जानिए 12वी की परीक्षा को लेकर क्या है छात्र, अभिभावक समेत स्कूल प्रबंधक का मत | टेन न्यूज़ की विशेष रिपोर्ट

Ten News Network

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नई दिल्ली :– केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड बारहवीं कक्षा की परीक्षा को रद्द कर सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शिक्षा मंत्रालय कोरोना वायरस की वजह से पैदा हुई वर्तमान स्थिति की समीक्षा कर रहा है और बोर्ड परीक्षा को रद्द करने पर विचार कर रहा है। बताया जा रहा है कि सीबीएसई द्वारा अगले दो सप्ताह के भीतर बोर्ड परीक्षा रद्द करने की घोषणा की जा सकती है। इसे लेकर समीक्षा की जा रही है।

 

शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा कि बारहवीं कक्षा की परीक्षा के रद्द होने की संभावना है। उनका कहना है कि कोरोना की वजह से पैदा हुई वर्तमान स्थिति को देखते हुए परीक्षा को पूरी तरह से रद्द करने की संभावना है। सीबीएसई स्थिति की समीक्षा करेगा और संभवत: बारहवीं कक्षा के छात्रों के लिए एक वैकल्पिक मूल्यांकन योजना तैयार की जाएगी।

 

बोर्ड के ही एक दूसरे वरिष्ठ अधिकारी ने भी इस पर सहमति जताई है कि कोरोना वायरस की वजह से पैदा हुई वर्तमान स्थिति बेहद खराब है और ऐसे में बोर्ड परीक्षा का आयोजन कराना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि हालांकि इस पर अंतिम निर्णय जून में समीक्षा के बाद ही लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति ऐसी नहीं है कि किसी भी वक्त परीक्षा का आयोजन हो सके।

 

वही इस मामले में टेन न्यूज़ नेटवर्क ने एक परिचर्चा का आयोजन किया, जिसका विषय रहा “क्या सीबीएसई कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा 2021 को कोविड के मद्देनज़र रद्द कर दिया जाना चाहिए?”| इस कार्यक्रम में ग्रेटर नोएडा के सर्वोत्तम स्कूल की प्रिंसिपल व निदेशिका डॉ प्रियंका मेहता, अभिभावक अर्चना गजभिए, 12वी छात्रा शामिल हुए | इस परिचर्चा का संचालन एमिटी विश्वविद्यालय के उपनिदेशक प्रोफेसर विवेक कुमार ने किया | प्रोफेसर विवेक कुमार ने महत्वपूर्ण प्रश्न पैनल से किए, जिसका जवाब पैनल द्वारा दिया गया |

 

प्रोफ़ेसर विवेक कुमार ने कहा “सभी को जानकारी है कि पिछले दिनों 12वीं की जो परीक्षाएं थी, उनको स्थगित कर दिया गया था | सीबीएसई ने 12वीं की बोर्ड परीक्षा स्थगित कर दी थी, लेकिन अभी इस समय में कोरोना महामारी की जो स्थिति है, उसको देखकर लगता है की जून अंत तक यह परीक्षाएं करना संभव नहीं होगा”|

 

“कल ही सुप्रीम कोर्ट में इसके सम्बन्ध में याचिकाएं दायर की गई है जिसमें माननीय सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि केंद्र सरकार को यह निर्देश दिए जाएं की इन परीक्षाओं को रद्द कर दिया जाए, क्योंकि जून के अंत तक परीक्षा संभव कराना नहीं है और उसके बाद यूनिवर्सिटीज और हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट में जुलाई में एडमिशन की प्रक्रिया आरंभ हो जाती है, बहुत सारे अभिभावक यह उच्चतम न्यायालय में अन्य प्लेटफार्म से अनुरोध कर चुके हैं की परीक्षाएं वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए रद्द की जानी चाहिए” |

 

