डायबिटीज’ के कारण हो सकती हैं गंभीर बीमारियां

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GREATER NOIDA TENNEWS REPORTER LOKESH GOSWAMI 

डॉ. मनोज कुमार, कंसल्टेंट, डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी विभाग, जेपी हॉस्पिटल, नोएडा

यदि कोई व्यक्ति डायबिटीज से ग्रस्त हो जाता है तो यह बीमारी उसके लिए एक धीमे जहर का काम करती है। व्यक्ति को बीमारी का पता नहीं चलता और वह बीमार बना रहता है। जब बीमारी गंभीर स्थिति में पहुंच जाती है तब लोग डॉक्टर के पास परामर्श के लिए आते हैं। यह गलत है क्योंकि डायबिटीज के प्रति लापरवाही के कारण लोगों को अन्य कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर जेपी हॉस्पिटल में सेवारत डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के कंसल्टेंट डॉ, मनोज कुमार ने लोगों को यह महत्वपूर्ण जानकारियां दी। डॉ. मनोज कुमार के अनुसार, “यदि मधुमेह की शुरुआती अवस्था के लक्षण के प्रति सावधान रहा जाय तो बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है। बीमारी की शुरुआती अवस्था में अत्यधिक प्यास, अत्यधिक भूख, नजर का धुंधलापन, बार-बार पेशाब लगना (रात में 3 बार या उससे अधिक बार पेशाब लगना), थकान (खासकर खाना खाने के बाद), चिड़चिड़ापन, घाव न भरना या धीरे-धीरे भरना जैसे लक्षण सामने आते हैं।”डॉ. मनोज ने यह भी बताया कि मधुमेह 6 प्रकार के होते हैं जिनमें अलग-अलग लक्षण सामने आते हैं-1.        टाइप–।- इसमें मरीज को रक्त में ग्लूकोज का स्तर सामान्य बनाए रखने के लिए नियमित रूप से इंसुलिन के इंजेक्शन लेने पड़ते हैं। यह रोग प्रायः किशोरावस्था में पाया जाता है और यह ऑटोइम्यूनिटी के कारण होता है।

2.        टाइप-।।- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार लगभग 90% मधुमेह रोगी टाइप-।। डायबिटीज के ही होते हैं। इस रोग में अग्नाशय इंसुलिन बनाता तो है लेकिन इंसुलिन कम मात्रा में बनती है, अपना असर खो देती है या फिर अग्नाशय से ठीक समय पर छूट नहीं पाती जिससे रक्त में ग्लूकोज का स्तर अनियंत्रित हो जाता है। इस प्रकार के मधुमेह में जेनेटिक कारण भी महत्वपूर्ण हैं।

3.        कुपोषण जनित मधुमेह- कुपोषण से ग्रस्त व्यक्ति में अग्नाशय पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता। रोगियों को इंसुलिन के इंजेक्शन देने पड़ते हैं। मधुमेह के टाइप–। रोगियों के विपरीत इन रोगियों में इंसुलिन के इंजेक्शन बंद करने पर कीटोएसिडोसिस विकसित नहीं हो पाता।

4.        इंपेयर्ड ग्लूकोज टोलरेंस- जब रोगी को 75 ग्राम ग्लूकोज का घोल पिला दिया जाए और रक्त में ग्लूकोज का स्तर सामान्य तथा मधुमेह के बीच हो जाए तो यह स्थिति आई.जी.टी कहलाती है। इस श्रेणी के रोगी में प्रायः मधुमेह के लक्षण दिखाई नहीं देते लेकिन ऐसे रोगियों को भविष्य में मधुमेह हो सकता है।

5.        गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज- गर्भावस्था के दौरान होने वाली मधुमेह जैस्टेशनल डायबिटीज कहलाती है। 2-3% गर्भावस्था में ऐसा होता है। इसके दौरान गर्भावस्था में मधुमेह से संबंधित जटिलताएं बढ़ जाती हैं तथा भविष्य में माता तथा संतान को भी मधुमेह होने की आशंका बढ़ जाती है।

6.        सेकेंडरी डायबिटीज- जब अन्य रोगों के साथ मधुमेह हो तो उसे सेकेंडरी डायबिटीज कहते हैं। इसमें अग्नाशय खराब हो जाता है जिससे इंसुलिन का स्राव असामान्य हो जाता है।

जेपी हॉस्पिटल के डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि इसके अलावा मधुमेह होने के और भी कई कारण होते हैं लेकिन कुछ उपाय द्वारा लोग इस बीमारी पर रोक लगा सकते हैं या बीमारी पर नियंत्रण पा सकते हैं-

1. मधुमेह ज्यादातर मोटापे के कारण होती है। इससे बचने के लिए शरीर के वजन को बढ़ने नहीं देना चाहिए।

2. व्यायाम ऐसी दवाई है जो मधुमेह पर काबू पाने में बहुत मद्दगार साबित होती है। रोज़ व्यायाम करने से शरीर का मेटाबलिज्म अच्छा रहता है जो डायबिटीज की संभावना को कम करता है।

3. चीनी का कम से कम इस्तेमाल शरीर में इन्सुलिन को संतुलित करने का काम करता है।

4. ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट नहीं खाएं। सफेद चावल, पास्ता, पॉपकॉर्न, राइस पफ और वाइट फ्लौर से बचें। फाइबरयुक्त आहार भी ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है।

5. धूम्रपान नहीं करने से स्वास्थ्य ठीक रहता है।

6.  मधुमेह मरीजों को ताज़ी सब्जियां खानी चाहिए। ताज़ी सब्जियों में आयरन, जिंक, पोटेशियम, कैल्शियम और अन्य आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो हमारे शरीर को पोषक तत्व प्रदान करते हैं। इससे हमारा हृदय और नर्वस सिस्टम स्वस्थ रहता है तथा शरीर आवश्यक इंसुलिन बनाता है।

7. थोड़े-थोड़े अन्तराल में भोजन करने से शरीर को अधिक पोषक तत्व प्राप्त होते हैं जो इन्सुलिन को सामान्य करने का काम करते हैं।

8. लाल मांस बहुत देर से पचता है साथ ही मेटाबलिज्म को धीमा कर इंसुलिन के बहाव पर असर डालता है।

9. जिन लोगों को मधुमेह है उन्हें हाई प्रोटीन डाइट खानी चाहिए क्योंकि ये शरीर के एनर्जी लेवल को नियंत्रित करता है।

10.  मधुमेह रोगियों को रोजाना चेकअप कराना चाहिए। रोज़ चेकअप होने से ब्लड शुगर लेवल पता रहता है।

11.अच्छी नींद से डायबिटीज का खतरा कम रहता है। नींद मस्तिष्क को शांत और हर्मोन्स को बैलेंस रखता है।

12.  मिलावटी ड्रिंक शुगर लेवल बढ़ाती है। यह डायबिटीज रोगियों के लिए खतरनाक साबित होती है।

13.सूर्य की रोशनी में पाया जाने वाला विटामिन-डी प्राकृतिक इन्सुलिन बनाता है।

एक आंकड़े के अनुसार भारत में 4.5 करोड़ व्यक्ति डायबिटीज (मधुमेह) के शिकार हैं। इस आंकड़े में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। बीमारी पर अंकुश लगाने के लिए बहुत जरूरी है कि सभी व्यक्ति बीमारी के होने के कारणों और पीड़ित होने की अवस्था में बीमारी पर काबू पाने के तरीकों से अवगत हों।

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