कैलाश अस्पताल समूह के डाॅक्टर ‘ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल’ बनाकर पा रहे कोरोना पर विजय | टेन न्यूज लाइव परिचर्चा
ABHISHEK SHARMA
NOIDA : कोरोना का संक्रमण बढ़ने के साथ ही कोविड में ड्यूटी करने वाले स्टाफ की भी कसरत बढ़ रही है। संक्रमितों को कोविड केयर सेंटर तक छोड़ने वाली एंबुलेंस के पहिये पिछले 6 माह से थमे नहीं हैं। कर्मचारी दिन रात, कई बार भूख और प्यास को भूलकर भी ड्यूटी को अंजाम दे रहे हैं। पीपीई किट में चार से पांच घंटे रहकर सैंपल लेना चुनौती बना हुआ है।
ग्रेटर नोएडा स्थित कैलाश अस्पताल को एल-1 श्रेणी का कोविड अस्पताल बनाया गया है। यहां भी कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमितों का प्लाज्मा थैरेपी से उपचार किया जा रहा है। यहां जुलाई के महीने में लगभग 36 कोरोना संक्रमितों का प्लाज्मा थेरेपी से सफलतापूर्वक उपचार किया गया था। कैलाश अस्पताल में प्लाज्मा रखने के लिए बकायदा बैंक बनाया गया है। इसमें 400 यूनिट तक प्लाज्मा रखने की व्यवस्था है।
कैलाश अस्पताल के डॉक्टर कोरोना मरीजों का किस तरह से इलाज कर रहे हैं और कोरोना पर कैसे पा रहे हैं विजय? इसको लेकर टेन न्यूज़ ने लाइव परिचर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें कैलाश अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ नितिन श्रीवास्तव एवं कैलाश नेचुरोपैथी में बने आइसोलेशन के इंचार्ज डाॅ उमाशंकर मौजूद रहे।
वहीं इस कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर प्रोफेसर सिद्धार्थ गुप्ता ने किया। उन्होंने बखूबी से कार्यक्रम का संचालन किया और डॉक्टरों की बात टेन न्यूज के दर्शकों तक पहुंचाने में अहम योगदान निभाया।
प्र. कैलाश अस्पताल के डाॅक्टर किस तरह से कोरोना पर विजय पा रहे है़ं और उनका अनुभव कैसा रहा?
डाॅ नितिन श्रीवास्तव नहीं है अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि हम पिछले 3 महीनों से कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे हैं पहले हमने एल-1 की शुरुआत की थी। जिसमें कम असर वाले कोरोना मरीज रखे जाते थे और उनका उपचार किया जाता था। गंभीर मामलों में मरीजों को रेफर किया जाता था। इससे मरीजों को असुविधा का सामना करना पड़ता था।
उन्होंने बताया कि इसके बाद हमने एल-2 और एल-3 सुविधा की अस्पताल में शुरूआत की। इसके लिए हमने बिल्डिंग को दो हिस्सों में बांट दिया। एक हिस्से में कोविड-19 मरीजों का उपचार होता था। वही दूसरे हिस्से में नॉन कोविड मरीजों का इलाज हो रहा है। एल-1 मरीजों का इलाज कैलाश नेचरोपैथी में, जबकि एल-2, एल-3 मरीजों का इलाज कैलाश अस्पताल में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब तक हम 1284 मरीजों का इलाज कर चुके हैं, जिसमें से 1173 मरीज ठीक हो कर जा चुके हैं। कैलाश अस्पताल में कोरोना मरीजों का रिकवरी रेट 96.68 है।
कैलाश नेचुरोपैथी एल-1 आइसोलेशन केंद्र के इंचार्ज डाॅ उमाशंकर ने बताया कि जब कोरोना शुरू हुआ, इसके बाद इस को महामारी घोषित किया गया। शासन और प्रशासन के दिशा निर्देशों के बाद कैलाश नेचुरोपैथी में आइसोलेशन केंद्र बनाया गया। अब तक हमारे पास 471 मरीज इलाज के लिए आए हैं, जिनमें से सभी रिकवर हो चुके हैं।
उन्होंने बताया कि हमारा रिकवरी रेट शत प्रतिशत रहा है। मरीजों की देखभाल के लिए हर समय डॉक्टर उपलब्ध रहते थे। उन्हें किसी प्रकार की कोई समस्या ना हो इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता था और आईसीएमआर के दिशा निर्देशों पर कार्य करते हुए सभी मरीजों का इलाज किया है।
प्र. पहले से गंभीर रोगों से जूझ रहे मरीजों का इलाज किस प्रकार किया गया?
