नहाने योग्य भी नही है पवित्र पावनि “सरयू”

Ten News Network

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By शुभम कुमार गुप्ता

 

बड़हलगंज: गोस्वामी तुलसीदास ने राम चरित मानस मे जिस सरयू नदी की बखान ‘उत्तर दिश बह सरयू पावनि’ लिख कर किया है, वही इस समय मैली हो गई है। कभी अमृत कहा जाने वाला सरयू जल पीने तो दूर नहाने योग्य भी नही हैं। इसका खुलासा एक आरटीआई के जरिये हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आरटीआई के जवाब में उक्त बात की पुष्टि की है।

गोरखपुर जनपद के बड़हलगंज उपनगर निवासी एलएलबी छात्र व आरटीआई एक्टिविस्ट शिवम कुमार गुप्ता ने केंद्रीय पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को सरयू नदी से सम्बंधित नौ महत्वपूर्ण बिंदुओ पर आरटीआई के माध्यम से पत्र लिखकर जवाब मांगा था। जिनमे सरयू नदी में वर्ष 2020 तक कितनी डॉल्फिन मछलियां हैं? क्या सरयू नदी का जल पीने व नहाने योग्य है? वर्ष 2013 के मुकाबले सरयू नदी कितनी स्वच्छ हुई? सरयू नदी की गुणवत्ता सुधारने व प्रदूषण मुक्त करने के लिए कौन कौन सी परियोजना चलाई जा रही है? सरयू नदी को पीने व दैनिक उपयोग में लाये जाने व प्रदूषण मुक्त करने के लिए कितनी राशि जारी की गई आदि जैसे प्रमुख सवाल किये गये थें। जिसके जवाब में मंगलवार को प्राप्त उत्तर में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से कहा गया है कि सरयू नदी में डॉल्फिन के संख्या के विषय की जानकारी बोर्ड के पास उपलब्ध नहीं है। इसके साथ नदी की स्वच्छता व गुणवत्ता के सवाल पर बोर्ड ने जवाब दिया है कि सरयू नदी का जल मल प्रदूषण के कारण नहाने के लायक नही है। इसके साथ ही बोर्ड ने बताया है कि सरयू नदी का पानी आक्सीकरण, निस्पंदन और कीटाणुशोधन के माध्यम से रासायनिक और जैविक प्रदूषकों को हटाने के पारंपरिक उपचार के बाद ही उपयोग के लिए फिट हैं। बोर्ड के द्वारा प्राप्त जवाब के अनुसार सरयू नदी के जल का डीओ लेवल वर्ष 2013 में जहां 8-10 मिलीग्राम प्रति लीटर था तो वहीं 2019 में बढ़कर 9-10.8 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गया। इसके अतिरिक्त सरयू नदी का तापमान भी तेजी से बढ़ रहा है। 2013 में जहां 13-22 डिग्री सेल्सियस था तो वहीं 2019 में 16-26 डिग्री सेल्सियस हो गया। बोर्ड ने बताया है कि सरयू नदी में जल गुणवत्ता की निगरानी मुख्य स्नान घाट अयोध्या में सिर्फ एक स्थान पर की जाती है।

प्राप्त जवाब को लेकर विधि छात्र शिवम ने कहा कि सरयू नदी को पुराणों में मान्यता प्रदान की गई है। एक तरफ सरकार नदियों को स्वच्छता को लेकर बड़ी से बड़ी बातें व करोड़ों-अरबों रुपये खर्च करती है वहीं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से प्राप्त यह जवाब सरकार के विरुद्ध सवाल खड़ा करते हैं। सरकार को सरयू की पवित्रता बनाये रखने के लिए मुस्तैदी के साथ कदम उठाना चाहिए।

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