दिल्ली कमेटी द्वारा हरी नगर में विशेष गुरमति समागम आयोजित किया गया

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नई दिल्ली, (1 सितंबर 2015): सिख पंथ के महान जरनैल बाबा बंदा सिंह बहादुर की तीसरी शहीदी शताब्दी को समर्पित दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी, द्वारा आयोजित किए जा रहे श्रृंखलाबद्ध समागमांे की लड़ी के तहत हरीनगर में विशेष गुरमति समागम आयोजित किया गया जिसमें पंथ प्रसिद्ध कीर्तनीए भाई मनप्रीत सिंह कानपुरी, श्री दरबार साहिब के हजुरी रागी भाई इंद्रजीत सिंह ने कीर्तन तथा गुरुद्वारा शीशगंज साहिब के हजूरी रागी ढाडी ज्ञानी हरभजन सिंह ने ढाडी प्रसंगों के द्वारा संगतों को निहाल किया।

कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अवतार सिंह हित ने इस अवसर पर बाबा जी की लासानी शहादत से प्रेरणा लेते हुए संगतों को गुरमति के रास्तें पर चलने का संदेश दिया। कमेटी के संयुक्त सचिव अमरजीत सिंह पप्पू ने दिल्ली कमेटी द्वारा बड़े स्तर पर शहीदी शताब्दी को मनाने के लिए की जा रही तैयारीयों के बारे संगतों को परिचत कराया।
धर्मप्रचार कमेटी के चेयरमैन परमजीत सिंह राणा ने संगतों को कौम के शहीदों का इतिहास अपने बच्चों तक पहुंचाने की अपील करते हुए सिर्फ गुरू ग्रंथ साहिब के आगे अपना शीश निवाने की प्रेरणा की। राणा ने समाजिक समरस्ता की बात करते हुए कहा कि बाबा जी ने गुरू गोबिन्द सिंह जी से अमृत की दात प्राप्त करके गुरू साहिब के छोटे पुत्रों के शहीदी के दोषियों को हराकर जहां खालसा राज की स्थापना की थी वहीं भूमिहीन किसानों को जमीनों का मालिकाना हक देकर समाज के भेदभाव को दूर किया था।
माता साहिब कौर जी की याद को समर्पित विशेष गुरमति समागम करवाया गया
 
नई दिल्ली, (1 सितंबर 2015): दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सहयोग से गुरबाणी विरसा सम्भाल सत्संग सभा दिल्ली तथा समस्त स्त्री सत्संग सभाओं द्वारा गुरू गोबिन्द सिंह जी की धर्मपत्नी माता साहिब कौर की याद को समर्पित विशेष गुरमति समागम गुरद्वारा बाला साहिब मेें करवाया गया।
इस समागम में जहां स्त्री सत्संग जत्थों द्वारा गुरबाणी कीर्तन की हाजरी लगवाई गई वहीं कमेटी की धर्मप्रचार के चेयरमैन परमजीत सिंह राणा ने गुरबाणी गायन करके संगतों को निहाल किया। सभा की प्रधान नरिन्द्र कौर द्वारा राणा को सिरोपा तथा यादगारी चिन्ह देकर सम्मानित किया।
संगतों को सम्बोधित करते हुए राणा ने दिल्ली कमेटी द्वारा कौम में अहम हिस्सा देने वाली बीबीयां एवं गुरु पत्नीयों की याद में कमेटी द्वारा करवाये जा रहे समागमों के साथ भी जोड़ा। माता साहिब कौर को खालसा पंथ की माता कहलाने का सौभाग्य हासिल होने की बात करते हुए राणा ने माता जी द्वारा निडरता के साथ कौम के किए गये नेतृत्व को भी याद किया। सिख कौम में अहम हिस्सा डालने वाली स्त्रीयों के इतिहास से प्रेरणा लेते हुए राणा ने संगतों को अपनी समृद्ध विरासत पर गर्व करने की भी अपील की।

 

 

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