देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्वपूर्ण मस ले पर समझौता और इसमें कांग्रेस-भाजपा की मिलीभ गत एवं एक-दूसरे का बचाव।*

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देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्वपूर्ण मसले पर समझौता और इसमें कांग्रेस-भाजपा की मिलीभगत एवं एक-दूसरे का बचाव।*

पिछले कुछ हफ्तों से देश में राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर खूब चर्चाएं हो रही हैं, खूब राजनीति चमकायी जा रही है। देश की दोनों प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियाँ एक दूसरे पर आरोप लगाती रहीं और अपने को राष्ट्रवाद का महारथी साबित करती रहीं। स्वराज अभियान के हाथ कुछ दस्तावेज लगे हैं जिससे इन पार्टियों की बातों का खोखलापन सामने आता है। दस्तावेज से ये पता चलता है कि कांग्रेस और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित सूचनाओं के साथ समझौता किया है। यूपीए सरकार के समय नौसेना युद्ध कक्ष से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी लीक हुई जानकारियों में संलिप्त एजेंसी पर भाजपा ने कोई कार्यवाई नहीं की। देश की सुरक्षा के खातिर इस एजेंसी को काली सूची में डाल देना चाहिए था परंतु यह रफाल विमान की बड़ी खरीदारी में भी शामिल रही। नीचे लिखी जानकारियां इस मामले पर नयी रौशनी डालती हैं:

– इससे आउटलुक में छपे एक पुराने लेख की बात सच साबित होती को है कि 2005 के स्कॉर्पियन पनडुब्बी सौदे में बिचौलिये शामिल थे, लेकिन सीबीआई को प्रारंभिक जांच में कुछ न मिलने के कारण केस बंद हो गया।

– इससे यह भी प्रमाणित होता है कि नौसेना युद्ध कक्ष से लीक हुई जानकारियों के अभियुक्त को 2011 तक रक्षा विभाग की गोपनीय जानकारी मिलती रही।

– दस्तावेज से यह साफ है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के उल्लंघन का यह मामला संसदीय सलाहकार समिति तक गया, लेकिन समिति के एक सदस्य (भाजपा सांसद) को बिचौलियों ने एक विदेशी महिला की मदद से समझौता करने पर मजबूर कर दिया।

– आश्चर्य की बात यह है कि यह सारी जानकारियां प्रधानमंत्री कार्यालय, रक्षा मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पास पिछले दो महीनों से है परन्तु उन्होंने न तो सीबीआई जांच शुरू करवाया और न अभियुक्त पर कोई कार्यवाई की।

– इस मामले में कोई कार्यवाई न होने का कारण साफ है, बिचौलिये पर कार्रवाई के परिणामस्वरूप रफाल विमान की खरीदारी में शामिल कंपनी को काली सूची में डालना पडता जिसके मालिक खरीदारी के हस्ताक्षर समारोह के अतिथि थे।

जनता के सामने सरकार और विपक्षी दल एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते रहते हैं किन्तु पर्दे के पीछे दोनों ने राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया है। अपने राजनीतिक फायदे के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया है। स्वराज अभियान सरकार से यह मांग करता है कि सरकार इस मामले में अपनी छवि साफ करे और अभियुक्त पर त्वरित कार्यवाई करे।

*हमारी मांग :*

इसीलिए स्वराज अभियान मांग करता है कि,

1. सरकार अभिषेक वर्मा/थेल्स द्वारा Scorpene Submarines डील में कमीशन देने के खिलाफ एफआईआर दायर करने का आदेश दे;

2. एक एफआईआर अभिषेक वर्मा और उनके सहयोगियों के साथ साथ नेवी और आईएएफ के पदाधिकारियों, जिनके नाम ऊपर दिए गए हैं, द्वारा Scorpene Submarines की जानकारी के साथ साथ अन्य रक्षा संबंधी गोपनीय सूचना लीक करने के खिलाफ हो;

3. सरकार को रफाल एयरक्राफ्ट के शुरू से अब तक के price negotiations पर अपना रूख स्पष्ट करना चाहिए;

4. सरकार की इस नीति का उल्लंघन करने के लिए कि डिफेंस डील में कमीशन एजेंट को शामिल नहीं किया जाए, M/s Thales को ब्लैक लिस्ट करना चाहिए; और

5. Edmonds Allen द्वारा Parliamentary Consultative Committee on Defense के सदस्यों के महिला escorts के जरिए आर्म डीलर्स के साथ की तसवीरों के साथ लगाए गए आरोपों का सरकार एक विश्वसनीय जांच करे।

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