पीएम मोदी के जुमलो पर बीएसपी सुप्रीमो माया वती ने मोदी जी को सवालो के घेरो मे लिया
पीएम मोदी के जुमलों पर मायावती का ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ –
स्ब्दिनई दिल्ली। बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, राज्यसभा सांसद और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने उत्तर प्रदेश में शीघ्र होने वाले विधानसभा आमचुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सवालों के घेरे में लिया है। मायावती ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि पीएम द्वारा अपनी पार्टी की खस्ताहाल स्थिति के मद्देनजर मिथ्या व भ्रामक प्रचार की भूमिका में उतरकर वास्तव में मोदी ने यह कहकर अपना मजाक खुद उड़ाया है कि सपा-बसपा आपस में मिले हुए हैं।
उन्होंने कहा, हालांकि अभी विधानसभा आमचुनाव के लिए तारीख की घोषणा नहीं हुई है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पार्टी भाजपा की तरह ही मिथ्या व भ्रामक प्रचार में अभी से जुट गए हैं। इसी क्रम में ऐसी गलत बयानबाजी कर रहे हैं जो उत्तर प्रदेश व देश के लोगों के गले के नीचे कतई उतरने वाली नहीं है।
24 अक्टूबर 2016 को बुंदेलखंड के महोबा रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने भाषण में बसपा का सपा के साथ आपसी मिलीभगत होने के आरोप के जवाब में मायावती ने कहा कि 2 जून 1995 को लखनऊ के स्टेट गेस्ट हाऊस में सपा नेतृत्व द्वारा उन पर कराए गए जानलेवा हमले के अक्षम्य अपराध के बाद बीएसपी ने कभी भी सपा से कोई नाम मात्र का भी सियासी मेल-जोल नहीं रखा है। तब से लेकर आज तक लगभग 21 वर्षों की लंबी अवधि में बीएसपी हर स्तर व हर मोर्चे पर सपा के आपराधिक चाल, चरित्र व चेहरे का लगातार विरोध करती रही है। इस क्रम में कभी राजनीतिक व चुनावी लाभ-हानि का ध्यान नहीं दिया है, जिसका गवाह आज तक का उत्तर प्रदेश व देश का तत्कालीन राजनीतिक इतिहास है।
बीएसपी सुप्रीमो ने कहा, इस मामले में पार्टी के स्तर के साथ-साथ सरकार में रहते हुए भी बीएसपी ने जबर्दस्त तौर पर सपा के भ्रष्टाचार व उसके राजनीति के अपराधीकरण का काफी डटकर विरोध किया है। इस संबंध में अनेकों सख्त फैसले लेकर सख्त कानूनी कार्रवाई भी की है। फिर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजनीति करने पर अमादा लगते हैं। और वे उत्तर प्रदेश विधानसभा आमचुनाव के मद्देनजर लोगों को वरगलाने के लिए मिथ्या प्रचार व असत्य आरोप लगा रहे हैं। यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है तथा उनको बसपा-सपा की मिलिभगत का आरोप उस कहावत को चरितार्थ करता है कि उल्टा चोर कोतवाल को डांटे।
उन्होने आगे कहा, इस बारे में जैसा कि सर्वविदित है कि भारतीय जनसंघ व इसके वर्तमान स्वरुप में भाजपा ने सपा नेता मुलायम सिंह यादव से सन् 1967 से ही सीधे संपर्क में रही औऱ खासकर सन 1967, 1977 व सन 1989 में मिलकर चुनाव भी लड़ा है। इसके अलावा अभी हाल ही में भाजपा व सपा ने एक दूसरे से खुले तौर पर मिलकर बिहार में धर्मनिरपेक्ष गठबंधन के खिलाफ विधानसभा आमचुनाव लड़ा था और बुरी तरह से परास्त भी हुये।
जहां तक उत्तर प्रदेश का सवाल है तो यह स्पष्ट तौर पर लोगों ने बार-बार बल्कि अनेकों बार देखा है कि किस प्रकार सपा-भाजपा यहां एक दूसरे पर नरम रहते हैं और आपसी सांठ-गांठ करके प्रदेश को सांप्रदायिक तनाव व दंगे की राजनीति करके दोनो एक दूसरे की मदद करते रहते हैं।
इतना ही नही बल्कि सपा सरकार के पिछले लगभग साढ़े चार वर्षों के कार्यकाल के दौरान इन दोनों पार्टियों की जबर्दस्त आपसी मिलीभगत के कारण ही प्रदेश की लगभग 22 करोड़ आमजनता किस प्रकार जातीय, सांप्रदायिक व जंगलराज के अभिशाप से परेशान रही है, इसको पूरे देश के लोगों ने महसूस किया है। प्रदेश में खासकर 2013 के सांप्रदायिक दंगे में भाजपा-सपा की मिलीभगत खुलकर लोगों के सामने आयी और इसका परिणाम यह हुआ कि काफी बड़ी संख्या में लोग मारे गए व लाखों लोग बेघर हुये। फिर भी मुख्य दोषी लोगों के खिलाफ सपा सरकार ने सख्ती से कार्रवाई नहीं की, जिस कारण मुख्य दोषी लोग अब भी खुलेआम घूम रहे हैं तथा अपनी घोर सांप्रदायिक गतिविधिया जारी रखे हुए हैं।
इसके बदले में केंद्र में भाजपा की सरकार ने यहां प्रदेश में सपा के हर स्तर पर व्याप्त जंगलराज के खिलाफ संविधान की धाराओं के तहत एक भी रिपोर्ट राज्यपाल महोदय से नहीं मांगी और ना ही कोई नोटिस ही सरकार को अब तक जारी की है। इसी प्रकार अयोध्या प्रकरण में भी सपा व भाजपा आपस में मिलकर घिनौनी राजनीति कर रहे हैं।
इसी प्रकार के अनेकों उदाहरणों से आमजनता में यह आमधारणा बन गयी है कि उत्तर प्रदेश में सपा-भाजपा मिले हुये हैं और आने वाले विधानसभा के आमचुनाव के लिए भी यह दोनों पार्टियां खासकर बीएसपी व उसके नेतृत्व के खिलाफ मिलकर काम कर रही है। इसलिए यह बात कोई सपने में भी नहीं सोच सकता है कि बीएसपी व सपा मिले हुए हैं। फिर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगर ऐसा बयान देते हैं तो यही कहा जायेगा उनका यह बयान राजनीति से प्रेरित है और साथ ही केंद्र में अपनी सरकार के लगभग ढाई वर्षों में कोई भी देशहित व जनहित का चुनावी वायदा नहीं निभा पाने में विफलता के कारण हो रही अपनी बुरी फजीहत से लोगों का ध्यान बांटने के लिए ही ऐसी आधारहीन व बेबुनियादी बातें की जा रही हैं जिस पर कोई रत्तीभर भी यकीन नहीं कर सकता है।
जितेद्र पाल -( tennews.in)
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