डॉ प्रियंका मेहता ने कहा “आज की जो स्थिति बन रही है वह बच्चों के लिए काफी मुश्किल है, उन्हें यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर वह क्या करें, अक्सर देखा गया है जो 12वीं के छात्र होते हैं, जब एग्जाम देते हैं उसके बाद जो रिजल्ट आता है, उस पर डिपेंड होते है कि उन्हें क्या करना है, क्योंकि उनके कैरियर का सवाल होता है”।

 

डॉ प्रियंका मेहता ने कहा “अगर हम 12वी के बच्चों को ऑनलाइन परीक्षा करवाते है, तो उसमें बहुत से ऐसे बच्चे है जहाँ नेट की सुविधा नही है, उन बच्चो को भी बहुत बड़ा नुकसान होगा। साथ ही उन्होंने कहा की प्री बोर्ड के एग्जाम भी हम बहुत कठिन करवाते है, जिससे बच्चे की तैयारी के बारे में पता चलता है, लेकिन अभी तक प्री बोर्ड एग्जाम भी नही हुआ, क्योंकि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर फरवरी से शुरू हो गई थी”।

 

“बीते एक साल से छात्र घरों पर हैं और उनकी परीक्षाएँ नहीं हो पाईं। महामारी से हमने काफ़ी कुछ सीखा है और उम्मीद कर रहे हैं कि परीक्षाओं से पहले मामलों में कमी आएगी। इन सबके बीच सुरक्षित तरीक़े से परीक्षा करवाने के बारे में विचार किया जाना चाहिए”।

 

डॉ प्रियंका ने कहा “अगर 12वीं की ऑफलाइन परीक्षाएं जून या जुलाई में होती हैं, तो स्कूल अपनी तरफ से पूरी तैयारी करेग , जैसे कि पहले भी स्कूल अपनी तैयारी पूरी कर चुका था, जिससे बच्चों के एग्जाम सही तरह से हो सके। साथ ही उन्होंने कहा की अभी जो देखा गया है कि हर घर में कोई ना कोई सदस्य कोरोना से संक्रमित है या 12वीं के छात्रों के परिजनों की कोरोना से मृत्यु हुई है, जिसके चलते बच्चों को सदमा बैठा हुआ है, यह एक बड़ा कारण है जो स्कूल समेत बोर्ड के अधिकारी समझ रहे हैं” |

 

अभिभावक अर्चना गजभिए ने कहा कि “कोरोना संक्रमण के कारण 10वीं बोर्ड की परीक्षा सभी बोर्ड ने रद्द कर दी है, लेकिन 12वीं को लेकर अभी तक अंतिम फैसला नहीं आया है। संभवत: जून के पहले सप्ताह में इस पर बोर्ड फैसला ले। परीक्षा को लेकर 12वीं के विद्यार्थी उहापोह की स्थिति में हैं। उन्हें अब करियर की चिंता सताने लगी है”।

 

“परीक्षा को लेकर तनाव बढ़ने लगा है। अभिभावकों की भी परेशानी कम नहीं है। विद्यार्थी और अभिभावक सभी चाहते हैं इसपर अंतिम फैसला जल्द हो। साथ ही उन्होंने कहा कि परीक्षा पर अंतिम निर्णय नहीं होने से न तो छात्र पढ़ाई कर पा रहे हैं और न ही करियर के बारे में कुछ प्लान कर पा रहे हैं”।

 

अर्चना गजभिए का कहना है कि “कॉलेज की शुरुआत के लिए खुद को तैयार करने का भी समय नहीं मिल पाएगा। नामांकन और आगे की पढ़ाई आदि को लेकर कुछ नहीं सोच पा रहे हैं। अभिभावकों को बच्चों की सुरक्षा की चिंता सबसे अधिक है। हालांकि, वे भी बच्चों की आगे की पढ़ाई को लेकर परेशान हैं”।

 

“अधिकांश अभिभावक चाहते हैं कि परीक्षा ली जाए, लेकिन सुरक्षा का प्रबंध भी कम न हो। संभव हो तो ऑनलाइन ही परीक्षा हो। कई अभिभावकों ने यह भी कहा कि यदि 10वीं बोर्ड की परीक्षा रद्द कर दी गई, तो उसी समय 12वीं की भी रद्द कर देनी चाहिए थी। कम से कम तनाव तो नहीं होता। बच्चे आगे के लिए खुद को तैयार करने की कोशिश करते”।

