ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण नहीं दे रहा है उद्यमियों पर ध्यान, शिकायत करने पर नहीं मिलता है कोई समाधान : उद्यमी ए डी पांडे

Ten News Network

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ग्रेटर नोएडा :– ग्रेटर नोएडा से बहुत सी कंपनियां पलायन कर चुकी है , साथ ही कुछ उद्यमियों ने फैक्ट्री ही बंद कर दी है , जिसके चलते बहुत से लोग बेरोजगार हो चुके है । कुछ न कुछ समस्याएं रही है , जो उद्यमियों ने यह कदम उठाया है। वही इस मामले में टेन न्यूज़ की टीम ने ग्रेटर नोएडा के उद्यमियों से खास बातचीत की ।

 

 

ए डी पांडेय, उद्यमी, ग्रेटर नोएडा ने टेन न्यूज़ से बातचीत में ग्रेटर नोएडा में हो रही उद्यमियों की परेशानियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा 30 साल हो गए ग्रेटर नोएडा को स्थापित हुए. लेकिन जो मूलभूत सुविधाएं हैं , वह अभी तक ग्रेटर नोएडा के उद्यमियों को नही मिल पाई है।

 

पहला उन्होंने कहा पब्लिक ट्रांसपोर्ट , जोकि उद्यमियों की बेसिक समस्या है, आज इंडस्ट्री सेक्टर के लिए ग्रेटर नोएडा में पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं है। दूसरा गवर्नमेंट हॉस्पिटल होना चाहिए , वह भी नहीं है। आज भी लोगों को इलाज के लिए नोएडा सेक्टर – 24 के ईएसआईसी हॉस्पिटल जाना पड़ता है ,जो ग्रेटर नोएडा से काफी दूर पड़ता है।

 

आगे उन्होंने कहा अगर आपको कोई भी छोटा सा हार्डवेयर का काम कराना हो तो , उसके लिए आपको नोएडा सेक्टर-10 निर्भर होना पड़ता है। जो किसी ने ध्यान नही दिया , ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने इन समस्याओं को आज तक खत्म नही किया।

 

आगे उन्होंने बातचीत में कहा इंडस्ट्रियल सेक्टर की जो सडके हैं , वह पूरी तरीके से टूट गई है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को इसके बारे में कई बार अवगत कराया गया , लेकिन वह सूंनते ही नहीं।

 

आगे ए डी पांडे ने बताया कि जो मुख्य समस्या है वह है कूड़ा निस्तारण और जो ग्रेटर नोएडा में ग्रीन बेल्ट बनाई गई है , वहां पर लोगों ने अवैध तरीके से झुग्गी झोपड़ी बनाकर अतिक्रमण कर लिया है , जिसके बारे में उन्होंने कई बार ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को बताया लेकिन इस पर किसी भी तरह की कोई सुनवाई नहीं हो पाई।

 

 

उन्होंने कहा जब हम विजिटर्स को यहां पर लेकर आते हैं , तो वह लोग यहां की झुग्गी झोपड़ियों को देखकर अपना प्लान बदल देते हैं। आगे उन्होंने बातचीत में बताया कि इंडस्ट्रीज पर बर्डन दिया गया है माननीय कोर्ट की तरफ से एक आर्डर दिया गया था सन 2011 में कि किसानों को एडिशनल कंपनसेशन दिया जाना चाहिए।

 

लेकिन इसके बारे में इंडस्ट्रीज को अथॉरिटी की तरफ से 2019 में बताया गया उस पर 2011 से लेकर 2019 तक का ब्याज के साथ पैसे मांगे जा रहे हैं। उन्होंने कहा एक तरह से इसमें छोटे कारोबारियों का दोहन किया जा रहा है।

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