स्टाम्प विभाग की 100 करोड़ की वसूली कोर्ट ने रोक

Galgotias Ad

ग्रेटर नोएडा। जिले में स्टाम्प चोरी करने वालों की फेहरिस्त काफी लम्बी है। स्टाम्प विभाग ने अब तक 1800 लोगों को लिस्टेड किया है, जिनके खिलाफ वसूली की नोटिस जारी की गई है, लेकिन अधिकांश लोगों ने कोर्ट से स्टे ले लिया है, जिससे विभाग का करोड़ों रुपए का राजस्व फंस गया है।
स्टाम्प विभाग की इनकम का मुख्य जरिया प्राॅपर्टी की रजिस्ट्री से मिलने वाला स्टाम्प है, जिससे वह शासन से मिले टारगेट को पूरा करता है। प्राॅपर्टी रजिस्ट्री कराने वालों को वहां पर प्रशासन से निर्धारित सर्कल रेट के आधार पर कुल कीमत का 5 फीसदी स्टाम्प ड्यूटी देनी होती है। इसमें महिलाओं को 1 फीसदी की छूट दी जाती है। स्टाम्प विभाग की माने तो रजिस्ट्री कराने के दौरान लोग सर्कल रेट की वास्तविक स्थिति को छुपाते हैं। मसलन, यदि प्राॅपर्टी किसी सड़क के किनारे स्थित है, तो सड़क को छुपा दिया जाता है, जिससे उन्हें कम स्टाम्प ड्यूटी देनी पड़ती है। इसी तरह फ्लैट की रजिस्ट्री में भी लोग कवर्ड एरिया की वास्तविक स्थिति छुपा देते हैं। इससे स्टाम्प ड्यूटी में लाखों रुपए की बचत हो जाती है। एआईजी स्टाम्प (द्वितीय) एस.एन. राय ने बताया कि जिले में 1800 से अधिक लोगों पर स्टाम्प चोरी का आरोप है। जिन पर विभाग को करीब 137.02 करोड़ रुपए वसूली करनी है। इनके खिलाफ विभाग वसूली की नोटिस जारी कर चुका है। लेकिन अधिकांश लोग इसके खिलाफ कमिश्नर, मुख्य राजस्व नियंत्रक प्राधिकारी इलाहाबाद और हाईकोर्ट में अपील कर रखे हैं। जिससे करीब 101.57 करोड़ राजस्व पर कोर्ट का स्टे हो गया है। जब तक कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता, राजस्व की वसूली नहीं की जा सकती है। उन्होंने बताया कि कोर्ट से लम्बित वादों को शीघ्र निस्तारित कराने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं, 35.32 करोड़ की शेष वसूली में से 12.73 करोड़ रुपए की प्राप्ति की जा चुकी है। अभी 22.69 करोड़ रुपए की वसूली की जानी है, जिसका प्रयास जारी है।

Comments are closed.