बिन मैदान प्रतिभाओं के सपने अधूरे .

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ग्रामीणांचल के युवा भी राष्ट्रीय स्तर पर खेलों में अपना लोहा मनवा सकते हैं। उनमें भी जोश और प्रतिभा की कमी नहीं है। लेकिन ऐसे में सुविधाएं उपलब्ध न होने के कारण युवाओं में मायुसी छाई हुई है। सुविधाएं न मिलने के कारण वह हौसलों की उडान में पिछड रहे है। गौरतलब है कि जिले में युवा वर्ग कई वर्षो से खेल सुविधाओं से महरूम हैं। षासन स्तर से संचालित योजनाओं के तहत मिलने वाला खेल सामान ग्रामीण अचलों में नहीं पहुच रहा है। खेल सामान वितरित न होने के कारण ष्षासन स्तर से उभरती प्रतिभाओं को निखारने की योजना विफल होती नजर आ रही है। मालूम हो कि पायका योजना बंद हो चुकी है। इसके बाद सरकार ने दुसरी योजना का संचालन किया है।  इसके साथ ही युवा कल्याण विभाग ग्रामों में खेल सामान वितरण का काम करता है। विभाग की मानें तो कई बार गांवों में जाकर खेल सामान का वितरण किया गया। वहीं गांवों में युवाओं खेल सामान के वितरण को नकार रहे है। ग्रामीण बच्चों के अंदर खेल प्रतिभा उजागर करने के लिए तमाम योजनाएं चलायी जा रही हैं। जिसका लाभ युवाओं को नहीं मिल पा रहा है। जिले के कई गांवों में युवाओं को खेलने के लिए मैदानों की व्यवस्था भी नहीं है। और जहां खेल मैदान बने है वहां खेल मैदानों की हालत बेहद दयनीय हो गयी है। ज्यादातर खेल मैदानों पर लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है। जिस कारण युवा वर्ग में मायुसी पसरी हुई है। साथ ही  वर्तमान समय में जिले में अगर कही मैदान है भी तो वहां पूरे मैदान में लोगों को धान पीटने पर फराल डालकर ढक दिया है। ग्रामीण अचलों में खेलों के प्रति प्रषासन व विभाग की बेरूखी से युवा वर्ग में आक्रोश व्याप्त है। जिला युवा कल्याण अधिकारी प्रदीप कुमार दुबे ने बताया कि 15 दिसंबर के बाद युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए ब्लाॅक स्तर पर खेल आयोजित हांेगे। इस दौरान ग्रामीण युवा खिलाडि़यों की समस्या सुनने के बाद उनके निस्तारण करने की योजना विभाग बनाएगा। पिछले दो वर्षो से बजट की कमी के कारण  गांवों में खिलाडियों को समस्याओं का सामना करना पड़ा।

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