कोर्ट ने दिए अंसल हाईटेक के खिलाफ एफआईआर के आदेश, लंबित प्रोजेक्ट की बायर द्वारा शिकायत पर कार्यवाही !

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नॉएडा – शहर में बढ़ते हुए बिल्डरों के आतंक के दिन अब समाप्त होते दिखाई दे रहे हैं , अंसल हाईटेक टाउनशिप लिमिटेड के खिलाफ दर्ज़ किये गए एक मुकदमें में ज़िले की एक अदालत ने कंपनी के छह डायरेक्टर्स के खिलाफ एफ आई आर दर्ज़ करवाने के आदेश किये हैं !  दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3 ) में  याची दिनेश दुआ द्वारा दायर की गई याचिका को सुनते हुए अदालत ने यह आदेश पारित किया।

केस के अधिवक्ता आशीष दीक्षित ने संवाददाताओं को बताया की अंसल हाईटेक ने बोड़ाकी में अपने प्रोजेक्ट सुशांत मेगापोलिस के आस्था प्राइड टावर में फ्लैट दिलवाने के एवज़ में वादी से छह लाख बीस हज़ार से ज़्यादा की रकम 2012 में ही जमा करवा ली , जिसके बाद सन 2015 में फ्लैट का पोजेसन देने की बात कही गई थी।

यह वादा भी  किया गया था की 20 प्रतिशत पैसा वादी को देना होगा और बाकी बैंक द्वारा आसान किश्तों पर दे दिया जाएगा।  जब वादी दिनेश दुआ ने बैंक से इस बाबत जानकारी मांगी तो उन्होंने साफ़ इंकार करते हुए कहा की यह प्रोजेक्ट उनके बैंक द्वारा अप्रूव ही नहीं है।

जिसके बाद वादी ने अपने पैसे मांगने शुरू किये तो बिल्डर के प्रतिनिधियों ने उल्टा उन्हें नोटिस थमा दिया की समय से पेमेंट न करने के कारण उनके द्वारा जमा किये गए पैसे जब्त कर दिए जाएंगे।  जिसके बाद वादी ने 2015 में बोड़ाकी , गौतम बुध नगर स्थित साइट पर जाकर निरिक्षण किया तो पता लगा की  वहां तो अभी निर्माण शुरू भी नहीं किया  गया है।

इस वाद के सह  अधिवक्ता रंजन तोमर एवं मनीष राजौरा  ने बताया की 2017 में भी उस जगह किसी  प्रकार का निर्माण कार्य नहीं हुआ है ! वादी द्वारा दी गई दलीलों को प्रथमद्रष्टया सच मानते हुए अदालत ने थानाध्यक्ष /प्रभारी निरीक्षक थाना दादरी को आदेश दिया है की वह इस मामले में उचित धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर नियमानुसार विवेचना करवाएं एवं कृत कार्यवाही से न्यायालय को अवगत करवाएं।

गौरतलब है की अंसल ग्रुप के खिलाफ इस क्षेत्र में यह पहली एफआईआर है !

जहाँ नॉएडा में फ्लैट खरीददार बिल्डरों से पीड़ित होकर नेताओं और प्राधिकरण की दरों की ठोकर खा रहे हैं ,वहीँ इस मामले में अदालत द्वारा उठाये गए कड़े क़दमों से खरीददारों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है और उन्हें उम्मीद की किरण नजर आई है।

अधिवक्ता आशीष दीक्षित ने बताया की यह केस बाकी विचाराधीन केसों के लिए नज़ीर का कार्य करेगा और प्रसाशन को बिल्डरों पर शिकंजा कसने में और बायर्स को न्याय दिलाने में मददगार सिद्ध होगा।

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