 

“बच्चे आनेवाली प्रतियोगी परीक्षाओं को लेकर ज्यादा चिंतित हैं। अर्चना गजभिए का कहना है कि इस समय बच्चों का फोकस प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी पर होना चाहिए, लेकन वे अपने बोर्ड की परीक्षा को लेकर असमंजस्य में हैं। इससे उनकी पढ़ाई पर विपरीत असर पड़ रहा है। आनेवाले दिनों में जब प्रतियोगी परीक्षाएं शुरू होंगी, तो उसकी तैयारी मुक्कमल नहीं हो पाएगी”।

 

विद्यार्थी आद्या कक्कड़ ने कहा कि “12 वी एग्जाम जरूर होने चाहिए, हमें अपने कैरियर की चिंता है, बगैर एग्जाम के छात्र अपना कैरियर नहीं बना सकते है | साथ ही उन्होंने कहा ऑनलाइन एग्जाम में वह छात्र पास हो जाएंगे, जिन्होंने पूरी साल पढ़ाई नहीं की और आखिर में नकल करके ऑनलाइन एग्जाम में पास हो जाएंगे” |

 

आध्या कक्कड़ ने कहा “हमें थोड़ा इंतजार करना चाहिए, क्योंकि स्कूल प्रशासन द्वारा ऑफलाइन एग्जाम हो सकता है, क्योंकि उन्होंने पहले भी बड़े स्तर पर तैयारी कर रखी थी, मैं मानती हूं कॉलेज में एडमिशन थोड़ा लेट होगा, लेकिन सही विद्यार्थी को कॉलेज में प्रवेश मिल सकता है, अगर वह ऑफलाइन एग्जाम देकर पास होता है”।

 

“12वीं को लेकर अभी तक अंतिम फैसला नहीं आया है। संभवत: जून के पहले सप्ताह में इस पर बोर्ड फैसला लेगा। परीक्षा को लेकर 12वीं के विद्यार्थी ऊहापोह की स्थिति में हैं। अब हमे करियर की चिंता सताने लगी है। कॉलेज की शुरुआत के लिए खुद को तैयार करने का भी समय नहीं मिल पाएगा। नामांकन और आगे की पढ़ाई आदि को लेकर कुछ नहीं सोच पा रहे हैं। अभिभावकों को बच्चों की सुरक्षा की चिंता सबसे अधिक है। हालांकि हम सब आगे की पढ़ाई को लेकर परेशान हैं”।

 

गौरतलब है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर की वजह से सीबीएसई बोर्ड ने दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा को रद्द कर दिया है। अब दसवीं कक्षा के छात्रों को आंतरिक मूल्यांकन के जरिए पास किया जाएगा। बोर्ड की तरफ से 20 जून तक दसवीं कक्षा का रिजल्ट भी जारी कर दिया जाएगा। हालांकि बारहवीं कक्षा की परीक्षा को रद्द करने को लेकर अभी तक बोर्ड की तरफ से कोई निर्णय जारी नहीं किया गया है।

 

बता दें कि सीबीएसई बोर्ड के साथ ही आईसीएसई बोर्ड ने भी दसवीं कक्षा की परीक्षा को रद्द कर दिया है। हालांकि, अभी बोर्ड ने बारहवीं कक्षा की परीक्षा पर कोई फैसला नहीं लिया है। वहीं, कई राज्य बोर्डों ने भी कोरोना वायरस के कारण संक्रमण दर बढ़ने के चलते दसवीं कक्षा की परीक्षा को रद्द कर विद्यार्थियों को आंतरिक मूल्यांकन के जरिए पास करने की घोषणा कर दी है।

 

कई एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि कोरोना वायरस की वजह से पैदा हुए हालात ऐसे नहीं है कि बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा का आयोजन कराया जा सकें। ऐसे में बोर्ड को बारहवीं की परीक्षा के लिए प्लान बी तैयार रखना चाहिए।

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