वंचित तबके के बच्चो के लिए तृप्ति जैन की एक अनुठी पहल

Galgotias Ad

वंचित तबके के बच्चों के लिए तृप्ति जैन की अनूठी पहल

कहते हैं एक चित्र हजार शब्दों के बराबर होता है और यह कला और भी खास बन जाती है, जब इसका प्रयोग समाज की भलाई के लिए किया जाता है। समाज की विभिन्न बुराइयों को अपने चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित करने वाली तृप्ति जैन ने इस बार अपनी प्रदर्शनी के माध्यम से लोगों के बीच दिवाली के दौरान उपहारों के आदान-प्रदान के बारे में जागरूकता विकसित करने का काम किया है। दरअसल, दिवाली हर किसी के लिए एक अनूठा समारोह, रोशनी का पर्व और उपहार के आदान-प्रदान संसंबंधित पर्व है, लेकिन हमारे समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो छोटी-छोटी जरूरतें भी पूरी नहीं कर पाते हैं। उन्हें इच्छा तो बहुत कुछ पाने की होती है, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वे उन्हें नहीं मिल पाते। ऐसे में तृप्ति जैन अपने चित्रों के जरिये समाज को यह संदेश देना चाहती हैं कि क्या होगा यदि इस दिवाली हम आपस में महंगी चीजें उपहार देने के बदले समाज के सुविधाओं से वंचित बच्चों की बनाई चीजें खरीदकर उन्हें उनके सपनों को पूरा करने के अवसर प्रदान करें।

भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) द्वारा पिछले दिनों आयोजित कला प्रदर्शनी में दिल्ली की इस 18 साल की लड़की तृप्ति जैन द्वारा इस पहल को आगे बढ़ाने का प्रयास किया गया। एक बेहतर समाज बनाने की दिशा में की गई यह पहल इस छोटी सी लड़की को उसकी उम्र से कहीं ज्यादा बड़ा बना रही है। ‘थू्र देयर विंडोज: लिटिल स्टार्स, इनोसेंट विशेज’ नामक तृप्ति की इस कला प्रदर्शनी में प्रदर्शित पेंटिंग की अनोखी बात यह थी कि इनमें प्रदर्शित पेंटिंग्स न केवल वंचित तबके के छोटे बच्चों द्वारा बनाई गई थीं, बल्कि इनमें उनकी इच्छाएं भी लिखी थीं। एक बच्चे ने मां के साड़ी की इच्छा जताई, तो दूसरे ने टेडी की उम्मीद पाल रखी थी। इस तेजी से भागती दुनिया में, जहां एक आसान जीवन भी इन वंचित बच्चों को मयस्सर नहीं है, वहां हमारी एक छोटी सी पहल भी इनके चेहरे पर मुस्कान ला सकता है। यही वजह रही कि प्रदर्शनी में न केवल लोग आए,बल्कि यहां प्रदर्शित क्रिकेट के बल्ले, स्केट बोर्ड,फुटबॉल और चित्रों के खरीदकर घर ले गए। खास बात यह कि प्रदर्शनी में कागज के झुमके, कागज की, यहां तक कि हाथ से बनाए गए शिल्प, दीये भी रखे गए थे।

उल्लखेनीय है कि महिला सशक्तिकरण के लिए काम करने वाली तृप्ति जैन ने समाज कल्याण के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। दिल्ली में पली-बढ़ी तृप्ति जैन अप्लाइड साइकॉलॉजी में बी.ए. (ऑनर्स) कर रही हैं। तृप्ति एक सामाजिक संगठन ‘वी, वूमन, वॉरियर्स’ की सह-संस्थापक भी हैं। यह संस्था वंचित महिलाओं को शक्ति संपन्न बनाने और उन्हें मुश्किलों से लड़ने के लिए प्रेरित करती है। इसके अलावा उन्होंने ‘तृप्ति: वूमन एंपावरमेंट एंड चिल्ड्रेन’ की भी स्थापना की है। यह भी एक सामाजिक संस्था है, जो महिला सशक्तिकरण और गरीब व जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए काम करती है। जितेद्र पाल ( tennews.in)

Comments are closed.