमाग से जो भी सोचती हैं, उसे दिल की गहराई से लागू करती हैं। उनकी कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं है, यही तो है मानवता की असली पहचान। संतुलित समाज बनाने की दिशा में आयरोन महिला का शिक्षित होना वे बेहद जरूरी समझती हैं। उनके मुताबिक, लड़कियों की शिक्षा अवश्य पूरी होनी चाहिए, क्योंकि अगर लड़की पढ़ी लिखी नहीं होगीं तो भविष्य में वह न तो अपने पारिवारिक संकटों से जूझ पाएगी और न ही आर्थिक मामलों में आत्म निर्भर बन सकेगी। उनके मुताबिक, काम के जुनून को कभी नजरअंदाज न करना ही मंजिल तक पहुंच पाने राज है।आयरोन ने कला के महत्व को समझते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्ट 4 पीस नाम से अवार्ड की घोषणा की है। फिलहाल इसे कामयाब बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय दौरे पर हैं। भारत के अलावा मलेशिया और मोरक्को को सांस्कृतिक तौर पर आयरोन बहुत ही संपन्न मानती हैं। उनका असली मकसद है आज के वैश्विक परिवेश में कला के महत्व को जाना जाए। उनकी योजना के मुताबिक, खास बात यह है कि यह अवार्ड ऑस्कर के तर्ज पर ही आठ श्रेणियों में दिया जाएगा। इनमें प्रमुख हैं सिनेमा, संगीत, बाल डिजाइन और मार्शल आर्ट। दरअसल यह पुरस्कार देने का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त और उद्यमी बनाना है. भारत के प्रतिभाओं को विश्व स्तर पर पहचान मिले, इस दिशा में लगातार कार्य कर रही हैं. उनके हिसाब से भारत प्रतिभा का बहुत बड़ा हब है, लिहाजा यह कैंपेन पूरे भारत में युद्ध स्तर पर चलाने के लिए वे प्रतिबद्ध हैं।आखिरकार भारत को ही इसके लिए उन्होंने क्यों चुना? इस सवाल पर वह कहती हैं कि भारत आध्यात्मिक गुरुओं का देश है जहां महात्मा गांधी और मदर टेरेसा जैसे महान पुरुष का जन्मस्थल है और कार्यक्षेत्र भी। हमें इन चेहरों से बहुत ऊर्जा मिलती है। खुद उनका मार्गदर्शन दीपक चौपड़ा ने किया है। विश्व शांति का अभियान चलाने वाले चीन के प्रो. होंग से मुन्नी बहुत प्रभावित हुई हैं। डॉ. होंग से पहली बार आयरोन वहां मिली थीं, जब हिल्टन विश्वविद्यालय में विश्व शांति के लिए कार्य किए जाने पर सम्मानित किया जा रहा था। इस आयोजन के दौरान आयरोन के दिमाग में विश्व शांति को बढ़ावा देने का आइडिया आया।आयरोन की प्रतिभा वाकई बहुआयामी है। एक वैचारिक व्यक्ति की तरह मुन्नी आयरोन ने जीवन की पेचिदगियों को समझाने के लिए गेट बैलेंस्ड नामक पुस्तक भी लिख चुकी हैं रचना की है, जिसमें आने वाली कठिनाइयों का सामना करने का गुर बताया गया है। इतने सारे कार्यों को करने का उद्देश्य यही है कि होमलेस व्यक्ति को किसी भी तरह से घर दिया जाए और उन्हें स्वस्थ भोजन दिया जा सके. वे मानती हैं कि पूरा शरीर ही एक तरह का मंदिर है, जिसे साफ सुथरा रखना आपके हाथ में है. तभी तो वे कुछ भी ऐसा नहीं खाती और पीती है, जिसे दुव्यर्सन पैदा होता है। आयरोन पूरी तरह संतुलित डाइट लेती हैं। दरअसल आध्यात्मिकता से जोड़कर अपनी जिंदगी में संतुलन बनाए हुए हैं। कुछ समय पहले मुन्नी को लगा कि बेवर्ली हिल्स होम उनके लिए बहुत सीमित है। लिहाजा उन्होंने गेलेनडोरा में ड्रीम होम लांच किया। उसी दौरान उन्हें समझ में आ गया कि दान से बड़ा कोई धर्म नहीं है। बस यहीं से उनकी दानवीरता की शुरूआत हो गई। आज की तारीख में मुन्नी ने अपने दरवाजे पूरे विश्व के लिए खोल दिए हैं।आयरोन इन दिनों अपने टीवी शोज वॉयस ऑफ वेवर्ली हिल्स पर कार्य कर रही हैं। इसके साथ ही वेबर्ली हिल्स स्टार परेड का भी आयोजन कर रही हैं। उनके चैरेटी की खास बात यह है कि वे लाभार्थी को इससे को सीधे तौर पर जुड़ने को कहती हैं, ताकि पारदर्शिता बना रहे और वह संतुष्ट भी रहे। अब वे पूरे भारत में घूम घूम कर इस सपने को पूरा करने में जुट गई हैं। आयरोन की हालिया सफलता ने एक बार फिर प्रमाणित कर दिया है कि मंजिल अगर सही है तो कतई फर्क नहीं पड़ता कि आप अकेले चल रहे हैं या बहुतों के साथ। आपके कदम अगर नेक हैं तो बाकी कदम खुद-व-खुद आपके हाथ हो लेंगे। इसी हकीकत की मिसाल हैं मुन्नी आयरोन।

JITENDER PAL- NEW DELHI

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