क्या किंग मेकर बनेगी बसपा?

> चन्द्रपाल प्रजापति
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> एग्जिट पोल के नतीजों ने यूपी के सियासी गणित की गुत्‍थी सुलझाने के बजाय उलझा दिया है। ज्‍यादातर पोल ने यह तो दिखाया कि यूपी में बीजेपी के नंबर वन पार्टी बनने के आसार हैं लेकिन साथ ही ये आंकड़े बताते हैं कि वह बहुमत के जादुई आंकड़े तक शायद पूरी तरह से कामयाब नहीं हो पाए। बस यहीं से यूपी की सियासत के 360 डिग्री घूमने की सुगबुगाहट तेज हो गई है। इसके बीच यूपी से एक बड़ी खबर यह आ रही है कि अखिलेश ने चुनाव के बाद बसपा से गठबंधन की संभावना से इनकार नहीं किया है। बीबीसी हिंदी से बातचीत करने के दौरान अखिलेश यादव ने यह बात कही। यानी एक दूसरे को ‘बुआ’ और ‘बबुआ’ कहने वाले अखिलेश यादव और मायावती एक दूसरे के साथ गठबंधन कर सकते हैं। हालांकि बसपा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह चुनाव नतीजों के बाद जरूरत के आधार पर अपना फैसला करेंगे। एग्जिट पोल के अनुमानों के बीच सपा-बसपा के संभावित गठबंधन की चर्चाओं पर अमर सिंह ने कहा है कि सपा और बसपा नदी के ऐसे दो किनारे हैं जो साथ बह तो सकते हैं लेकिन मिल नहीं सकते।
> 1993 में बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव और बसपा प्रमुख कांशीराम ने गठजोड़ किया था. उस समय उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश का हिस्सा था और कुल सीट थीं 422, मुलायम 256 सीट पर लड़े और बीएसपी को 164 सीट दी थीं। चुनाव में सपा और बसपा गठबंधन जीता। एसपी को 109 और बीएसपी को 67 सीट मिली थीं इसके बाद मुलायम सिंह यादव बीएसपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने। लेकिन, आपसी मनमुटाव के चलते 2 जून, 1995 को बसपा ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया और समर्थन वापसी की घोषणा कर दी। भारत की राजनीति मे कलंक गेस्ट हाउस कांड के बाद ये मनमुटाव की खाई और गहरी हो गयी।
> अब मौजूदा परिदृश्‍य में सबकी निगाहें 11 मार्च के चुनावी नतीजों पर लगी है। दरअसल यूपी में स्‍पष्‍ट बहुमत नहीं मिलने की दशा में भाजपा के पास विकल्‍प सीमित होंगे? उसको भी समर्थन के लिए मायावती की तरफ देखना होगा? वहीं सपा और बसपा का गठजोड़ एक बार फिर बीजेपी को सियासत के बियाबान में धकेल देगा। कुल मिलाकर इन परिस्थितियों में सत्‍ता की चाबी ‘किंग मेकर’ मायावती के पास होगी। हालांकि मायावती का इतिहास यह बताता है कि वह समर्थन देने में बहुत उदार नहीं रही हैं और उनकी शर्तें सपा और बीजेपी के लिए कठिन चुनौती साबित होगी। लेकिन यदि एक्जिट पोल की मानें तो यदि बसपा तीसरी ताकत ही बन पाती है तो 2019 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए मायावती किस तरफ का रुख करेंगी, यह चुनाव नतीजों के बाद ही तय होगा।

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