डाॅ नितिन श्रीवास्तव ने बताया कि जो लोग पहले से गंभीर रोगों से जूझ रहे थे, उसके बाद उनको कोरोना हो गया। ऐसे मरीजों का इलाज करना बेहद चुनौतीपूर्ण रहा। इन लोगों को पॉजिटिव से नेगेटिव होने में लंबा वक्त लगा। ऐसे मरीजों का इलाज बेहद सावधानी पूर्वक किया गया। जिस प्रकार के इलाज की उनको जरूरत थी, वह उनको वह दिया गया। इलाज के बाद जिस मरीज की रिपोर्ट नेगेटिव आती थी उसके भी 10 दिन बाद अगर मरीज को कोई लक्षण नहीं है तो ही डिस्चार्ज किया जाता है।
प्र. कैलाश अस्पताल में कोरोना मरीजों का इलाज किस तरह से किया गया?
डॉ नितिन श्रीवास्तव ने बताया कि जब यह महामारी नई थी तो उस समय सरकार के दिशा-निर्देशों पर चलते हुए मरीजों का इलाज किया गया। जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे कुछ दवाइयों से मरीजों का इलाज होने लगा। उन्होंने बताया कि कैलाश अस्पताल समूह के सभी डॉक्टर एक साथ बैठते थे और इलाज के लिए एक प्रोटोकॉल बनाया गया, जिसके तहत सभी डॉक्टरों ने काम किया। जब प्लाजमा थेरेपी के लिए सरकार द्वारा दिशा निर्देश जारी किए गए तो हमने उनका अनुसरण करते हुए कैलाश अस्पताल में कोरोना मरीजों का इलाज प्लाज्मा थेरेपी के जरिए किया।
उन्होंने बताया कि आज इसमें हमें काफी सफलता मिली। सरकार के दिशा निर्देशों के बाद सभी अस्पतालों ने इस पर काम किया। हमारे यहां जो मरीज स्वस्थ होकर जाते थे, हम उनसे प्लाज्मा डोनेट करने के लिए अनुरोध करते थे जिसकी मर्जी होती है वह प्लाज्मा डोनेट करता है। जिसके जरिए हम मरीजों का इलाज करते हैं। उन्होंने बताया कि कैलाश अस्पताल में 400 यूनिट तक प्लाज्मा रखने की व्यवस्था है। प्लाज्मा रखने के लिए यहां प्लाज्मा बैंक भी बनाया गया है।
प्र. अनलाॅक की प्रक्रिया पुरे देश मे शुरू हो गयी है, ऐसे में लोगों को कोरोना महामारी से बचने के लिए किस तरह सावधान रहना पडेगा?
डाॅ उमाशंकर ने कहा कि ऐसे समय में लोगों को और अधिक सचेत रहने की आवश्यकता है, क्योंकि अब सभी लोग अपने काम पर लौट रहे हैं, सभी दफ्तर खुल गए हैं। ऐसे में लोगों को शारीरिक दूरी बनाकर रखनी पड़ेगी। साथ ही साथ यह भी ध्यान रखना पड़ेगा की वह घर से बाहर जाते समय किसी भी अनावश्यक वस्तु को नए छुएं, अगर वे ऐसा कर रहे हैं तो उसके बाद तुरंत सैनिटाइजर करना है।
वहीं जहां तक बच्चों की बात है तो मेरे हिसाब से अभी स्कूल नहीं खोलने चाहिए, क्योंकि स्कूलों में बड़ी संख्या में बच्चे एकजुट होते हैं। ऐसे में कोरोना संक्रमण के फैलने का खतरा और अधिक बढ़ जाएगा। बाकी इस पर सरकार काम कर रही है। जिस तरह के दिशा निर्देश सरकार द्वारा जारी किए जाएं, लोग उनका पालन करते हुए आगे बढ़ें।