लोहिया गांवों के विकास कार्य को पूरा नही किसा जा सका।

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ग्रेटर नोएडा। मुख्यमंत्री की प्राथमिकता में शामिल लोहिया गांवों के विकास की गति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तीन वर्ष में पूरी प्रशासनिक टीम जुटकर भी विकास कार्यो को पूरा नहीं कर सकी है। लोहिया गांवों में पानी, बिजली, और शौचालय आधे-अधूरे रुके पडे है। सूबे की कमान संभालते हुए मुख्यमंत्री ने विकास के लिए तरस रहे गांवों को हर वर्ष लोहिया गांवों में शामिल करने व प्रत्येक वर्ष में उसे संवारने की योजना बनाई थी। जिसके तहत जनपद के वित्तीय वर्ष 2012-13 में 6 और वित्तीय वर्ष 2013-14 में 8 गांवों को चयनित किया गया था। प्रत्येक वित्तीय वर्ष में चयनित गांवों का विकास उसी अवधि में पूरा कराना था। यहां सवाल उठाना लाजिमी है कि यदि पहले वित्तीय वर्ष में चयनित गांवों में ही विकास कार्य नहीं हो सके तो आगामी वित्तीय वर्ष में चयनित गांव की स्थिति क्या होगी। हकीकत तो यह है कि पूरे तीन वित्तीय वर्ष बीत गए लेकिन चयनित गांव की स्थिति जस की तस रही। कहीं सोलर लाइट लग गए हैं, तो कहीं पर हैंडपंप। आधे-अधूरे काम जहां-तहां ठप हो गए हैं। जल निकासी की व्यवस्था ठीक नहीं हो सकी है। जहां-तहां गंदगी का अंबार लगा हुआ है। वहीं जनपद में वित्तीय वर्ष 2014-15 में चयनित गांव में निर्माण कार्य के लिए अभी तक बजट प्राप्त भी नहीं हो पाया है। बजट के अभाव में अभी तक निर्माण नहीं कराया जा सका। चयनित गांवों में विकास कार्य आधे अधूरे नजर आ रहे है। मुख्य विकास अधिकारी आरपी मिश्रा सहित जिलाधिकारी तक रोजाना लोहिया गांवों में किए जा रहे विकास की मॉनीटरिंग करते हैं। लापरवाह एवं उदासीन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए जाते है। इसके बाद भी चयनित लोहिया गांव चमक नहीं पा रहे हैं। हकीकत यह है कि जिस तरह से जिला प्रशासन की ओर से समीक्षा की जा रही है उस तरह से धरातल पर विकास नहीं दिख रहा है।

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