ग्रेटर नोएडा : घबराए नहीं, आयुर्वेद में है कोरोना का पूरा इलाज, डॉ. डी. के गर्ग ने दी यह सलाह

Pravendra Kumar Singh / Photo & Video By Baidyanath Halder

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Greater Noida (16/03/2020) : चीन से शुरू हुए कोरोना वायरस की महामारी ने पूरे विश्व में हाहाकार मचा रखी है। चीन से शुरू हुआ यह वायरस अब विश्व के 70 से अधिक देशों में फ़ैल चुका है। वहीं अब इसका खौफ भारत में भी देखा जा सकता। यहां कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या 100 का आंकड़ा छू चुकी। केंद्र और प्रदेश की सरकारें लगातार अलर्ट जारी कर इससे बचने के लिए कदम उठा रही हैं।

कोरोना वायरस से बचाव को लेकर टेन न्यूज़ ने ईशान इंस्टिट्यूट के चेयरमैन डॉ डीके गर्ग से ख़ास बातचीत की। उनका कहना है कि कोरोना वायरस को लेकर लोग घबराए हुए हैं, लेकिन इससे घबराने की जरुरत नहीं है। क्योंकि कोरोना वायरस का कारगर इलाज आयुर्वेद में है। कोरोना वायरस का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। वही डॉक्टर समेत विशेषज्ञ कोरोना वायरस को लेकर अपनी बातें रख रहे है। साथ ही इसका इलाज भी बता रहे है |

पेश हैं डॉ डीके गर्ग से ख़ास बातचीत के मुख्य अंश कोरोना वायरस फैलने के कारण व लक्षण क्या है , क्या इसका इलाज आयुर्वेद में संभव है?

आयुर्वेद का यह मानना है कि कोई भी बीमारी तीन कारणों से हो सकती है, वात , पित्त और कफ। कोरोना वायरस मुख्यतः वात और पित्त के बिगड़ने से होता है। उसके बिगड़ने से नाक से पानी आना और खासी होनी शुरू हो जाती है। जिसके लिए आयुर्वेद में कहा गया है कि वात और कफ पर ध्यान दिया जाए , तो कोरोना वायरस से ग्रसित व्यक्ति ठीक हो सकता है। जिसके लिए आयुर्वेद में नेचुरोपैथी पर ज्यादा जोर दिया गया है।

उनका कहना है कि इस वायरस से घबराने की कतई जरूरत नहीं है। आयुर्वेद में इसका इलाज संभव है। पांच तुलसी के पत्ते, तीन ग्राम सोंठ के साथ एक गिलास पानी में उबालें। आधा गिलास रहने पर गुनगुना पीएं। दो चुटकी षडंग पानीय चूर्ण एक गिलास पानी में उबालकर दिन में दो बार पीएं। तीन ग्राम गिलोय दो ग्राम सोंठ को शरीर में दर्द होने पर एक कप पानी या दूध में उबालकर लें। लक्षण हो या न हों, बदलते मौसम में आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिक, खट्टा भोजन का सेवन न करें। रात में दही या छाछ का सेवन न करें। मांसाहार व अंडे के सेवन से बचें। गर्म पानी का ही सेवन करें। गला खराब होने व जुकाम होने पर एक चम्मच चीनी व पांच काली मिर्च चबाएं।

साथ ही उन्होंने किताब भाव प्रकाश खंड-पर जोर डालते हुए दिनचर्या प्रकरण की और केंद्रित करते हुए समझाया कि सुबह  कितने बजे उठें, मंजन कैसे करें और स्नान कैसे करें। जिससे हम स्वास्थ रहें। दिनचर्या से कोरोना का आसान सा इलाज है। नहाने से पहले गर्दन से ऊपर वाले हिस्से को 5 -6  मग्घा ठंडे पानी डालना है। क्योकि हमारे शरीर का संचालन वही से होता है। फिर पैरो पर गरम पानी डालकर बाकी बदन को स्नानं कराए। आगे तर्क देते हुए यह भी कहा कि हमारे सिर और चेहरे को कभी ठंड नहीं लगती , सर्दी बदन को लगती है।

उन्होंने आगे कहा, मेरा दावा है अगर किसी को बीस साल से खासी, जुखाम अथवा नाक का बहना , बाल झड़ते हों, ये सब बहुत आसानी से ठीक हो जायेगा , क्योकि आयुर्वेद में इस नहाने की विधि का बहुत अच्छे से विवरण है।

क्या आयुर्वेद मेडिकल इंस्टिट्यूट को सीजीएचएस द्वारा मान्यता प्राप्त हुई है? 

हम ये प्रयास कर रहे थे जो रिटायर्ड लोग हैं उनको पंचकर्मा की सुविधा उनको घर के दरवाजे पर मिले। पंचकर्मा में होता है ,मालिश करना, भाप से बॉडी को स्नान कराना एनीमा जिसमे हमारा शरीर डेटोक्सिन हो जाता है। अब हम एक वाहन और लेंगे जो 2 -3  दिन में ही लोगों को घर से ही लाने और छोड़ने की सुविधा देगी | जिससे सीजीएचएस के  माध्यम  से समस्त इलाके में घर बैठे लोगों को निशुल्क सुविधा मिलेगी और जिससे सभी को फायदा मिलेगा |

लोग आयुर्वेद का इस्तेमाल करे तो क्या मास्क की जरूरत पड़ेगी ?  

आयुर्वेद में इस तरीके के मास्कों का कोई विवरण नहीं है , क्योकि हम अपनी ही दूषित वायु  और उसके कीटाडु जो की श्वांस के माध्यम से जो निकल रहे हैं , उसको रोक रहे हैं , लेकिन में यह कहना चाहता हु की मास्क की कोई जरूरत ही नहीं है| रूमाल बाँध लो  और नीबू जेब में रखो | नीबू काटकर हाथ से रगड़लो तो आपको सेनेटिज़ेर  की जरूरत नहीं है ,देसी चीज़ों से आप खुद ही ठीक हो जाओगे |

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