मेरी रणनीति पर नहीं चली कांग्रेस, इसलिए हु ई हार : पीके
मेरी रणनीति पर नहीं चली कांग्रेस, इसलिए हुई हार : पीके
कांग्रेस के चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने यूपी में पार्टी की मिली अब तक की सबसे बुरी हार के लिए सपा के साथ गठबंधन को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने राहुल और प्रियंका गांधी का नाम लिए बिना कहा कि यूपी में शीर्ष नेतृत्व ने मुझे खुलकर काम करने की इजाजत नहीं दी, ये उसी का नतीजा है. नतीजों पर बात करते हुए प्रशांत ने यूपी को लेकर कांग्रेस नेताओं पर जमकर भड़ास निकाली.
प्रशांत ने कहा, ‘जब तक मैं खटिया सभा कर रहा था, तब तक सब ठीक चल रहा था. बातें मानी जा रहीं थीं. उसके बाद बड़े लोगों ने मेरी बात नहीं मानी. खुलकर काम नहीं करने दिया गया. मेरी रणनीति के मुताबिक काम किया जाता तो यूपी में कांग्रेस का ये हाल नहीं होता. पंजाब में कांग्रेसी नेताओं ने मेरे सुझावों पर अमल किया. वहां हम बहुमत में हैं.
प्रशांत का कहना है कि कांग्रेस की इतनी बुरी हार के पीछे सबसे बड़ा कारण वक्त है. मुझ पर उंगली उठाना बहुत आसान है. बाकी मैं यही कहूंगा कि हार की जिम्मेदारी मैं लेता हूं. प्रशांत ने अब इस बात पर मुहर लगा दी है कि कांग्रेस के बड़े नेताओं और उनके बीच सबकुछ सही नहीं था. यूपी कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर से भी उनके रिश्ते ठीक नहीं बताए जाते हैं. मीडिया में चुनाव के दौरान इस तरह की खबरें आती रहीं. हालांकि, प्रशांत ने किसी नेता का खुलकर नाम नहीं लिया.
देर से लिए फैसले हुए घातक
प्रशांत किशोर को मलाल है कि उनकी बातों को न तो कांग्रेस नेतृत्व और न ही कांग्रेसी नेताओं ने तरजीह दी. पीके कहते हैं कि, ‘पहले बातें नहीं मानी गईं. फिर गठबंधन में काफी देरी कर दी गई. हर चीज में देरी हो रही थी. इसके बाद पारिवारिक झगडे ने हमारा नुकसान करा दिया.’ प्रशांत की बात समझने के लिए थोड़ा पीछे जाना होगा. दरअसल, कांग्रेस और सपा के बीच अलायंस उस वक्त हुआ, जब पहले दौर के लिए नाॅमिनेशन का काम शुरू हो चुका था.
लिहाजा वोटर और कैंडिडेट्स ही कन्फ्यूज हो गए। कई सीटें तो ऐसी थीं, जहां दोनों ही पार्टियां एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रही थीं. इससे नुकसान ये हुआ कि वोटर और नेता दोनों ही परेशान हो गए. बीजेपी को इससे फायदा मिला. क्योंकि, उसका रोडमैप एकदम साफ था. बता दें कि कांग्रेस को 2017 के चुनावी नतीजों में यूपी में सिर्फ 7 सीटें मिली हैं. ये आजादी के बाद का उनका अब तक का सबसे खराब परफॉर्मेंस हैं. इससे कम सीटें उन्हें कभी नहीं मिली. हालांकि, प्रशांत के बयान पर कांग्रेस अभी तक मौन है.
मैं चाहता था कि प्रियंका रैली करें
प्रियंका गांधी को यूपी चुनाव में उतारने के अपने प्लान के बारे में चर्चा करते हुए पीके ने कहा कि मैं चाहता था कि प्रियंका गांधी यूपी में आकर रैली करें. लेकिन, अब इस पर बात करने से क्या फायदा.. जो होना था वो तो हो गया. मैं हार की जिम्मेदारी स्वीकार करता हूं. प्रशांत के इस बयान के मायने हैं. दरअसल, चुनाव के दौरान ही कांग्रेस ने तीन बार प्रियंका का चुनाव अभियान कार्यक्रम बदल दिया.
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