राज्यसभा में प्रतिपक्ष के उपनेता व सांसद श्री रविशंकर प्रसाद की प्रेस वार्ता में की गई टिप्पणी

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कल छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली नरसंहार में 17 लोगों की जानें गईं, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। नक्सलियों के हाल-फिलहाल के हमलों से ये अब स्पष्ट हो चुका है कि सुरक्षाकर्मियों के साथ-साथ आम जनता भी इनके निशाने पर हैं। दरअसल नक्सलियों की चेतावनी के बाद भी लोकसभा चुनाव में जनता की बढ़ती भागीदारी को देखकर वे बौखलाए हुए और गुस्से में हैं तथा आम जन पर हमला कर रहे हैं। लेकिन इस संबंध में दिल्ली में बैठे नक्सलवाद के बौद्धिक पैरवीकारों की आश्चर्यजनक चुप्पी चिंताजनक है और हम इसकी भत्र्सना करते हैं। इन पैरवीकारों में कई ऐसे भी हैं जो योजना आयोग के सदस्य हैं और कई ऐसे भी हैं जो श्रीमती सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड के सदस्य हैं। लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग से हम यह भी अपील करना चाहेंगे कि अभी जिन नक्सली इलाकों में चुनाव होना शेष है, उस क्षेत्र में सुरक्षा की विशेष रणनीति बनाए।
प्रधानमंत्री पद की गरिमा और विश्वसनीयता के साथ समझौता

प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार श्री संजय बारू की पुस्तक द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर से जो बातें जोर-शोर से उभरकर बाहर आ रही हैं, संयोगवश कुछ दिन पूर्व भाजपा द्वारा जारी आरोप पत्र में उन्हीं तथ्यों को जगह दी गई तो कांग्रेस ने काफी हंगामा खड़ा किया। लेकिन श्री बारू, जिसे प्रधानमंत्री ने स्वयं अपना मीडिया सलाहकार नियुक्त किया था, की पुस्तक से सबकुछ उजागर हो गया है। आरोप पत्र में हमने प्रधानमंत्री पद की गरिमा और विश्वसनीयता के साथ समझौता वाले शीर्षक के तहत लिखा था कि कांग्रेस ने जिस प्रकार की राजनीतिक संरचना की स्थापना की थी, वह स्वाभाविक रूप से त्रुटिपूर्ण थी। प्रधानमंत्री के रूप में डॉ. मनमोहन सिंह ने श्रीमती सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले बोर्ड के सीईओ के रूप में कार्य किया, जहाँ राहुल गांधी श्रीमती सोनिया गाँधी के डिप्टी थे। भारत की राजनीति की यह विचित्र त्रासदी रही है कि डॉ. मनमोहन सिंह अपनी कुर्सी पर बने रहने के लिए हर समझौता करने के लिए तैयार थे।

इस संबंध में देश के समक्ष तीन बातें प्रमुख हैं। पहला, संयोगवश प्रधानमंत्री जिसका जिक्र संजय बारू ने अपनी पुस्तक में किया है। दूसरा, प्रधानमंत्री पद के प्रति उदासीन रहने वाले श्री राहुल गांधी और तीसरा, प्रभावी और जवाबदेह प्रधानमंत्री के उम्मीदवार श्री नरेंद्र मोदी।
कुछ दिन पूर्व श्री राहुल गांधी का साक्षात्कार आया था जिसे ापदकमतहंतजमद स्तर का कहा गया था। लेकिन कल श्री राहुल गांधी का जो साक्षात्कार आया वह नर्सरी स्तर का भी नहीं था।

राहुल गांधी ने अपने साक्षात्कार में कहा है कि वे देश के लोगों को अधिकार देना चाहते हैं। लेकिन देश की जनता जानना चाहती कि राहुल जी जब आप अपनी माताजी के साथ मिलकर प्रधानमंत्री को शक्तिहीन बना डाला, उनके सारे अधिकार छीन लिए तो आम जनता को अधिकार कैसे देंगे?

कल भाजपा ने कांग्रेस से पांच सवाल किए थे लेकिन कांग्रेस उन सवालों पर खामोश है। इन पांच सवालों के साथ-साथ हम एक सवाल और जोड़ना चाहेंगे। जैसा कि श्री बारू ने अपनी पुस्तक में उल्लेख किया है कि जब मनरेगा जैसे विषयों को लेकर उपलब्धि की बात आती थी तो वे सदा इस बात के समर्थन में रहे कि क्रेडिट प्रधानमंत्री को मिलनी चाहिए लेकिन कांग्रेस ने कहा नहीं, क्रेडिट सिर्फ राहुल गांधी को मिलनी चाहिए, इस बात का उल्लेख श्री राहुल गांधी ने कल के साक्षात्कार में क्यों नहीं किया?

राहुल गांधी कहते हैं विनिर्माण को आगे बढ़ाएंगे। राहुल गांधी इस बात का जवाब दें कि जब वर्तमान में विनिर्माण .2 फीसदी पर आ गई है और 25 दिन के बाद आपकी सरकार जाने वाली है तो किस आधार पर कह रहे हैं कि विनिर्माण बढ़ाएंगे।
श्री राहुल गांधी उपलब्धि के तौर पर व भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए सूचना के अधिकार एक्ट की बात अक्सर करते हैं। लेकिन यह एक्ट कोयला घोटाला, काॅमनवेल्थ घोटाला और 2जी स्पैक्ट्रम घोटाला होने से पहले ही अस्तित्व में आ चुकी थी, तो फिर किसी कांग्रेसी नेता पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

श्री राहुल गांधी गुजरात का जिक्र करते हुए कहते हैं कि वहां सिर्फ एक ही कंपनी को बढ़ावा दिया जाता है। श्री गांधी को मालूम हो कि गुजरात में इस समय 5 लाख से ज्यादा छोटे-मंझोले उद्योग काम कर रही है। गुजरात की बेरोजगारी दर देश भर में निम्नतम है। दूसरी बात, गुजरात में इस समय एक तस्वीर काफी चर्चा में है और जिस एक उद्योगपति की बात वे कर रहे हैं उनके साथ उनके बहनोई भी उस तस्वीर में मौजूद हैं। इस पर श्री गांधी क्या कहना चाहेंगे?

देश में बेरोजगारी क्यों बढ़ी, महंगाई अब तक कम क्यों नहीं हुई, भ्रष्टाचार क्यों नहीं नियंत्रित हुआ, 8.5 फीसदी जीडीपी वाली अर्थव्यवस्था जो एनडीए से विरासत में मिली थी, वह 4.7 फीसदी पर कैसे आ गई, इन पर श्री राहुल गांधी कभी कुछ क्यों नहीं बोलते?

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