ग्रेटर नॉएडा के पार्कों की पड़ताल, जनता त्रस्त, पार्क बेहाल ! ख़ास रिपोर्ट

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आशीष केडिया
लोकेश गोस्वामी
(17/06/2017 ) : करीब छब्बिस साल पहले जब ग्रेटर नॉएडा की स्थापना हुई थी तो इस शहर को उद्यानों, फौवारों और साफ़-सफाई से भरपूर एक विश्वस्तरीय मॉडल शहर के रूप में बनाने की योजना थी। परन्तु आज इतने सालों बाद ये बढ़ता हुआ शहर अपने इस मूलभूत लक्ष्य को रास्ते में कहीं दूर पीछे छोड़ आया लगता है।
आज हमने ग्रेटर नॉएडा के विभिन्न सेक्टर्स में स्थित कई उद्यानों का निरिक्षण करके उनकी दशा जानने की कोशिश की।
नीचे मौज़ूद विस्तृत रिपोर्ट में आप देख सकते हैं इन पार्कों की वो बदहाल स्थिति जिससे हम रूबरू हुए और जिससे जनता रोज परेशान होती है।
आपको बता दें की अभी कुछ दिन पहले ही ग्रेटर नॉएडा के एक पार्क में बिजली के नंगे तारों में उलझ कर एक पुलिस विभाग में कार्यरत नौजवान की मृत्यु हो गई थी।
आख़िर क्या मज़बूरी है और क्या वो कारण है जिसकी वजह से स्वच्छ वातावरण, स्वच्छ हवा और खुला हरा भरा  परिवेश देने के उद्देश्य से बने ये पार्क आज मौत की वज़ह बन रहे हैं?

हजारों करोड़ों के रख-रखाव के बजट वाले इस शहर में इन पार्कों को पार्क जैसा बनाए रखना इतना मुश्किल क्यों है ? और कौन है इसका जिम्मेदार ?
जब हमने शहर के अलग-अलग वेलफेयर एसोसिएशन से जुड़े लोगों से बात की तो सबका दुःख-दर्द लगभग एक सा ही निकला।  कहीं किसी ने जितना हो सकता है उतना पार्क मेंटेनेंस अपने हाथ में ले लिया है तो कहीं लोगों ने पार्क में आना जाना ही पूरी तरह बंद कर दिया है।
सेक्टर पी-3 के निरिक्षण के दौरान हमने वहां की वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव अधिवक्ता आदित्य भाटी से भी बातचीत की।  उन्होंने सेक्टर्स के पार्कों की दयनीय स्थिति दिखाते हुए जानकारी दी की लगातार सम्बंधित अधिकारीयों से बातचीत और अनुरोध के बाद भी स्थिति ज्यों की त्यों बानी हुई है. लगभग हर पार्क में जलभराव, बाउंड्री वॉल का टुटा होना और आवारा जानवरों का घूमना अब सामान्य स्थिति बन चूका है.
बरहाल अगर सिर्फ जनसँख्या की बात की जाए तो ग्रेटर नॉएडा अभी एक बढ़ता हुआ शहर है और आने वाले कुछ सालों में यहाँ की मूल -आबादी में बढ़त की प्रबल संभावना है। आज जनसँख्या अनुपात कम होते हुए भी अगर यहाँ की मूलभूत सुविधाओं की स्थिति ऐसी है तो आने वाला वक़्त किसी बुरे सपने कम नहीं होगा।
अभी भी वक़्त है की हम शहर के इन खूबसूरत उद्यानों को जिन्दा रखने की कोशिश फिर से शुरू करें।  यही वो पेड़-पौधे-उद्यान जो कल जिन्दा रहे तो आपको अपने घरों में एयर-फ़िल्टर लगाने से बचा सकते हैं। अन्यथा बोतल -बंद पानी के बाद अब मशीन वाली ऑक्सीजन भी लेने के लिए तैयार रहिये।
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