कोरोना को मिटाना – राष्ट्र के अस्तित्व बचाने की लड़ाई – रचित सतीजा

Ten News Network

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Greater Noida (31/03/2020) : हिंदुस्तान को जड़ से हिला देने का इससे सुनहरा मौका नहीं हो सकता। यह बात विश्व की बर्बादी की दास्तान लिखने वाला ड्रैगन भी बखूबी जानता है और हिंदुस्तान की राजनीति में बैठे ड्रैगन के सांझेदार भी बखूबी जानते हैं।

इसलिये पुरज़ोर कोशिश चल रही है के किसी तरह से वायरस “कम्युनिटी स्प्रेड” की स्टेज पर पहुंच जाये। इतने लोग संक्रमित हो जायें के इटली की तरह स्थिति सरकार के हाथ से निकल जाये। तबाही का ऐसा मंजर हो के सरकार घुटने टेकने पर मजबूर हो जाये।

तो भईया मान लिया जाये के युद्ध केवल कोरोना से नहीं है बल्कि उन राजनीतिक ताकतों से भी है जो हिंदुस्तान में रह कर भी हिंदुस्तान की तबाही का मंजर देखने के ख्वाब पाले बैठे हैं। जो राष्ट्र भर में नकारात्मकता और डर का माहौल बना रहे हैं। जो अफवाहें फैला कर मजदूर तबके को पलायन करने पर मजबूर कर रहे हैं। जिनका लक्ष्य केवल एक ही है के वायरस कम्युनिटी स्प्रेड की स्टेज तक पहुंच जाये और स्थिति बेकाबू हो जाये।

दूजी ओर सरकार और प्रशासन कमर कसे बैठे हैं के वायरस को प्राथमिक स्टेज पर ही कंट्रोल कर लिया जाये। कोरोना की चपेट में आया एक एक आदमी सरकार के रडार पर है। विदेश से आये एक एक आदमी पर सरकार की नज़र है। यही नहीं…
अगर कम्युनिटी स्प्रेड होता भी है तो सरकार की तैयारियां मुक्कमल हैं। डॉक्टर्स…नर्सिंग स्टाफ…पेरामेडिक्स से लेकर टेक्नीशियन तक कमर कसे बैठे हैं। आइसोलेशन वार्डस तैयार हैं।

इंडियन आर्मी स्टैंडबाय पर है। आवश्यकता पड़ने पर मेरे जैसे लाखों वोलेंटियर हरसम्भव मदद करने के लिये कमर कसे बैठे हैं। पूंजीपतियों ने अपनी तिजोरियों सरकार के लिये खोल दी हैं। वतन से प्यार करने वाला हर इंसान इस लड़ाई में सरकार और प्रशासन के साथ खड़ा है।

कुल मिला कर सब समझ रहे हैं के यह राष्ट्र का अस्तित्व बचाने की लड़ाई है और लड़ाई केवल वायरस से नहीं बल्कि इस राष्ट्र के विध्वंस की चाह रखने वाली ताकतों से है।

जिन्हें लग रहा है के दिल्ली में बैठा ताऊ स्थिति संभाल नहीं पायेगा वह मेरी नज़र में निपट हैं। व्यक़्क्तिगत रूप से मैं आज भी आश्वस्त हूँ के कम्युनिटी स्प्रेड से पहले ही चेन को तोड़ दिया जायेगा। करीबन 2 महीने में स्थिति बैक टू नार्मल होगी और हमेशा की तरह राष्ट्र को खंडित करने के मंसूबे नाकामयाब होंगे।

 

याद रहे…

“कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी।
सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा।।”

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