उद्योग बंद होने के बावजूद देनी पड़ रही है तनख्वाह, गौतमबुद्ध नगर के उद्यमियों का छलका दर्द

Abhishek Sharma

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चीन से पूरे विश्व में फैले कोरोना वायरस ने हाहाकार मचा रखा है। पूरे विश्व में अब कोरोना मरीजों की संख्या 14 लाख से अधिक हो चुकी है। ऐसे में सभी देशों की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है। वहीं कोरोना के चलते भारत में भी 21 दिन का लॉक डाउन चल रहा है। ऐसे में लोगों के जीवन यापन करने पर भी संकट आ गया है।

सभी उद्योग, कारखाने बंद कर दिए गए हैं। इसकी सबसे अधिक मार उद्यमियों पर पड़ती नजर आ रही है। फैक्ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों को लॉक डाउन पीरियड में भी तनख्वाह देने के आदेश केंद्र व राज्य सरकारों ने दिए हैं। ऐसे में जब सभी काम बंद हो गए हैं तो गौतम बुद्ध नगर में भी उद्यमी परेशान हैं, उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है।

शासन आदेश की उड़ाई धज्जियां , कर्मचारियों को मिल रही है कटके तनख्वाह

वहीं, कई मामले सामने आए हैं जहां कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों को मार्च माह की भी पूरी सैलरी नहीं मिली है। कंपनियों ने कर्मचारियों की आधी सैलरी दी है। जबकि इस संबंध में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्पष्ट निर्देश हैं कि कर्मचारियों की पूरी सैलरी दी जाए, किसी प्रकार की कोई कटौती न की जाए।

गौतमबुद्ध नगर के उद्यमियों ने लॉक डाउन में कर्मचारियों को सैलरी देने पर अपनी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी

लघु उद्योग भारती, मेरठ संभाग के महामंत्री प्रमेंद्र सिंह चौहान ने मांग करते हुए कहा कि ऐसे में जब पूरा देश लॉक डाउन है , सभी कारखाने, उद्योग , दुकानें , ऑफिस बंद कर दिए गए हैं। 22 मार्च से व्यापार पूरी तरह से ठप्प हैं, पर फिर भी व्यापारियों ने सरकार कहने पर मार्च माह की पूरी तनख्वाह अपने कर्मचारियों को दी। लेकिन कहीं से भी पैसा ना आने के कारण और देनदारियों के बढ़ने के कारण हम अप्रेल माह की तनख़्वाह देने में असमर्थ हैं।

आज के समय में कर्मचारियों का आने जाने में, बच्चों की फ़ीस, मकान का किराया, सब बच रहा हैं। कर्मचारी महीने में 3-4 छुट्टी करता था तो उसके पैसे कटते थे, अब काम भी कोई नहीं करना पड रहा हैं, और पैसे भी पूरे मिल रहे हैं। वहीं लोगों को अब सरकार से भी सहायता मिल रही हैं। कई कर्मचारी अपने गाँव चले गए है, वहाँ काम कर रहे है। वही उनका कहना है कि लॉक डाउन पीरियड में हम केवल जीवन निर्वाह भत्ता लगभग 3000 रुपये महीना ही कर्मचारियों को दे सकते हैं।

वहीं नोएडा एंटरप्रेन्योर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विपिन मल्हन का कहना है कि लॉक डाउन में सब कुछ बंद है। उद्यमी सबसे ज्यादा परेशान हैं , क्योंकि उनके सभी काम बंद हो गए हैं। उसके बावजूद कर्मचारियों को तनख्वाह देने का दबाव है। कई कंपनियां ऐसी हैं जो बैंक लोन पर निर्भर रहती हैं। उनका कहना है कि मार्च माह की सैलरी उद्यमियों ने अपने कर्मचारियों को दे दी है, लेकिन इसके बाद वह अपने कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं दे सकते हैं।

उनका कहना है कि न तो हमारा माल इंपोर्ट हो रहा है न एक्सपोर्ट, पेमेंट भी रुकी हुई हैं। ऐसे में सभी उद्यमी अपने कर्मचारियों को तनख्वाह देने में असमर्थ हैं, इसको लेकर प्रदेश सरकार द्वारा जल्दी ही कोई ना कोई फैसला जरूर लिया जाए। उद्यमियों पर अनावश्यक बोझ नहीं डाला जाए।

वहीं नोएडा में रहने वाले एनएसईजेड एंटरप्रेन्योर एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय गोयल ने अपनी राय रखते हुए कहा कि मार्च में आखिरी के 8 दिन लॉक डाउन थे। मार्च की तनख्वाह देने में उद्यमियों को कोई परेशानी नहीं हुई, लेकिन अब जब सभी कारखाने उद्योग बंद पड़े हैं। ऐसे में फैक्टरी मालिकों को अपने कर्मचारियों की तनख्वाह देने में परेशानी होगी लेकिन सरकार ने उद्यमियों के सिर से 24% टैक्स का एक बड़ा बोझ हटाकर राहत जरूर दी है।

उनका मानना है कि अभी अप्रैल के माह में उद्यमी अपने कर्मचारियों की सैलरी पीएफ, टीडीएस काटकर दे सकते हैं लेकिन इसके बाद शायद वे इसमें असमर्थ हों। इस बारे में सरकार को कोई ना कोई घोषणा जल्द करनी चाहिए।

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