28 फरवरी को एक बार फिर बैंकों मे राजनीतिक हड़ ताल NOBW & NOBO शामिल नही।

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*28 फरवरी को एक बार फिर बैंकों मे राजनीतिक हड़ताल NOBW & NOBO शामिल नही।*

कुछ बैंक यूनियनो ने 28 फरवरी 2017 को हड़ताल का आहवाहन किया है ।

भारतीय मजदूर संघ की बैंकिंग यूनियंस NOBW और NOBO इस राजनीतिक हड़ताल में शामिल नही है । लेकिन फिर भी इस हड़ताल को UFBU की हड़ताल कहना सरासर गलत है।

*NOBW ने अपने सदस्यों से अपील की है की वह बैंकों में इस दिन अधिक से अधिक काम करके बैंक के ग्राहकों का काम करें*

नोट बंदी के 2 महीनो मे ये संगठन कहां थे जब बैंक कर्मचारी 12 से 18 घंटे काम कर रहे थे और मीडिया बैंक कर्मचारियों को बदनाम करने का काम कर रहा था। आज जब सब कुछ सामान्य होता जा रहा है वामपंथियों को हड़ताल याद आयी है।

वेतन वार्ता को शीघ्र शुरू करने की मांग भी है। लेकिन अभी तक मांग पत्र तो बनाया नही।

NPA की रिकवरी के लिए मांग कर रहे है। लेकिन जब ये लोन दिये जा रहे थे तब किसी भी वेर्कमेन या ऑफिसर डायरेक्टर ने बोर्ड मीटिंग में इन लोनस देने का विरोध किया था ?

5 दिन की बैंकिंग की मांग पिछले वेतन समझौते में सरकार ने मांग ली थी लेकिन AIBEA के विरोध के चलते 2 शनिवार का अवकाश ही हो पाया।

अब बैंक कर्मचारियों को सोचना है की कब तक इन वामपंथियों की राजनिति का शिकार बनेंगें या हड़ताल का विरोध कर के इनको मुँहतोड़ जवाब देंगे ।

11वां वेतन समझोता 31.10.2017 को समाप्त हो जायेगा। बैंकिंग के इतिहास में इस सरकार ने बैंकों से नया समझौता 1.11.2017 से लागू करने के लिए कहा है लेकिन उसके बारे में कोई चिंता नही है।

वेतन समझौते के लिए मांग पत्र अभी 15 फरवरी को ही दाखिल किया है फिर हड़ताल क्यों ?

इससे यही सिद्ध होता है की यह हड़ताल पूर्ण रूप से राजनीतिक है।

अशवनी राणा
उपाध्यक्ष
एन ओ बी डब्ल्यू

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