कोविड की जमीनी सच्चाई: सरकारी दावों से ईतर है नोएडा के धरातल का सच

Ten News Network

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वर्ष 2021 एक बुरे सपने की तरह प्रतीत हो रहा है। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसने पिछले एक महीने में अपने किसी परिचित, मित्र या परिवार में किसी के परलोकगमन की दुःखद खबर ना सुनी हो। परन्तु अगर भारत सरकार के आंकड़े देखें जाएँ तो सिर्फ 2 लाख 20 हजार के करीब लोगों ने कोविड 19 की वज़ह से अपनी जान खोई है। सोचने वाली बात है तो हर रोज हो रही सिर्फ इन्ही 3-3.5 हजार मौतें से सारे कब्रिस्तान- शमसान भरे पड़े हैं?

लगभग यही हाल हर जिले, कस्बे, राज्य का है और उत्तर प्रदेश के शो विंडो नोएडा की स्थिति भी ज्यादा अलग नही है।

जहाँ एक तरफ प्रशासन के दावे के अनुसार ऑक्सीजन, बेड, दवाई, इलाज इत्यादि की कोई कमी नहीं है वहीं सोशल मीडिया तो अभी भी बेड, इत्यादि की माँग से पटे पड़े रहते हैं। आखिर कौन हैं ये लोग जिन्हें प्रसाशन की अद्भुत व्यस्था नहीं नजर आ रही। या कहीं ऐसा तो नहीं कि ये सब दावे सिर्फ कागज़ी है?

धरातल पर उतर कर देखें तो स्थिति और भी गंभीर है। अभी थोड़े दिन पहले ही एक महिला ने एक बड़े हॉस्पिटल के पार्किंग लॉट में बिना ऑक्सीजन के दम तोड़ दिया। पर मजाल है कि किसी जिम्मेदार व्यक्ति की आंखों में शर्म का एक आँसू भी आया हो। गलती मानना गलती सुधारने की तरफ पहला कदम होता है। पर उक्त अस्पताल ने गलती स्वीकारना तो दूर, एक लिपापोती वाला प्रेस रिलीस जारी कर पल्ला झाड़ने की कोशिश की।

परन्तु ऐसा नहीं है की नोएडा- ग्रेटर नोएडा में कुछ हो ही नहीं रहा। सोशल मीडिया पर एक विधायक जी ने बेहद धूम मचा रखी है। वे हर सूचना एकत्र कर संबंधित अधिकारी को भेजने का दावा करते हैं और अगर आपके पास ब्लू टिक एकाउंट या बड़ी संख्या में फ़ॉलोवेरशिप होती तो आपकी सच में मदद भी करते हैं। एक दुसरे विधायक जी ने भी कुछ दिन सोशल मीडिया के द्वारा लोगों की मदद करने की कोशिश की परन्तु कुछ गिने-चुने लोगों की मदद तक खुद को सीमित रखा। अभी भी वो गाए-बगाहे किसी-किसी की मदद करते नजर आ जाते हैं। तीसरे विधायक जी के बारे में कहना ही क्या। उन्होंने पिछले चार साल में ही ऐसा कुछ नहीं किया कि जनता को उनसे कोई ज्यादा उम्मीद हो। और वो इस त्रासदी के बीच भी इस नाउम्मेदगी पर पूरे खरे उतर रहे हैं।

और शहर की ये बदहाली तब है जब यहां के प्रभारी मंत्री, प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री भी हैं। साथ ही यहां के सांसद, एवं पूर्व मंत्री जी के खुद के अनेकों अस्पताल हैं। जब से महामारी का दूसरा दौर शुरू हुआ है तब से प्रभारी मंत्री का यहाँ दौरा तो दूर, किसी ऑनलाइन मन्त्रणा की बात भी सामने नहीं आई। स्वास्थ मंत्री के खुद के आधिपत्य वाले क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था का यह हाल अवश्य चौकानें वाली बात है।

प्रशाशनिक अमले ने खैर आज चिरनिद्रा तोड़ कर एक वर्चुअल मीटिंग करी है। समय पर शहर में लॉकडाउन क्यों नही लगा, इतने बेहतरीन अस्पताल, स्वास्थ व्यवस्था, बड़ा बजट होते हुए भी जनता को इतनी परेशानी क्यों हुई जैसे जरूरी बातों पर प्रसाशन को आत्ममंथन की अत्यंत आवश्यकता है। साथ ही आवश्यकता है अब सब अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों को साथ आ कर गौतम बुद्ध नगर के निवासियों को इस महामारी से उबारा जा सके। पर जैसे कहते हैं, उम्मीद पर दुनिया क़ायम है, तो हम भी सिर्फ उम्मीद ही कर सकते हैं।

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