पीएम मोदी के इन सांसदों का रहा 100 फीसदी स्ट् राइक रेट

पीएम मोदी के इन सांसदों का रहा 100 फीसदी स्ट्राइक रेट

New Delhi : यूपी विधानसभा के दौरान अपने संसदीय क्षेत्र में बीजेपी उम्मीदवारों को जिताने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके 9 केंद्रीय मंत्रियों का स्ट्राइक रेट 100 फीसदी रहा।

पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी है। यहां बीजेपी और उसकी सहयोगी अपना दल ने सभी पांच सीटों पर जीत हासिल की है। यूपी से लोकसभा के लिए चुने गए 14 केंद्रीय मंत्रियों के संसदीय क्षेत्र में बीजेपी एक भी विधानसभा सीट नहीं हारी है। इन नेताओं में गृह मंत्री राजनाथ सिंह, मेनका गांधी, उमा भारती, महेंद्र नाथ पांडे, साध्वी निरंजन ज्योति, महेश शर्मा, संजीव कुमार बालियान, संतोष गंगवार और अनुप्रिया पटेल शामिल हैं।

राजनाथ सिंह लखनऊ से सांसद हैं। मेनका पीलीभीत से, उमा भारती झांसी से, महेश शर्मा गौतम बुद्ध नगर से, महेंद्र नाथ पांडे चंदौली से, साध्वी फतेहपुर से, बालियान मुजफ्फरनगर से और गंगवार बरेली से सांसद हैं। वहीं अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से सांसद हैं और अपना दल से आती हैं। बीजेपी नेता कलराज मिश्रा और विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह का स्ट्राइक रेट 80 प्रतिशत का रहा। उनके क्षेत्र देवरिया और गाजियाबाद में बीजेपी ने 5 में से 4 विधानसभा सीटें जीती हैं। राज्य मंत्री कृष्णा राज के संसदीय क्षेत्र शाहजहांपुर में बीजेपी ने 6 में से 5 सीटें जीती हैं और उनका स्ट्राइक रेट 83.3 प्रतिशत का रहा। टेलीकॉम मंत्री मनोज सिन्हा को भी सीएम पद का दावेदार माना जा रहा है। मोदी लहर के बावजूद उनके संसदीय क्षेत्र गाजीपुर में बीजेपी को 5 में से 3 सीटें ही मिल पाईं।

बता दें कि विधानसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी ने सीटों का तिहरा शतक लगाया है। वहीं सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा औंधे मुंह गिर गईं। बीजेपी को जहां 325 सीट मिलीं वहीं बीएसपी को 19 और 54 सीटें मिलीं। इन चुनावों में बीएसपी और सपा-कांग्रेस गठबंधन को तगड़ा झटका पहुंचा है। दो दशक तक उत्तरप्रदेश की राजनीति पर धाक रखने वाली सपा और बसपा का हश्र यह होगा, शायद ही उन्होंने कभी यह सोचा हो। बीएसपी को इस चुनाव में सिर्फ 19 सीटें ही मिली हैं, जबकि 2012 में उसे 80 सीटें मिली थीं।

1991 के बाद यह उसका सबसे खराब प्रदर्शन है। तब पार्टी को महज 12 सीटें ही मिली थीं। वहीं समाजवादी पार्टी को कुल 47 सीटें ही मिलीं , जो उसे मिलीं अब तक की सबसे कम सीटें हैं। 2007 में सपा को 97 सीटें हासिल हुई थीं। एसपी का वोट प्रतिशत सिर्फ 21.8 प्रतिशत, जबकि बीएसपी का वोट प्रतिशत 22.2 प्रतिशत था। बीएसपी ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ा था, वहीं सपा ने 100 सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ी थीं।

दूसरी ओर एक बार फिर कांग्रेस के लिए चुनाव बुरा सपना साबित हुए। आजादी के बाद कांग्रेस का उत्तर प्रदेश में यह सबसे बदतर प्रदर्शन है। पार्टी को यूपी में सिर्फ 7 सीटें मिलीं और उसका वोट शेयर मात्रा 6.2 प्रतिशत रहा। पार्टी के कई नेताओं का मानना है कि बिना तालमेल और जमीनी स्तर पर काम के सपा से आखिरी लम्हों में गठबंधन करने का फैसला सही नहीं रहा। गठबंधन के बावजूद दोनों पार्टी के करीब 20 नेताओं ने एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा, क्योंकि इन उम्मीदवारों ने अपना नाम वापस लेने से इनकार कर दिया था। इन सीटों में से कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली, जबकि सपा दो जीतने में कामयाब रही, जिसमें अमेठी की गौरीगंज और रायबरेली की ऊंचाहार सीट शामिल है। बाकी की 18 सीटें बीजेपी और उसके सहयोगी अपना दल के खाते में गईं।


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