मशहूर शायर डॉ राहत इंदौरी के निधन के दुःख में टेन न्यूज़ नेटवर्क ने किया श्रंद्धाजलि सभा का आयोजन , कवियों ने शेयर किए अनुभव
Rohit Sharma
नई दिल्ली :– मशहूर शायर डॉ राहत इंदौरी का मंगलवार को निधन हो गया। वे कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद इंदौर के अरविंदो अस्पताल में भर्ती थे, जहां इलाज के दौरान हार्ट अटैक से उनकी जान चली गई।
ऊर्दू शायरी के सबसे दमदार शख्सियतों में शामिल राहत साहब के शेर बेबाकी के लिए मशहूर थे। उनके प्रशंसकों में हर उम्र के लोग शामिल हैं। राहत साहब के नहीं रहने पर भी उनके शब्दों की जादूगरी की खूशबू हमेशा मौजूद रहेगी। दुख की इस घड़ी में आइए उनके कुछ शेरों पर नजर डालते हैं
दुश्मन भी कम नहीं, लेकिन हमारी तरह हथेली पर जान थोड़े ही है…
जिंदगी क्या है खुद ही समझ जाओगे, बारिशों में पतंगें उड़ाया करो..
झूठों ने झूठों से कहा है सच बोलो, सरकारी ऐलान हुआ है सच बोलो…
तुम घटा बनके चले आओ, मैं बादल हो जाऊं…
सरहदों पर बहुत तनाव है क्या, कुछ पता करो चुनाव है क्या…
गौरतलब है कि शायरी की दुनिया में कदम रखने से पहले, इंदौरी एक चित्रकार और उर्दू के प्रोफेसर थे। उन्होंने हिन्दी फिल्मों के लिए गीत भी लिखे थे और दुनिया भर के मंचों पर काव्य पाठ किया था
मशहूर शायर डॉ राहत इंदौरी के निधन के दुःख में टेन न्यूज़ नेटवर्क ने श्रंद्धाजलि सभा का आयोजन किया , वही इस कार्यक्रम का मंच संचालन महान कवि विनोद पांडेय ने किया ।
महान कवि विनोद पांडेय ने कहा कि इंदौरी का निधन होने के बाद अदब की मंचीय दुनिया ने वह नामचीन दस्तखत खो दिया है जिनका काव्य पाठ सुनने के लिए दुनिया भर के मुशायरों और कवि सम्मेलनों में लोग बड़ी तादाद में उमड़ पड़ते थे।
अपने 70 साल के जीवन में इंदौरी पिछले साढ़े चार दशक से अलग-अलग मंचों पर शायरी पढ़ रहे थे। उन्होंने कुछ हिन्दी फिल्मों के लिए गीत भी लिखे थे, लेकिन बाद में फिल्मी गीत लेखन से उनका मोहभंग हो गया था। इंदौरी का असली नाम “राहत कुरैशी” था। हालांकि, इंदौर में पैदाइश और पलने-बढ़ने के कारण उन्होंने अपना तखल्लुस (शायर का उपनाम) “इंदौरी” चुना था
महान कवि विनोद पांडेय ने कहा कि इंदौरी ने अपनी मशहूर गजल “बुलाती है, मगर जाने का नईं (नहीं)” का एक शेर 14 मार्च को ट्वीट किया था-“वबा फैली हुई है हर तरफ, अभी माहौल मर जाने का नईं…..।” इंदौरी ने अपने इस ट्वीट के साथ “कोविड-19” और “कोरोना” जैसे हैश टैग इस्तेमाल करते हुए यह भी बताया था कि वबा का हिन्दी अर्थ महामारी होता है।
आपको बता दें कि कोविड-19 की महामारी से इंदौरी के निधन से देश-दुनिया में उनके लाखों प्रशंसकों में शोक की लहर फैल गई है और उन्हें टेन न्यूज़ नेटवर्क पर भावभीनी श्रद्धांजलि दी जा रही है।
कानपुर के महान कवि डॉ मनोज गुप्ता ने इंदौरी के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि उर्दू शायरी के क्षेत्र में एक शून्य पैदा हो गया है जिसकी भरपाई मुश्किल है। राहत इंदौरी अपनी स्वतंत्र, निष्पक्ष और निडर शायरी के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। वह एक निर्भीक शायर थे जिनके जाने से अपूरणीय क्षति हुई है।साथ ही उन्होंने कहा कि राहत इंदौरी कानपुर के एक कॉलेज में आए थे , उनका कार्यक्रम था , जिसमे में गया , उनको मैने बड़े ध्यान से सुना , उनके शायरों में दम था । “शाखों से गिर कर टूट जाऊ, मै वो पत्ता नही ,आंधियो से कह दो कि अपनी औकात मे रहें” इस शायरी में आज तक भुला नही पाया हूँ
महान कवियत्री अंजू मल्होत्रा ने कहा कि वह अपनी किस्म के अलग शायर थे। उनके जाने से उर्दू मुशायरे में एक खाली जगह पैदा हो गई है, जिसे कभी नहीं भरा जा सकता।” उन्होंने कहा, ”वो तो लुटेरा था मुशायरों का। हर उम्र के लोग मुशायरों में राहत इंदौरी की बारी का इंतजार करते थे। उन्हें श्रोता सुबह तीन-चार बजे तक भी सुनने को तैयार रहते थे
महान कवि अरुण सागर ने राहत इंदौरी को श्रंद्धाजलि देते हुए कहा कि :-
हमारी बज़्म से तुम हो गये हो अब जुदा, कह दें?
बताओ किस तरह”राहत”तुम्हें हम अलविदा कह दें?
जनाब राहत इंदौरी को आख़िरी सलाम ।
न जाने किस जगह मेरी सही पहचान रक्खी है।
कहीं पे जिस्म रक्खा है,कहीं पे जान रक्खी है।
वतन को धर्म,मज़हब,जातियों में बाँट देती है।
सियासत सर सच्चाई का हमेशा काट देती है
महान कवियत्री अना देहलवी ने मशहूर कवि राहत इंदौरी को श्रंद्धाजलि देते हुए कहा कि :-
नींद आई तो सो गया राहत
आसमानों में खो गया राहत
नहीं रहे हमारे चहीते शायर
डाक्टर राहत इंदौरी आप सब उन के लिए दुआ करें अल्लाह उन को जन्नत नसीब करे आमीन ।
डॉ अशोक मधुप ने मशहूर कवि राहत इंदौरी को विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि “उर्दू अदब के एक अनूठे शायर डॉ. राहत इन्दौरी हमारे बीच नहीं रहे। जानकर एक बड़ा झटका लगा। मैं उनकी पुण्य आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूं”
महान कवि व युमना प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारी शैलेन्द्र भाटिया ने मशहूर कवि राहत इंदौरी को श्रंद्धाजलि देते हुए कहा की :–
“हर दिल अज़ीज़, बेबाक़ और हिंदुस्तान के मक़बूल शायर डा राहत इँदौरी का यू जाना बहुत अखर गया है . मेरी उनसे आत्मीयता थी. कई मौक़ों पर उनसे मिलना हुआ था . ज़िंदादिली ऐसी की पूछिए मत…….उनका कोरोना के कारण यू जाना बहुत दुःखद. उनका स्थान जो रिक्त हुआ है , बहुत मुश्किल है भरना।
साथ ही उन्होंने राहत इंदौरी की एक शायरी लिखी जिन्हें वो हमेशा याद रखेंगे:–
मैं मर जाँऊ तो मेरी इक अलग
पहचान लिख देना
लहू से मेरी पेशानी पे
हिन्दोस्तान लिख देना ।