यूपी 2017 : चुनाव से पहले आया यूपी का सर्वे, मोद ी सरकार के उड़ गए
यूपी 2017 : चुनाव से पहले आया यूपी का सर्वे, मोदी सरकार के उड़ गए
NEW DELHI : नोटबंदी के फैसले से अब भाजपा को डर सताने लगा है। अगर कैश की किल्लत दूर नहीं हुई तो उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश के भाजपा सांसदों ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को बताया है कि अगर 15 जनवरी तक कैश की किल्लत दूर नहीं हुई तो हमें नुकसान उठाना पड़ सकता है। दरअसल, पार्टी अध्यक्ष ने पार्टी सांसदों से नोटबंदी पर फीडबैक मांगा था। इसके बाद बुधवार की शाम 7 बजे से रात 9 बजे तक नई दिल्ली नगरपालिका (एनडीएमसी) के कन्वेन्शन हॉल में पूर्वी उत्तर प्रदेश के 35 भाजपा सांसदों ने पार्टी अध्यक्ष से इस बारे में चर्चा की। सूत्रों ने बताया कि बैठक में पार्टी सांसदों ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पार्टी के पक्ष में जो हवा बही थी वह नोटबंदी के बाद बेअसर होती दिख रही है।
सूत्रों ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष ने सभी सांसदों को बारी-बारी से सुना लेकिन किसी का कोई जवाब नहीं दिया। हालांकि, उन्होंने यह आश्वासन दिया है कि सांसदों की चिंता से सरकार को अवगत करा दिया जाएगा। बैठक में मौजूद एक सांसद ने बताया कि 35 सांसदों में से करीब-करीब सभी सांसदों ने नोटबंदी के विपरीत परिणामों की चर्चा की। सभी ने कहा कि चुनावों में इसके गलत संदेश जाएंगे। सांसदों ने कहा कि लोग अब अधीर हो रहे हैं। अगर जल्द ही स्थिति सामान्य नहीं हुई, बैंकों में करेंसी नोट की किल्लत कम नहीं हुई तो यह पार्टी के लिए बड़ा झटका होगा।
एक अन्य सांसद ने बैठक में कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक से लोगों में सरकार के कामकाज के प्रति जबर्दस्त उत्साह था। खासकर युवाओं में सरकार और संगठन के प्रति आकर्षण था लेकिन नोटबंदी के बाद इस उत्साह पर रोक लग गई। हालात ऐसे हैं कि अब ग्रामीण आबादी भी तनाव में जी रही है। पार्टी को उम्मीद है कि फरवरी-मार्च के बीच यूपी में विधानसभा चुनाव होंगे। इसी वजह से मार्च तक बोर्ड की परीक्षाएं टाल दी गई हैं।
भाजपा के लिए सबसे बड़ी परेशानी एटीएम के बाहर लगने वाली लंबी-लंबी लाइनें हैं। इसके साथ ही प्राइवेट बैंकों के कर्मचारियों के आचरण ने भी भाजपा और सरकार की परेशानियां बढ़ाई हैं। एक सांसद ने कहा कि अगर सांसदों की शिकायत पर प्राइवेट बैंकों के खिलाफ वित्त मंत्रालय कार्रवाई करे तो कुछ हद तक समय रहते परेशानी पर काबू पाया जा सकता है। सूत्रों ने बताया कि अमित शाह ने सांसदों से चुनाव तक क्षेत्र का नियमित दौरा करते रहने को कहा है ताकि उम्मीदवारों के चयन में सुविधा हो सके साथ ही आम लोगों को लगे कि उनके सांसद ने परेशानी की घड़ी में उनका हाल चाल जाना है।
एक सांसद ने पार्टी अध्यक्ष द्वारा फीडबैक मांगे जाने का स्वागत किया है और कहा कि यह अच्छी पहल है। हालांकि उन्होंने कहा कि यह देर से लिया गया लेकिन दुरुस्त फैसला है। बुधवार की शाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इकाई लघु उद्योग भारती के एक सेमिनार में भी कुछ इसी तरह का फीडबैक मिला था। जहां लघु उद्यमियों ने नोटबंदी के फैसले से उपजी परेशानियों का जिक्र किया और सरकार से तुरंत सुधारात्मक उपाय करने की गुजारिश की।
Comments are closed.