जीएसटी काउंसिल की ओर से फ्लैट खरीदारों को बड़ी राहत, 12% से घटाकर 5% की जीएसटी रेट

ROHIT SHARMA / TALIB KHAN

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नोएडा :– जीएसटी काउंसिल की रविवार को हुई बैठक में एक बड़ा फैसला लिया गया है। घर का सपना देख रहे लोगों को बड़ा तोहफा देते हुए केंद्र सरकार ने गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) में बड़ी कटौती की है । आपको बता दे की किफायती मकानों पर जीएसटी की दर को आठ प्रतिशत से घटाकर एक प्रतिशत किया गया। जीएसटी परिषद ने निर्माणाधीन परियोजनाओं में मकानों पर जीएसटी की दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया।

खासबात यह है की महानगरों में 60 वर्ग मीटर और 45 लाख के अपार्टमेंट और अन्य जगहों पर 90 वर्ग मीटर और 45 लाख तक के मकान अफोर्डेबल हाउस के अंतर्गत आयएंगे। बेंगलुरु, चेन्नै, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुड़गांव, फरीदाबाद, ग्रेटर नोएडा, हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई जैसे मेट्रो शहरों में 60 वर्ग मीटर कार्पेट एरिया तक के मकान किफायती माने जाएंगे, जबकि नॉन मेट्रो शहरों में 90 वर्ग मीटर तक के घर अफोर्डेबल माने जाएंगे। वही नई दरें 1 अप्रैल 2019 से लागू होंगी।



दरअसल इस समय निर्माणाधीन या ऐसे तैयार मकान जिनके लिए काम पूरा होने का प्रमाणपत्र (कंप्लीशन सर्टिफिकेट) नहीं मिला हो, उन पर खरीदारों को 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी देना पड़ता है। लेकिन वर्तमान व्यवस्था में मकान निर्माताओं को इनपुट (निर्माण सामग्री) पर चुकाये गए कर पर छूट का लाभ भी मिलता है। जीएसटी की रविवार को तय दरों के तहत उन्हें (परियोजना निर्माताओं को) इनपुट कर की छूट का लाभ नहीं मिलेगा।

यह (जीएसटी दर में कमी का) फैसला निश्चित रूप से भवन निर्माण क्षेत्र को बल प्रदान करेगा।

वही इस मामले में नेफोमा संस्था के अध्यक्ष अन्नू खान का कहना जीएसटी के रेट घटाए जाने से बायर्स को बहुत अधिक फायदा नहीं मिलेगा। क्योंकि बिल्डर्स को इनपुट क्रेडिट टैक्स नहीं मिलेगा तो वह इसकी कीमत को फ्लैट के रेट में जोड़कर बेचेगा। जिसकी वजह से बिल्डिंग की कीमत बढ़ जाएगी। महंगे फ्लैट पर जीएसटी के रेट कम होने से बायर्स और बिल्डर्स दोनों को फायदा होगा , लेकिन बिल्डर्स को इनपुट क्रेडिट टैक्स लेने पर पाबंदी लगाए जाने से इसका फायदा बायर्स को बहुत अधिक मिलेगा। क्योंकि बिल्डर्स बिल्डिंग के निर्माण में सीमेंट, सरिया समेत अन्य निर्माणाधीन सामग्री पर 18 फीसदी जीएसटी देता था। बाद में इनपुट क्रेडिट टैक्स के माध्यम से इसे वापस मिल जाता था। फिर फ्लैट के सेल पर बायर्स से जीएसटी वसूला जाता था जो सरकार के खाते में जमा करवाया जाता था।

वही दूसरी तरफ जीएसटी काउंसिल के नॉन अफोर्डेबल हाउसिंग पर पांच फीसदी और अफोर्डेबल हाउसिंग पर एक फीसदी जीएसटी लिए जाने के फैसले को बिल्डर काफी फायदेमंद बता रहे हैं। उनका कहना है कि इससे बायर्स को कुछ फायदा जरूर होगा। लेकिन इनपुट क्रेडिट टैक्स नहीं मिलने से बिल्डर्स को नुकसान होगा। इसलिए फ्लैट के रेट में मामूली वृद्धि भी की जा सकती है।

वही इस मामले में घर खरीदारों का कहना है की जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी घटाने के साथ किफायती घरों के क्षेत्रफल में भी विस्तार किया है। इससे मंदी में चल रहे रियल इस्टेट सेक्टर को एक नई ऊर्जा मिलेगी। लोग सिर ढकने के लिए आशियाना चाहते थे, लेकिन 12 फीसद जीएसटी होने की वजह से घर खरीदने की हिम्मत नहीं जुटा रहे थे। उन्हें लगता था कि जीएसटी के रूप में उनकी गाढ़ी कमाई जा रही है, इसलिए लोग सरकार की तरफ से राहत की बाट जोह रहे थे।

साथ ही उनका कहना है की अब सरकार ने घर खरीदारों की मुराद पूरी कर दी है, इसलिए रियल इस्टेट में बड़े पैमाने पर निवेश हो सकता है। वह लंबे समय से घर खरीदना चाहते हैं, लेकिन जीएसटी की वजह से घर की कीमत बहुत हो जाती थी। जीएसटी दर घटने से घर खरीदने में राहत मिलेगी।

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