जीबीयु के अन्तराष्ट्रीय वेबिनार में 14 देशों के विद्वान लेंगे भाग

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गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय का बौध अध्ययन ऐण्ड सभ्यता संकाय एक तीन दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन कर रहा हा जो कि 9 से 11 जुलाई को होने जा रहा है। इस वेबिनार का मुख्य विषय ग्लोबल वैल बिंग ऐण्ड द टीनेत्स ऑफ़ अन्सीयेंट इंडियन ट्रेडिसन्स विद रेफरेंस टु बुद्धिस्म (वैश्विक कल्यान एवं प्राचीन भारतीय परम्परा के सिद्धांतों का बौध-धर्म के संदर्भ में) मुख्य विषय के साथ साथ इसमें दस अन्य सहायक विषय वस्तु भी है।

इस वेबिनार को करने के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो भगवती प्रकाश शर्मा ने बौध अध्ययन एवं सभ्यता संकाय के शिक्षकों को कहा जिन्होने इसे करने की ठानी। मुख्य विषय का सुझाव प्रो भगवती प्रकाश शर्मा ने ही दिया था और साथ में यह भी आशा दिलायी थी कि यह एक जरूरी विषय है जिसपर आज के माहौल में चर्चा होनी अतिआवश्यक है और चर्चा होनी चाहिये। उनसे चर्चा कर के ही इस वेबिनार को करने का बाकी तैयारी की गयी थी।

इस वेबिनार के आयोजक सचिव डॉ अरविन्द कुमार सिंह ने तीन देशों के संस्थानों से सम्पर्क किया और उन्हें इस कार्यकर्म के लिए सहयोगी की भुमिका में शामिल किया। विदेशी सहयोगी संस्थानों के नाम हैं विएतनाम से विएतनाम बुद्धिस्ट यूनिवर्सिटी, हनोई, म्यान्मार से धम्मदूट चेकिंडा यूनिवर्सिटी, यंगुन एवं श्रीलंका से स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र, कोलोंबो।

आज से लगभग चालीस दिन पहले वेबिनार के घोषणा की गयी थी। कल इस वेबिनार में भाग लेने के लिए उत्सुक विद्वानों को पंजीयन कराने की आखिरी तारिख थी।

हमें यह बताते हुये अपार हर्ष हो रहा है कि अब तक इस वेबिनार के लिए 14 देशों (भारत, बांग्लादेश, कंबोडिया, मलेशिया, म्यांमार, लाओस, ताइवान, पाकिस्तान, अमेरिका, ब्राजील, थाईलैंड, श्रीलंका, जापान और वियतनाम) से आए 200 से अधिक प्रतिभागियों ने पहले ही अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार के लिए पंजीकरण करा लिया है।

14 देशों के विद्वानों के अलावा देश भर के लगभग सभी राज्यों से विद्वानों एवं शोधार्थीयों के साथ साथ कुछ बौध भिक्षु भी इस कार्यक्रम में भागीदार होंगे। यहाँ यह बताना भी जरूरी है कि इस वेबिनर में लगभग 75% प्रतिभागी दौक्त्रेट हैं जब की 20% स्नातकोत्तर किये हुये हैं जिनका कूल योग्य 95% है। वहीं लगभग 50% शिक्षक हैं और लगभग 32% शोधार्थी हैं जो 82% है। इस के अलावा अन्य भागीदार वैसे बौध भिक्षु हैं जो शिक्षण कार्य से जुडे हैं या फिर विश्वविद्यालत में प्रशासनिक पद पर हैं या फिर स्वंतंत्र शोधार्थी हैं। यह इस बात का घोतक है कि इस वेबिनार में भाग लेने सभी भागीदार गम्भीर शोध करने वाले हैं। अतः आयोजकों ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आने वाले इस वेबिनार में प्राचीन भारतीय परम्पराओं का बौध धर्म के सन्दर्भ में वैश्विक कल्याण जैसे मुख्य विषय के साथ अन्य पहलुओं पर गम्भीर विचार होगी।

इस कार्यक्रम में वेबिनार के बारे में स्वयं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो भगवती प्रकाश शर्मा बताएँगे और वहीं मुख्य बिंदु पर बौध अध्ययन के प्रकाण्ड विद्वान प्रो करमतेज सिंह सराओ प्रकाश डालेंगे। इनके अलावा इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो बैद्यनाथ लाभ, कुलपति, नव नालंदा महाविहार, बिहार, प्रो थिच नहत तू और डॉ थिच हुओंग येन (वीयट्नाम), भिक्षु संघसेन (लेह), प्रो मेडगोदा अभयतिस्सा और प्रो अनुरा मानातूँगा (श्री लंका), प्रो बिमलेन्द्र कुमार (बीएचयू), वरिष्टम प्रो संघसेन सिंह, प्रो एस॰ आर॰ भट्ट एवं इंटर्नैशनल बुद्धिस्ट कन्फ़ेडरेशन के सेक्रेटेरी जेनरल डॉ धम्मपिय जी और साथ में स्थानीय ज़ेवर विधान सभा क्षेत्र के कर्मठ एवं लोकप्रिय नेता ठाकुर धीरेन्द्र सिंह जी भी शामिल हो रहे हैं। साथ ही कम्बोडिया से डॉ सोनिया जसरोतिया, ब्राज़ील से रिकार्डो ससाकी, अमेरिका से फे एक्स बाक, म्यांमार से सायदाव पन्नयिस्सर, डॉ अशिन जागरलंकार, डॉ अशिन नयानावर, इत्यादि भी शामिल होंगे। बौध अध्ययन एवं सभ्यता संकाय के अधिष्ठाता प्रो सुरेंद्र कुमार सिंह कार्यक्रम के पहले दिन एवं डॉ प्रियदर्शिनी मित्रा, विभाग्याध्यक्ष धन्यवाद ज्ञापन करेंगे। इस पुरे कार्य डॉ अरविन्द कुमार सिंह एवं फ़ान अंह दुओक, संकाय के शोधार्थी के तकनीकी दिशानिर्देश में सम्पन्न करायी जाएगी।

डॉ अरविन्द कुमार सिंह ने बताया कि इस कार्यक्रम में पढे गये शोध पत्रों को वेबिनार के बाद एकट्ठा कर एक किताब छापी जायेगी जिसके लिए विएतनाम की एक संस्था बद्धीस्म टुडे हामी भरी है। इस संस्था के मुख्य करथ धर्ता बौध विद्वान एवं भिक्षु माननीय थीच न्हत तु हैं। यहाँ यह बताना अत्यंत आवश्यक है कि विएतनाम के यह विद्वान विएतनाम बुद्धिस्ट विश्वविद्यालय के वाइस रेकटर भी हैं और साथ में इस वेबिनार के मुख्य अतिथी भी हैं।

इस तरह का रेस्पोंस मिलने से आयोजक समिति को बहुत उत्साह मिला है और जो आने वाले समय में इस कार्यक्रम को सफलता पुर्वक आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित होने के साथ साथ दृढ्संकल्प हैं।

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