क्या 2015 में दिल्लीं विस की जीत , ईवीएम की जी त थी? #mcdelections @arvindkejriwal
अनिल निगम
राष्ट्री य राजधानी दिल्लीम में हुए नगर निगम चुनावों में भाजपा को मिले प्रचंड बहुमत पर दिल्लीि के मुख्यनमंत्री और आप पार्टी के राष्ट्री य संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इसे इलेक्ट्रॉ निक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की जीत बताया है। उन्होंंने यह कोई नई बात नहीं कही है, यह तो उत्तंर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के बाद बसपा नेत्री मायावती द्वारा अलापे गए राग का ही दोहराव है। यह बेहद हास्याएस्पनद बात है कि केजरीवाल ने यह बात चुनाव परिणाम आने के एक दिन पहले ही कह दी थी कि अगर नगर निगम चुनाव के नतीजे एक्जिट पॉल के मुताबिक आते हैं तो यह ईवीएम की जीत होगी और मैं और मेरी पार्टी इसका विराध करेगी। ध्याबन रहे कि हम लोकतांत्रिक व्यरवस्था में जी रहे हैं। निस्संेदेह हमें लोकतांत्रिक व्यरवस्था में प्रत्ये क नागरिक को अभिव्यतक्ति की आजादी प्राप्त है। लेकिन इसका तात्पार्य यह कतई नहीं है कि नागरिक अनाप-शनाप कुछ भी बोलते रहें। केजरीवाल और आप को तो गंभीर चिंतन इस बात पर करना चाहिए कि दिल्लीभ में आप की सरकार रहने के बावजूद लोगों ने नगर निगम में उनको स्वीनकार क्योंी नहीं किया। उनको इस बात पर भी विचार करने की आवश्याकता है कि उनकी पार्टी ने प्रदेश की जनता से जो वायदे किए थे, क्याद वे पूरा कर पाए हैं? अगर नहीं कर पाए तो वे किस बिना पर यह आश लगाए बैठे थे कि राजधानी की जनता उनको सराखों पर बैठा लेगी?
सर्वाधिक महत्वबपूर्ण बात यह है कि ‘आप’ भ्रष्टा चार के खिलाफ पूरे देश में चलाए गए आंदोलन की उपज थी। दुर्भाग्यवपूर्ण यह है कि आप जिस भ्रष्टााचार के खिलाफ आंदोलन का हिस्सा बनकर सत्ता तक पहुंची, वही आज भ्रष्टाषचार में डूबी हुई है। थोथे और झूठ की बुनियाद पर खड़ा किया गया भवन भी कुछ समय बाद भरभरा कर गिर जाता है। शायद प्रदेश की जनता ने इस बात को समझ लिया है कि आप ने जो बिजली, पानी, वाईफाई, बेरोजगारों को नौकरी देने और दिल्लीम को भ्रष्टा चार मुक्ता कराने के जो सब्ज बाग दिखाए थे, वे शायद कभी पूरे नहीं हो पाएंगे।
दिल्लीं नगर निगम में 180 वार्डों में अपना विजयी परचम फहरा कर भाजपा ने यह साबित कर दिया है कि निगम में पिछले एक दशक से काबिज होने के बावजूद उस पर एंटीइनकंबैसी फैक्टयर ने भी कोई असर नहीं दिखाया। केजरीवाल के नेतृत्वव वाली सरकार हमेशा इस बात के लिए भाजपा सरकार को कोसती रही कि केंद्र और नगर निगम में भाजपा की सत्ता होने की वजह से दिल्लीा में विकास संबंधी काम नहीं हो पा रहे।
बेहद दिलचस्पी बात यह है कि वर्ष 2015 में जब दिल्लीस में विधानसभा का चुनाव हुआ था, उस समय भी केंद्र में भाजपा की सरकार थी। उस दौरान चुनाव में ईवीएम का इस्तेतमाल हुआ था। दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों पर हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 67 सीटों पर विजय हासिल की थी। उस दौरान अरनविंद केजरीवाल ने कभी नहीं कहा कि यह ईवीएम की जीत है, पर आज अचानक केजरीवाल को ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है कि यह ईवीएम की जीत है। अगर निगम चुनाव का परिणाम ईवीएम की जीत है तो यह सवाल भी वाजिब है कि क्याग 2015 के विधानसभा का परिणाम भी ईवीएम की जीत थी? मेरा मानना है कि उसको भी ईवीएम की जीत मानकर केजरीवाल और उसके मंत्रिमंडल को तुरंत इस्ती फा दे देना चाहिए और उनको उपराज्यनपाल से विधानसभ भंग करने की सिफारिश कर देनी चाहिए। यही नहीं, चुनाव आयोग ने निगम चुनाव होने के पहले भी ईवीएम में छेड़छाड़ का दावा करने वाले सभी राजनैतिक दलों को चुनौती दी थी कि उनकी मशीनें डिसप्लेे के लिए उपलब्धे हैं। दावा करने वाले लोग उनकी मशीनों को हैक कर अथवा छेड़छाड़ कर दिखाएं। मैं केजरीवाल से यह सवाल करना चाहूंगा कि आखिर उस समय आपने चुप्पी़ क्यों साध रखी थी? चुनाव परिणाम आने के बाद इस तरह का सवाल उठाना तो खिसयानी बिल्लीं खंभा नोचने वाली बात साबित हो रही है। (लेखक वरिष्ठव पत्रकार हैं।)
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